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लखनऊ। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने गुरूवार को सशस्त्र सीमा बल की उत्तर प्रदेश में बलरामपुर वाहिनी की छह नवनिर्मित सीमा चौकियों का उद्घाटन किया। ये सभी सीमा चौकियां भारत नेपाल सीमा रेखा के निकट हैं। इसके उपरांत गृह राज्यमंत्री ने नानपारा वाहिनी (बहराइच) मुख्यालय में नव निर्मित प्रशासनिक भवन और जवान बैरक का उद्घाटन और पेट्रोल मैनेजमेंट सिस्टम मैनुअल का विमोचन भी किया। अपनी एक दिवसीय यात्रा के दौरान वे एसएसबी जवानों से मिले और उनकी समस्याओं को सुना। सशस्त्र सीमा बल के महानिदेशक प्रणय सहाय भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
सशस्त्र सीमा बल देश की क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने के लिए पूरी जिम्मेदारी के साथ भारत-नेपाल सीमा की रक्षा कर रही है। सीमांत मुख्यालय लखनऊ ने अपनी सभी चौकियां, जो सीमा रेखा से दूर थीं, उनको सीमा रेखा के निकट स्थापित कर दिया है। इससे लगभग 500 वर्ग किलोमीटर से ज्यादा वह क्षेत्र भी सीमा निगरानी के दायरे में आ गया है, जो पहले असुरक्षित था। अब सीमांत लखनऊ रणनीतिक दृष्टि से मजबूत स्थिति में आ गया है तथा अपने सभी स्तंभों को पूरी तरह सुरक्षित रखने में सक्षम है।
सशस्त्र सीमा बल ने दावा किया है कि सीमा रेखा के निकट बल की उपस्थिति के कारण सीमा पार से होने वाली माओवादी गतिविधियों पर प्रभावी अंकुश लग गया है। अमूल्य वन्य जीव और वन संपदा का संरक्षण भी अब आसान हो गया है। सीमा स्थित वन क्षेत्रों में शिकार पूरी तरह बंद हो चुका है। वन्य जीवों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। सीमावर्ती गांवों में अपराधों की संख्या में भारी कमी आयी है और लोगों में सुरक्षा की भावना मजबूत हुई है।
सुनियोजित अवसंरचनात्मक विकास ने सुरक्षा को तेज धार प्रदान की है। उत्तर प्रदेश में भारत नेपाल सीमा पर लखनऊ सीमांत ने अपनी सभी इकाइयों का निर्माण जिस गति से किया है वह अपने आप में एक मिसाल है। भारत-नेपाल सीमा का लगभग आधा क्षेत्र वनाच्छादित है, जहां केवल सीमा चौकियों के लिए अस्थायी निर्माण ही किये जा सकते हैं। पिछले तीन वर्षों में सुनियोजित ढंग से जो निर्माण कार्य किया गया है, उसी का परिणाम है कि ज्यादातर इकाइयों का निर्माण अक्टूबर 2012 तक पूरा हो जायेगा। अंतर्राष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा के अतिरिक्त वन्य जीवों और वन संपदा की सुरक्षा भी पूरी तरह सुनिश्चित हो जायेगी।
कम्प्यूटर आधारित पीएमएस साफ्टवेयर का विकास किया गया है। जवानों की गश्त की निगरानी जीपीएस आधारित पेट्रोल मैनेजमेंट साफ्टवेयर के माध्यम से करने वाला लखनऊ सीमांत पूरे केंद्रीय सशस्त्र बलों में ऐसा पहला बल है जिसने इस साफ्टवेयर के जरिये सीमा पर अपना प्रभुत्व कायम किया है। इस साफ्टवेयर से गश्ती दलों की वास्तविक स्थिति जानी जा सकती है, गश्ती दलों के क्रियाकलापों की गणना की जा सकती है और उनका व्यापक विश्लेषण किया जा सकता है। गश्त के आधार पर उनके कार्य निष्पादन का मूल्यांकन किया जा सकता है, उनकी कार्य निष्पादन की रिपोर्ट को संकलित किया जा सकता है और तत्काल उसकी समीक्षा कर उन्हें सूचित किया जा सकता है।
सशस्त्र सीमा बल इस साफ्टवेयर से गश्ती दलों की निरीक्षण प्रक्रिया में अपेक्षित सुधार हुआ है। अब हर गश्त करने वाले जवान के कार्य का निष्पक्ष रूप से अवलोकन किया जा सकता है। हर जवान और कमांडर को उनके कर्तव्यों के प्रति उत्तरदायी बना दिया गया है तथा सभी के कार्यों की एक साथ समीक्षा की जा सकती है। इसे लखनऊ सीमांत ने विकसित किया है, जिसका पूरी भारत-नेपाल और भूटान सीमा पर प्रयोग हो रहा है।