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कैथल।हरियाणा। जाखौली गांव के लोगों ने विद्युत विभाग के जेई पर पैसे लेने के बाद भी बिजली का ट्रांसफार्मर चालू न करने और बिजली की लगातार समस्या से क्षुब्ध होकर कैथल-असंध मार्ग पर जाम लगा दिया। राजकीय स्कूल के सामने लोगों ने विद्युत विभाग और जिला प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। जाम लगाने वालों में ज्यादातर महिलाएं व बच्चे भी शामिल थे। ग्रामीणों का कहना था कि एक महीने से उनकी बस्ती अंधेरे में डूबी हुई है। वे एक माह से विद्युत विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं कर रहा।
जाखौली के ग्रामीणों का आरोप है कि विद्युत विभाग के जेई अशोक चोपड़ा को उन्होंने चंदा एकत्रित करके 20 हजार रुपए दिए, लेकिन उसके बाद भी विभाग के जेई ने उनका ट्रांसफार्मर रखकर लाईट चालू नहीं की।
ग्रामीणों का कहना था कि इस बारे में जब उन्होंने जेई से बिजली चालू कराने की बात कही तो जेई ने बिजली चालू कराने की बजाए उन्हें कहा कि ग्रामीणों को जो कुछ करना है, कर लें बिजली चालू नहीं होगी। ग्रामीणों का कहना था कि करीब एक माह से उनकी बस्ती में अंधेरा छाया हुआ है, पीने के पानी के लिए भी त्राही-त्राही मची हुई है। सुबह खाना बनाने से लेकर पशुओं के लिए चारा काटने तक की भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बोर्ड की परीक्षाएं भी 15 सितंबर से शुरू होने वाली हैं, लेकिन बिजली न मिलने से बच्चों की पढ़ाई भी नहीं हो रही है। बिजली विभाग के अड़ियल रवैए से क्षुब्ध होकर उन्होंने कैथल-असंध मार्ग पर जाम लगाया है।
ग्रामीणों के जाम लगाए जाने के कारण कैथल-असंध, सौंगल व कसान जाने वालों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा है। जाम लगने के कारण सड़क के चारों और वाहनों की लंबी लाइने लग गईं। दर्जनों वाहन व सैकड़ों यात्री फसे रहे। जाम की सूचना पाकर मौके पर तितरम चौकी प्रभारी शेरजंग पुलिस बल सहित मौके पर पहुंचे। उन्होंने समझा बुझाकर प्रदर्शनकारियों को कार्रवाई कराने का आश्वासन दिया और जाम खुलवाया। जेई अशोक चोपड़ा पर आरोप के बारे में जब उनसे बात की गई तो उन्होंने कहा कि उन्होंने ग्रामीणों से जो पैसे लिए थे उनका सामान खरीदकर ग्रामीणों को दे दिया गया है, बिजली सप्लाई चालू करने कराने की जहां तक बात है तो वे उनकी बिजली चालू कर देंगे। जेई इस सवाल का उत्तर नहीं दे सके कि उन्होंने किस नियम और अधिकार के तहत ग्रामीणों से वो पैसे लिए थे, क्योंकि बिजली के सामान का सारा खर्च तो सरकार उठाती है।