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लखनऊ। चिंतक और विचारक केएन गोविंदाचार्य ने कहा है कि देश में राजनैतिक जड़ता की स्थिति आ गई है, इसे तोड़ने के लिए साहसिक राजनैतिक पहल की जरूरत है। इस नवरात्रि के बाद दिल्ली में ऐसे सक्रिय समूहों को एकत्रकर विचार-विमर्श के बाद पहल की जाएगी। इसके पूर्व मुद्दे के तौर पर पंचायती राज्य व्यवस्था को प्रभावी बनाने की दृष्टि से ग्राम पंचायतो को केंद्रीय बजट का 7 प्रतिशत धन सीधे आवंटित करने की मांग को लेकर 1 अक्टूबर को दिल्ली में धरना दिया जाएगा। गोविंदाचार्य ने भ्रष्टाचार के सवाल पर मीडिया से बातचीत में कहा कि विपक्ष निष्प्रभावी हो गया है और वह नैतिकता की बजाय दलीलों की राजनीति कर रहा है, इसीलिए कोलगेट के भ्रष्टाचार का सवाल उठाने वाले आयरनगेट के सवाल पर चुप हैं।
मंगलवार को लखनऊ में एक कार्यक्रम में शामिल होने आए गोविंदाचार्य ने कहा कि देश में व्याप्त राजनैतिक जड़ता के लक्षण साफ दिखायी दे रहे हैं, अन्ना हजारे का आंदोलन हो या बाबा रामदेव का आंदोलन, दोनों ही जगह जनता का विक्षोभ दिखायी दिया, लेकिन नेतृत्व उसे आकार और विस्तार देने में विफल रहा। अन्ना का आंदोलन अब जद (यू) का नया संस्करण बनता दिखायी दे रहा है, तो बाबा रामदेव का आंदोलन कांग्रेस के पराभव के लिए खुद को भाजपा का एक और संस्करण बनाने में लग गया है। इससे समाज में निराशा का वातावरण पैदा हुआ है। इतिहास में झांकने पर यह ध्यान में आता है कि भारतीय राजनीति में समय-समय पर आई जड़ता और निराशा को तोड़ने के कई प्रयोग हो चुके हैं।
गोविंदाचार्य ने कहा कि सन् 1934 में गांधीजी ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देकर और बाद में कांग्रेस को भंग करने की वकालत करके इस जड़ता को तोड़ने का प्रयास किया, इंदिरा गांधी ने बैंको के राष्ट्रीयकरण के माध्यम से सिंडीकेट की राजनीति खत्मकर जड़ता तोड़ी थी, जयप्रकाश नारायण नें छात्र युवा संघर्ष वाहिनी बनाकर और अटल-आडवाणी ने जनसंघ का विर्सजन कर जड़ता तोड़ी थी।
आज विपक्ष अपनी साख इतनी खो चुका है कि वह नैतिकता के बजाय कानून को आधार बनाकर अनाप-शनाप दलीलों और दाव पेंचों के माध्यम से सत्ता हासिल करने में लग गया है। सत्ता और विपक्ष के इस अनैतिक गठबंधन से समाज, राजसत्ता के आगे नतमस्तक है। राजसत्ता अर्थसत्ता के आगे और अर्थसत्ता कंपनियों के आगे नतमस्तक हो गयी है।
उन्होंने कहा कि ऐसे समय में सभी आंदोलनकारी समूहों को अपने पूर्वाग्रहों को छोड़कर प्रकृति केंद्रित विकास के एजेंडे को लेकर व्यवस्था परिवर्तन के काम में लगना चाहिए। वक्त की जरूरत है कि राजनीति को एजेंडे, कार्यपद्धति और आचरण के आधार पर संगठित करने के नए प्रयोग हों। कोयला घोटाले पर गोविंदाचार्य ने कहा कि मनमोहन सिंह के नेतृत्ववाली यूपीए सरकार, भारत ही नहीं अब तक की विश्व की सबसे भ्रष्टतम सरकार साबित हो रही है। हमारी मांग है कि सरकार कोयला खदानों के सभी आवंटन रद्द करे। उन्होंने कहा कि कोयला भ्रष्टाचार में सरकार के साथ बराबरी के भागीदार जिंदल और अंबानी जैसे उद्योगपतियों के विरोध में कोई नहीं बोल रहा है। मेरा सभी भ्रष्टाचार विरोधी शक्तियों से आग्रह है कि लूट खसोट में लगे उद्योगपतियों को भी देशहित में बेनकाब किया जाए। गोविंदाचार्य ने गूगल और फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किंग साइटों पर लगाम लगाने की वकालत करते हुए इन पर निगरानी के लिए आवश्यक कानून बनाने की भी मांग की है।