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Friday 21 December 2012 07:51:31 AM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज आसियान-भारत कार रैली के समापन कार्यक्रम के दौरान रैली के प्रतिभागियों का स्वागत किया और कहा है कि इससे हमारे सांस्कृतिक संबंधों में और प्रगाढ़ता आई है। उन्होंने कहा कि भारत में यह पूर्वोत्तर राज्यों के लिए अधिक लाभकारी होगा और मैं पूर्वोत्तर राज्यों में भारत-आसियान संबंधों से जुड़े इन संस्थाओं की स्थापना को बढ़ावा दूंगा। बाईस दिनों में आठ देशों की आठ हजार किलोमीटर की ऐतिहासिक यात्रा सफलतापूर्वक पूरी करके यहां आने के लिए उन्होंने उन 250 छात्रों का स्वागत किया, जिन्होंने सुबह-सुबह इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया और उनकी उपस्थिति से दिल्ली की दिसंबर की ठंड में विशेष गरमाहट आ गई। कई अन्य विशिष्ट अतिथि यहां शामिल हुए, जिसमें 50 आसियान राजनयिक जो दिल्ली स्थित विदेश संस्थान में प्रशिक्षण ले रहे हैं, 30 आसियान किसान जो यहां यात्रा पर आए हैं, भारतीय किसानों की यात्रा का आयोजन करेंगे और इसमें 20 वरिष्ठ संपादक मीडिया से संबंधित हैं, जो आसियान से हैं।
यह कार्यक्रम वैसे प्रतीक और विषय से भरा है, जो साहसिक खेल से भी परे है। यह इस बात को उजागर करता है कि भारत और आसियान भूमि और जल के जरिए साझा सीमा और साझा संस्कृति के साथ एक पड़ोसी की तरह जुड़े हैं। यह पूर्व पीढ़ी के उन व्यापारियों, भिक्षुओं और साहसी लोगों के लिए एक श्रद्धांजलि है, जिन्होंने भाग्य, ज्ञान और आध्यात्मिकता की खोज में इस मार्ग की यात्रा की। पिछले 3 सप्ताह के दौरान कार रैली में भारत और आसियान के बीच दोस्ती के इन प्राचीन संबंधों को फिर से जगाया है। इसने समकालीन समय के दौरान के संबंधों के लिए प्राकृतिक रणनीतिक अनिर्वायता को भी उजागर किया है।
कार रैली के प्रतिभागियों के जरिए कंबोडिया के अंगकोर वाट, इंडोनेशिया के बोरोबुडुर, लाओ के वाट फु, थाइलैंड के सुखोथाई सहित अन्य दर्शनीय स्थानों में उन आर्कषक उपलब्धियों को देखा गया है, जो इन स्थानों में परिलक्षित हो रहे हैं। रैली से भारत के लाखों लोगों को विरासत और प्रगति, हमारे शहर और प्राकृतिक स्थलों, हमारी समरूपता और संभावित सहक्रिया के साथ-साथ हमारी क्षमता और चुनौतियों को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिली है। इस रैली ने काफी स्पष्ट तरीके से भारत और आसियान के बीच अपने सभी आयामों के जरिए संपर्क को मजबूत करने के महत्व पर बल दिया है।
यह रैली आसियान-भारतीय समुदाय की उस दृष्टि का प्रतीक है, जहां लोग, वस्तु, सेवाएं और विचार का स्वतंत्र रूप से आवागमन कर सकते हैं। यह भारत से म्यामांर, लाओस, कंबोडिया, वियतनाम, थाइलैंड के बीच या तो सड़क के जरिए हो, या इंडोनेशिया, फिलिपिंस, ब्रुनेई, मलेशिया तथा सिंगापुर के बीच वायु या समुद्री मार्ग के जरिए हो, हमारा भविष्य संपर्क के बंधन पर निर्भर करेगा, जो हम आने वाले वर्षों में निर्मित करेंगे। यह ढांचागत बंधन डिजिटल संपर्क के जरिए मजबूत हो सकेगा, जो हमारे युवा पीढ़ी को बेहतर नेटवर्क प्रदान करने में मदद करेगा। उसी प्रकार यह वेब संपर्क हमारे क्षेत्र में मौजूद वृहत आर्थिक क्षमता के दोहन, विकास को बढ़ाने के साथ-साथ सामरिक साझेदारी को मजबूत करने में मदद करेगा। उन्होंने भारत-आसियान कार रैली के समापन कार्यक्रम के दौरान एकत्र हुए लोगों, सरकार के सहयेगियों और भारतीय उद्योग परिसंघ की इस ऐतिहासिक पहल के लिए प्रशंसा की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हालांकि हम कार रैली उत्सव मना रहे हैं, वहीं दूसरी ओर समुद्र में मित्रता की एक नई यात्रा शुरू हो रही है, भारतीय नौ-सेना पाल प्रशिक्षण जहाज आईएनएस सुदर्शिनी फिलहाल मनीला में है और यह अपने छ: महिने की 9 आसियान देशों की यात्रा पर है। यह केवल हमारे नजदीकता का ही प्रतिक नहीं है बल्कि यह हमारे साझा समुद्री हितों का भी प्रतिक है। भारत-आसियान संबंध एक रोमांचक चरण में है पिछले दो दशकों के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में हमारे संबंधों में व्यापक प्रगति देखी गई है। कल हमने अपने संबंधों को सामरिक साझेदारी की ओर बढ़ाने और सेवाओं तथा निवेश में मुक्त व्यापार समझौते पर वार्ता के संपन्न होने की घोषणा कर एक नया आयाम बनाया है। यह समझौता एक परिवर्तनकारी समझौता होगा जैसा कि वस्तुओं पर है।