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मुंबई। जैन समाज ने मुंबई में विराट विरोध रैली का शांतिपूर्ण आयोजन कर उन सांप्रदायिक तत्वों को करारा जवाब और कठोर संदेश दिया है, जिन्होंने लखनऊ (उत्तर प्रदेश) में भगवान महावीर स्वामी एवं गुलबर्ग (कर्णाटक) में भगवान आदिनाथ की एक हज़ार वर्ष प्राचीन मूर्तियों को सामूहिक हमला करके तोड़ा और जो सांप्रदायिक तत्वों को साथ लेकर आज़ाद मैदान जैसे सुनियोजित हिंसा प्रेरित विरोध प्रदर्शन और मानवता पर हमले करते हैं। जैन समाज के परम पूज्य भगवान की मूर्तियां तोड़े जाने के तीव्र विरोधार्थ 2 सितंबर को मुंबई में इस विराट विरोध बाइक रैली का आयोजन किया था। चार हजार से ज्यादा बाइक, दो सौ से ज्यादा कारें एवं करीब एक लाख से ज्यादा लोगों की उपस्थिति में जैन समाज ने अपना आक्रामक किंतु शांतिपूर्ण रोष जताया। इस ऐतिहासिक रैली की शुरूआत एसवीपी मैदान, पंचोलिया कॉलेज, कांदिवली(पश्चिम) से मंगल प्रभात लोढा के हाथों जैन शासन ध्वजा फहराने के बाद हुई। रैली मलाड, गोरेगांव, जोगेश्वरी, अंधेरी स्टेशन, विलेपार्ले के आदि-पार्श्व जिनालय, सभी मुख्य मार्गों से गुजरते हुए जुहू तारा रोड होते हुए 15 किलोमीटर का रास्ता तय करके जुहू चौपाटी पहुंची।
संसार में अहिंसा परमो धर्मः के सिद्धांत को आत्मसात कर अहिंसा का मार्ग दिखाने वाले भी अपने धर्म आराध्य भगवान पर सांप्रदायिक हिंसा से इतने कुपित हुए कि आज वे जैन समाज की इस विशाल रैली में यह कहते हुए सुने गए कि 'जो हमसे टकराएगा मिट्टी में मिल जाएगा।' यह घटना ही कुछ ऐसी थी कि आज उनका धैर्य अपने चरम पर दिखा। हज़ारों की संख्या में उपस्थित जैन धर्म रक्षकों ने और भी नारे लगाए 'मूर्ति तोड़ने वालों को सजा दो-सजा दो', 'जैनम जयतु शासनम', 'त्रिशला नंदन वीर की, जय बोलो महावीर की', 'गली-गली में गूंजे नाद, ऋषभदेव जय आदिनाथ', 'कर्णाटक सरकार हाय-हाय, उत्तर प्रदेश सरकार हाय-हाय।' रैली का काफिला करीब तीन किलोमीटर लंबा था। रैली में बच्चों, युवकों, युवतियों और महिलाओं ने बढ़ चढ़कर कर हिस्सा लिया और नारेबाज़ी की। सभी ने हाथों में काले झंडे ले रखे थे और मूर्तियों को तोड़े जाने के विरोध में नारे लगा रहे थे।
रैली धीमी गति से बढ़ रही थी, जिसे देखने के लिए आसपास के लोग भी हज़ारों की संख्या में सड़क के दोनों किनारे इकठ्ठा हो थे। मुंबई के जिस-जिस उपनगर से रैली गुजरी, वहां के जैन समाज के युवा और महिलाएं उसमें शामिल होते गए, इसलिए करीब तीन किलोमीटर लंबा काफिला बन गया। इसके कारण संबंधित क्षेत्रों में यातायात भी काफी धीमा हो गया था, पर मुंबईवासियों ने आयोजन का उद्देश्य सही और शांतिपूर्ण होने से कोई आपत्ति नहीं की और रैली के आगे बढ़ने का इंतजार करते रहे। अंधेरी रेलवे स्थानक के बाद पूर्व-पश्चिम को जोड़ने वाले मुख्य उड़ान पुल के चौराहे पर गणिवर्य लब्धिचंद्र सागरजी म.सा. भी अपने संघ सहित रैली का स्वागत करने आए और सबको आशीर्वाद प्रदान करते हुए यहीं से स्वयं भी रैली में शामिल हो गए। रैली में जैन धर्म के चारों संप्रदायों-श्वेतांबर, दिगंबर, स्थानकवासी, तेरापंथी महावीर भक्तों की उपस्थिति से यहां जैन एकता का अनूठा स्वरुप देखने को मिला।
जुहू चौपाटी पहुंचने पर गुरुदेव विराग सागरजी म.सा. ने रैली को संबोधित करते हुए कहा कि हम अहिंसा परमो धर्मः के सिद्धांत को मानने वाले हैं, मगर हमारे धर्म पर यदि कोई प्रहार करे तो उसे करारा जवाब दिया जायेगा, जिसके एक हाथ में माला और दूसरे हाथ में भाला है वो ही सच्चा जैन है। उपस्थित जैन समुदाय की हाजरी में मुनिराजश्री ने लखनऊ और कर्नाटक में मूर्ति खंडन की घटनाओं का उग्र शब्दों में विरोध करते हुए उत्तर प्रदेश और कर्नाटक की राज्य सरकारों के समक्ष तुरंत कड़ी कार्रवाई की मांग रखी। रैली का आयोजन गणिवर्य लब्धिचंद्र सागरजी म.सा., क्रांतिकारी मुनिराज विराग सागरजी म.सा., क्रांतिकारी मुनिराज विनम्र सागरजी म.सा. के नेतृत्व में किया गया। मुंबई में विराजमान सभी जिनशासन रक्षक गुरु भगवंतो के रैली को आशीर्वाद प्राप्त हुए।
मुंबई में ही जैन समाज की इस रैली की विशेषता यह थी कि एक तरफ 11 अगस्त को मुंबई में आज़ाद मैदान पर रज़ा अकादमी और मुस्लिम संगठनों की ओर से, असम एवं म्यामार में कथित तौर पर मुसलमानों के खिलाफ हिंसा के विरोध में आयोजित मुसलमानों के विरोध प्रदर्शन के आयोजक अपने विरोध प्रदर्शन को न केवल शांतिपूर्ण बनाए रखने में पूरी तरह विफल रहे, अपितु उन्होंने मुंबई में आग़जनी कर मुंबई को सांप्रदायिक हिंसा में झोंकने की नापाक कोशिश की, जिसकी नकारात्मक प्रतिक्रिया देशभर में भी हुई। अकारण ही लखनऊ और कर्णाटक में मूर्तियों को सांप्रदायिक तत्वों ने हिंसात्मक रूप से निशाना बनाया और दूसरी ओर मूर्तियां खंडन की इन दुस्साहसपूर्ण घटनाओं के विरोध में मुंबई में ही आयोजित जैन समाज की यह विशाल रैली भी देखिए, जो अत्यंत शालीन, शांतिपूर्ण तरीके से सांप्रदायिक तत्वों को अपनी शक्ति का एहसास कराते हुए उन्हें कठोर संदेश देने में कामयाब रही। मुंबईवासियों ने इस विशाल और शांतिपूर्ण विरोध रैली में धैर्य की तारीफ की और कहा है कि जैन समाज का अहिंसा परमो धर्मः का सिद्धांत कोई यूं ही नहीं है। हिंसा फैलाने वालों और मानवता के खिलाफ आज़ाद मैदान जैसा सुनियोजित अक्ष्ाम्य अपराध करने वालों एवं मूर्तियां तोड़ने वालों को शायद अपने किए पर शर्म आएगी।
विभिन्न जैन संघों ने सुरक्षा व्यवस्था में विफलता के लिए लखनऊ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, कर्नाटक के मुख्यमंत्री, एवं गुलबर्गा जिले के कलेक्टर के इस्तीफे की मांग की है। मुनिराज विनम्र सागरजी म.सा. ने अपनी ओजस्वी वाणी में हुंकार भरी और सांप्रदायिक तत्वों को आगाह किया कि जैन अहिंसक हैं, शांतिप्रिय हैं, मगर इसका अर्थ यह नहीं लगाया जाना चाहिए कि जैन कायर हैं। रैली में समाज सेवक मंगल प्रभात लोढा एवं शिवसेना से अभिजीत अडसुले भी उपस्थित थे।