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‘यह है महाक्रांति युग परिवर्तन की बेला’

स्वामी विवेकानंद 150वीं जयंती व्याख्यान माला

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swami vivekananda-स्वामी विवेकानंद

लखनऊ। भारत अपनी ज्ञान-चेतना के आधार पर विश्व का नेतृत्व करेगा। स्वामी विवेकानंद के विचारों से ही भारत आर्थिक-सामाजिक और नैतिक मूल्यों से परिपूर्ण विश्व मामलों में एक अनोखी ताकत होगा। यह महाक्रांति युग परिवर्तन की बेला है। ये बातें कालीचरण इंडाउमेंट ट्रस्ट के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में कालीचरण पीजी कालेज के स्वामी विवेकानंद 150वीं जयंती व्याख्यान माला में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व संकायाध्यक्ष प्रोफेसर सत्येंद्र त्रिपाठी ने कही। उन्होंने कहा कि वर्तमान में युवाओं के सामने चुनौती है-विकास एवं समृद्धि का सही रास्ता पहचानना, अपनाना और सफलता पाना। जरुरत है अदम्य इच्छाशक्ति की जिससे सेवाव्रती बन सुख-शांति और समृद्धि के लिए परोपकार-सहयोग-सहायता को अपनाएं।
लखनऊ विश्वविद्यालय वाणिज्य संकाय के पूर्व संकायाध्यक्ष और मुख्य अतिथि प्रोफेसर जेवी वैश्यमपायन ने कहा कि पश्चिमी विकास माडल ने मनुष्य को अर्थमानव बना दिया है, जिससे मानवीय संबध और संवेदनाएं प्रदूषित होती जा रही हैं। साधन और साध्य में भेद न कर पाने के कारण शोषण, अत्याचार एवं चारित्रिक पतन बढ़ रहे हैं। सामान्य आदमी भी भूल रहा है कि धन तो साधन है, साध्य मानव कल्याण है। मनुष्य की ज़िदगी बढ़ी होनी चाहिए लंबी नहीं। अतः मनुष्य को अपने कर्म से बड़ा बनना चाहिए। हमारे महापुरुषों की ज़िंदगी बढ़ी थी पर उम्र लंबी नहीं थी।
विद्यांत हिंदू पीजी कालेज के संस्कृत विभाग के अध्यक्ष और विशिष्ट अतिथि डॉ विजय कर्ण ने कहा कि विवेकानंद ने व्यवहारिक वेदांत को अंगीकार कर विश्व के कोने-कोने में भारतीय धर्म एवं संस्कृति का प्रचार-प्रसार किया। भारत अपनी आध्यात्मिकता के बल पर ही विश्व का मार्गदर्शन करेगा, हम सभी को स्वामी विवेकानंद से प्रेरणा लेकर अपनी प्रतिभा क्षमता देश के सर्वांगीण विकास के लिए अर्पण करनी चाहिए। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ देवेंद्र कुमार सिंह ने कालीचरण इंडाउमेंट ट्रस्ट का इतिहास बताते हुए कहा कि इसका प्रमुख लक्ष्य शिक्षा का प्रचार-प्रसार करना है। कालेज के विद्यार्थी यहां से शिक्षा ग्रहण कर विभिन्न क्षेत्रों में देश के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। इस शताब्दी वर्ष में ऐसी व्याख्यान माला एवं विभिन्न प्रतियोगिताएं वर्षभर आयोजित होती रहेंगी। प्रतियोगिताओं के माध्यम से विद्यार्थियों का शारीरिक-मानसिक एवं आध्यात्मिक विकास संभव है।
वरिष्ठ शिक्षक डॉ पंकज सिंह ने कहा कि शिक्षार्थियों को अपने मन को संयमित करना चाहिए, जिसने मन को नियंत्रित कर लिया, वो समस्त शिक्षाएं ग्रहण कर लेगा। इसके साथ ही व्यक्ति को अपने अंदर से विकसित होना चाहिए, न कि बाहर से। बाहर से केवल भौतिकता का विकास होगा। भौतिकता और आध्यात्मिकता साथ-साथ नहीं चल सकती है। कार्यक्रम के संचालक और वाणिज्य विभाग के प्रभारी डॉ सुभाष चंद्र पांडेय ने कहा कि युवाओं के बल पर ही भारत विश्व के अग्रणी राष्ट्रों में खड़ा होगा। जरुरत है, युवाओं को सही दिशा प्रदान करने की, जिससे उनकी शक्तियों का समुचित उपयोग देश के विकास के लिए हो सके। सभी को विवेकानंद के मार्ग का अनुसरण करना चाहिए।
स्वामी विवेकानंद सार्द्धसती समारोह के संयोजक अशोक कुमार सिंह ने कहा कि 2012-14 तक नर सेवा नारायण सेवा का व्रत लेकर हम सभी को भारत जागो विश्व जगाओ के लिए कार्य करना है। युवा वर्ग ही देश की नींव है और आने वाले समय में भारत का पुर्नजागरण इसी के आधार पर होगा। सभी अपने-अपने क्षेत्र में देश के मान-सम्मान के लिए उठ खड़े हों तभी विश्व मंगल संभव है। इस अवसर पर महाविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के रीडर डॉ दिलीप कुमार ने व्याख्यान माला में आए अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। राष्ट्रीय सेवा योजना लखनऊ विश्वविद्यालय की योजनानुसार विवेकानंद शिकागो व्याख्यान पर भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें सौरभ तिवारी प्रथम एवं अन्शू मेहरोत्रा ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया। इन्हें मंगलवार को लविवि के भव्य कार्यक्रम में सम्मानित किया जाएगा।
कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ शोभा श्रीवास्तव के निर्देशन में छात्राओं की सरस्वती वंदना से हुआ। इस अवसर पर महाविद्यालय के वरिष्ठ अध्यापक डॉ दिलीप कुमार, डॉ मीना कुमारी, डॉ डीसीडीआर पांडेय, डॉ राजकुमार सिंह, डॉ संतोष पांडेय, डॉ बबिता पांडेय, डॉ दीप माला, डॉ पूनम अस्थाना, डॉ लीना सिंह, डॉ रश्मि मिश्रा, डॉ शांतनु श्रीवास्तव, कार्यालय अधीक्षक सत्य प्रकाश, रोहित टंडन सहित शिक्षक छात्र एवं कर्मचारी उपस्थित थे। डॉ नीरज शुक्ला ने आभार व्यक्त किया।

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