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लखनऊ। केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, रहमानखेड़ा लखनऊ ने माल स्थित आदर्श सत्येंद्र महाविद्यालय, में आम उत्पादकों के लिए एक दिवसीय किसान गोष्ठी एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें आम के गुणवत्तायुक्त उत्पादन हेतु बाग प्रबंधन विषय पर चर्चा की गयी। इस अवसर पर आम की उत्पादकता एवं गुणवत्ता में सुधार हेतु बाग़ों का तुड़ाई पूर्व प्रबंधन विषयक फोल्डर का विमोचन भी किया गया।
इस अवसर पर संस्थान के निदेशक डॉ एच रविशंकर ने अपने परिचायक भाषण में बताया कि इस क्षेत्र की आम से जुड़ी समस्याओं के समाधान हेतु राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड गुड़गांव आम की उत्पादकता एवं गुणवत्ता में सुधार हेतु प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के अंतर्गत माल क्षेत्र में वित्त पोषित एक परियोजना चला रहा है। इस परियोजना में कितनाखेड़ा गांव के 20 आम के बागवानों के 1000 आम के वृ़क्षों का प्रबंधन संस्थान के वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में किया जा रहा है। निदेशक ने तकनीकी के सफल हस्तांतरण, तकनीकी अपनाकर अधिक लाभ अर्जित करने पर जोर दिया। उन्होंने किसानों का आह्वान किया कि वो संस्थान की तकनीकी अपनाकर और चयनित कृषकों के साथ मिलकर अधिकाधिक लाभ उठाएं।
बुलंदशहर से आये प्रगतिशील किसान राजवीर सिंह एवं प्रेस सूचना ब्यूरो, लखनऊ के निदेशक अरिमर्दन सिंह ने उत्तर प्रदेश के अन्य भागों में भी इस तरह की गोष्ठी आयोजित करने की अपेक्षा की। अरिमर्दन सिंह ने इस बात पर विशेष जोर दिया कि समस्याग्रस्त मिट्टी एवं जलाभाव वाले क्षेत्रों में आम के नये बाग़ बीजारोपण कर एक वर्ष बाद बीजू पौधों पर वेज कलम बांध कर लगाए जाएं। इन पौधौं में मूसला जड़ विकसित होने के कारण सूख कर मरने की संभावना काफी कम होती है। माल के कृषक भूपेंद्र सिंह एवं विजय सिंह ने आग्रह किया कि इस क्षेत्र में आम की फसल के समय बिजली एवं पानी की अनुपलब्धता आम के गुणवत्तायुक्त उत्पादन में सबसे बड़ी बाधा है।
आम के विभिन्न कीटों के प्रबंधन की चर्चा करते हुए संस्थान के विषय विशेषज्ञ डॉ आरपी शुक्ल ने बताया कि आम के बाग़ों में जाला कीट का काफी प्रकोप है और यदि बाग़वान भाइयों ने इसका समय से प्रबंधन न किया तो अगले वर्ष आम की पैदावार पर बुरा असर पड़ सकता है। इस कीट का अत्यधिक प्रकोप छायादार और घने बाग़ों में हो रहा है। कीट की बढ़ोत्तरी रोकने के लिए कीट से प्रभावित शाखाओं/शीर्षस्थ प्ररोहों की छंटाई करें। केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान लखनऊ में विकसित जाला साफ करने के यंत्र से प्रभावित पत्तियों एवं जाले को खींचकर नष्ट करें। यदि कीट का प्रकोप अधिक है तो क्विनालफास 2 मिली लीटर/लीटर पानी अथवा लैंडासाहिलोथ्रिन 1 मिली लीटर/लीटर पानी की दर से 15 दिनों के अंतराल पर दो बार छिड़काव करें।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल, नयी दिल्ली के पूर्व सदस्य डॉ एसएएच आबिदी ने इस क्षेत्र में आम के गुणवत्तायुक्त उत्पादन हेतु संस्थान में विकसित प्रौद्योगिकियों को अपनाने पर जोर दिया। प्रदेश के उद्यान विभाग के डॉ बीपी राम ने विभाग की योजनाओं एवं समस्याओं से सभी को अवगत कराया। उद्घाटन सत्र के उपरांत तकनीकी सत्र में आम के तुड़ाई पूर्व प्रबंधन से संबंधित जानकारियां डॉ कैलाश कुमार प्रधान वैज्ञानिक, डॉ आरपी शुक्ल अध्यक्ष फसल सुरक्षा, डॉ एके सिंह प्रधान वैज्ञानिक, डॉ बीके पांडेय प्रधान वैज्ञानिक एवं अन्य विषय विशेषज्ञों ने दी। कार्यक्रम का संचालन डॉ अजय वर्मा ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ नीलिमा गर्ग ने किया।