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उत्तराखंड में बिना आरक्षण के होंगी पदोन्नतियां

कैबिनेट में हुए और भी कई महत्वपूर्ण निर्णय

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विजय बहुगुणा-vijay bahuguna

देहरादून। उत्तराखंड में विभागीय पदोन्नतियों के लिए डीपीसी पर लगी रोक को हटा दिया गया है। प्रोन्नतियों की सभी रिक्तियों को बिना रोस्टर के भरा जाएगा। सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का अनुपालन करते हुए प्रोन्नति में आरक्षण के अध्ययन के लिए एक सदस्य आयोग गठित कर दिया गया है और रोज़गार सहकौशल विकास भत्ता नियमावली 2012 को भी मंजूरी दे दी गयी है। राज्य में स्थित सहकारी व सार्वजनिक क्षेत्र की चीनी मिलों के संबंध में पूर्व मे लिये गये निर्णय को स्थगित रखते हुए एक विशेषज्ञ समिति बनाये जाने का निर्णय लिया गया है, जो चीनी मिलों को लाभदायक स्थिति में लाने का अध्ययन करेगी। प्रत्येक विभाग की आडिट वित्त विभाग से कराई जाएगी। इसके लिए वित्त विभाग के अंतर्गत एक निदेशालय स्थापित किया जायेगा। यूजीसी के मानकों के अनुसार प्राध्यापकों की सेवा निवृत्ति आयु को बढ़ाकर 65 वर्ष कर दिया गया है।
मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने सोमवार को कैबिनेट में लिए गए निर्णयों की जानकारी देते हुए बताया कि डीपीसी पर लगी रोक हटा कर प्रोन्नति की समस्त रिक्तियों को बिना रोस्टर के भरा जायेगा। उन्होंने कहा कि आरक्षण एक सामाजिक और वैधानिक प्रक्रिया है, इसे राजनीति की विषय वस्तु नहीं बनाया जाना चाहिए। उन्होंने सभी वर्गों से सामाजिक सौहार्द बनाये रखने की अपील करते हुए कहा कि राज्य सरकार सभी वर्गों के हितों की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने राज्य हित में सभी कर्मचारी संगठनों से प्रस्तावित हड़ताल व कार्य बहिष्कार वापस लेने का भी आह्वान किया।
मुख्यमंत्री ने मीडिया को बताया कि जुलाई एवं अगस्त, 2012 में सेवानिवृत्त कर्मियों को भी नेशनल प्रोन्नति दी जायेगी। सर्वोच्च न्यायालय के नागराज केस में निर्णय के अनुसार विशेष रूप से ‘पिछड़ापन’, ‘प्रतिनिधित्व की पर्याप्तता’ तथा ‘प्रशासन में कुशलता’ के बिंदुओं पर एससी-एसटी को ‘प्रोन्नति में आरक्षण’ हेतु अध्ययन के लिए उच्च न्यायालय के सेवानिवृत न्यायाधीश इरशाद हुसैन की अध्यक्षता में एक सदस्यीय आयोग गठित किया जायेगा। आयोग की रिपोर्ट देने हेतु तीन माह का समय दिया जाएगा। आयोग की सिफारिशों पर सरकार के निर्णय तक अंतरिम रूप से, एससी-एसटी के ऐसे कर्मी जो ‘प्रोन्नति में आरक्षण’ की पूर्व व्यवस्था के अंतर्गत प्रोन्नति पाते, उन्हें एक्स कॉडर पद सृजित करके प्रोन्नति करके प्रोन्नत पद पर नियुक्त किया जाएगा। जुलाई एवं अगस्त, 2012 में सेवानिवृत्त कर्मियों को भी Notional तौर पर एक्स कॉडर पद पर ऐसी नियुक्ति दी जायेगी।
आयोग की रिपोर्ट के पश्चात यदि राज्य सरकार ‘प्रोन्नति में आरक्षण’ हेतु कानून बनाती है, तो उसे रेस्ट्रोस्पेक्टिव यानी पूर्वव्यापी रूप से 10 जुलाई, 2012 से लागू किया जाएगा। ऐसी दशा में उपरोक्तानुसार दी गयी नियुक्तियों को अतिरिक्त पदों का सृजन करके कॉडर में सम्मलित कर लिया जाएगा। पूर्व में की गयी कोई पदोन्नति इससे प्रभावित नहीं होगी। आयोग की रिपोर्ट के पश्चात राज्य सरकार ‘प्रोन्नति में आरक्षण’ हेतु कानून बनाने की स्थिति में न होने पर इसके अंतर्गत एससी-एसटी के नियुक्त कर्मियों को सेवानिवृत्त तक एक्स कॉडर पद पर बने रहने अथवा अपने कॉडर में मूल पद पर वापिस जाने का विकल्प रहेगा।
विभिन्न विभागों के अधीन आंतरिक लेखा परीक्षा कार्य को वित्त विभाग में केंद्रीयकृत (सेंट्रलाईज्ड) किया गया है। स्वतंत्र आडिट निदेशालय का ढांचा बनाया गया है। आडिट संपादित करने के लिए सामान्यतः टेस्ट आडिट पद्धति, कार्यप्रणाली अपनाई जाएगी तथा विशेष परिस्थितियों में शासन के आदेशानुसार सम्वर्ती एवं विस्तृत आडिट भी कराया जा सकता है। विभागों को एबीसी श्रेणियों में उनके बजट प्राविधानों के आधार पर वर्गीकृत किया गया है। मुख्य मापदंड इन विभागों में अधिप्राप्तियों की संख्या व अंतर्निहित धनराशि, समव्यवहार प्राप्तियां इत्यादि हैं। कार्यरत कार्मिकों की पदोन्नति के अवसर यथावत बने रहेंगे।
कैबिनेट ने शिक्षित बेरोज़गारों को रोज़गार सहकौशल विकास भत्ता नियमावली 2012 को मंजूरी दे दी है। इसके अनुसार राज्य में 9 नवंबर 2000 के पूर्व से रह रहे ऐसे शिक्षित बेरोज़गार, जिन्हें आगामी 9 नवंबर 2012 को प्रदेश के किसी सेवायोजन कार्यालय में नवीनीकरण सहित पंजीकृत हुए 4 वर्ष हो चुके हों, को बेरोज़गारी भत्ता दिया जाएगा। नियमावली के अनुसार इस योजना का लाभ ऐसे व्यक्तियों को मिलेगा, जिनकी हाईस्कूल प्रमाण पत्र के आधार पर आवेदन करते समय न्यूनतम आयु 25 वर्ष व अधिकतम आयु 35 वर्ष हो। यह भत्ता दो वर्ष के लिए दिया जाएगा। इंटरमीडिएट को 500 रूपये, स्नातक को 750 रूपये व स्नातकोत्तर को 1000 रूपये प्रतिमाह बेरोज़गार भत्ते के रूप में दिए जाएंगे।
कैबिनेट ने निर्णय लिया है कि राज्य में चल रही सहकारी व सरकारी चीनी मिलों को घाटे से उबारने के लिए एक समिति बनाई जाएगी, जो कि इसके समस्त पहलुओं का अध्ययन करेगी। समिति की रिपोर्ट के आधार पर ही चीनी मिलों को पीपीपी मोड में चलाने व गदरपुर मिल को बंद करने के संबंध में सरकार में निर्णय लिया जायेगा। समिति में भारत सरकार के विशेषज्ञों की सेवाएं ली जाएंगी। इस बीच चीनी मिलें यथावत कार्यरत रहेंगी व सरकार गन्ना किसानों के बकाया भुगतान की व्यवस्था करेगी। कैबिनेट ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के मानकों के अनुरूप कालेज प्राध्यापकों की सेवानिवृत्ति आयु को बढ़ाकर 65 वर्ष करने व विश्वविद्यालयों के कुलपतियों का भत्ता 5 हजार रूपए बढ़ाये जाने को भी मंजूरी दी।

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