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तेजेंद्र शर्मा की पुस्तक का लोकार्पण और रचना पाठ

उर्मिला शिरीष

पुस्तक लोकार्पण-book release

भोपाल।संस्कृति, साहित्य और ललित कलाओं के लिए समर्पित संस्था स्पंदन भोपाल में स्वराज भवन में लंदन के प्रतिष्ठित कथाकार तेजेंद्र शर्मा की अब तक प्रकाशित संपूर्ण कहानियों के प्रथम खण्ड 'सीधी रेखा की परतें' का एक लोकार्पण समारोह हुआ जिसमे तेजेंद्र शर्मा ने भाषा और शैली से समृद्ध इस संग्रह से अपनी बहुचर्चित कहानी कैंसर का एक अंदाज में पाठ किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार, चिंतक और शिक्षाविद् प्रोफेसर रमेश दवे ने की। मुख्य अतिथि के रूप में प्रख्यात व्यंग्यकार डा ज्ञान चतुर्वेदी विराजमान थे और मध्य प्रदेश शासन के जनसंपर्क आयुक्त मनोज कुमार श्रीवास्तव विशिष्ट अतिथि थे।
मनोज
श्रीवास्तव ने अपने लिखित आलेख का पाठ करते हुए तेजेन्द्र शर्मा की कहानियों को ख़ालिस हिन्दुस्तानी कहानियां बताया। उनका मानना था कि तेजेंद्र की कहानियां करुण हैं, उनके पात्र स्मृतियों में रहते हैं और मृत्यु की अनेक अंतरछवियां इनकी कहानियों में देखने को मिलती हैं। डा आनंद सिंह ने कहा कि तेजेंद्र शर्मा सामान्य कहानीकार नहीं हैं। वे इंटेलिजेंट और नॉलेजेबल कहानीकार हैं। वे घटनाओं का तार्किक चित्रण करते हैं। वे ऐसी पृष्ठभूमि और परिवेश के रचनाकार हैं जिसकी तुलना अन्य किसी रचनाकार से नहीं की जा सकती। वे अपनी कहानियों में महीन आध्यात्मिकता का सृजन करते हैं। उनकी कहानियों में मानवता की समग्र वेदना तरल रूप में काम करती है। तेजेंद्र शर्मा के कहानी पाठ करने के नाटकीय ढंग की भी उन्होंने तारीफ़ की।
मुख्य
अतिथि डा ज्ञान चतुर्वेदी ने कहानी की परम्परा को विस्तार से रखा। प्रेमचन्द से लेकर नये कहानीकारों का ज़िक्र करते हुए उन्होंने प्रत्येक धारा की विशिष्टताओं को रेखांकित किया। डा ज्ञान चतुर्वेदी के अनुसार कहानी में किस्सागोई और भाषा की कलात्मकता और सौन्दर्य बोध होना चाहिये। तेजेंद्र शर्मा की कहानियों में ये तत्व हैं। उन्होंने आगे कहा कि कैंसर एक बड़ी कहानी बनते बनते रह गयी।
कार्यक्रम
की अध्यक्षता कर रहे प्रतिष्ठित साहित्यकार प्रो रमेश दवे ने कहा कि तेजेंद्र शर्मा की कहानियां लोग और रोग के बीच कंट्राडिक्शन को सामने लाती हैं। उनकी कहानियां मृत्यु का बोध करवाती हैं। कैंसर कहानी हो या अन्य, इनमें वैकल्पिक जीवन उभर कर आता है। कहानियां जो व्यक्ति और परिवार की संवेदना को लोक संवेदना में बदल देती हैं। कैंसर जैसी कहानियों में आई करुणा को ट्रांसफ़ॉर्म कर देना रचनात्मक लेखक का फ़र्ज़ बनता है। तेजेंद्र अपनी कहानियों में मानसिक द्वन्द्वों को बख़ूबी निभाते हैं। उनकी सबसे बड़ी ताकत है भाषा का प्रयोग।
कार्यक्रम
का संचालन करते हुए उर्मिला शिरीष ने तेजेंद्र शर्मा के व्यापक अनुभव जगत की बात कही। संस्था के अध्यक्ष डा शिरीष शर्मा और सचिव गायत्री गौड़ ने अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम में अन्य गणमान्य अतिथियों के अतिरिक्त राजेश जोशी, हरि भटनागर, वीरेंद्र जैन, राजेंद्र जोशी, मुकेश वर्मा, स्वाति तिवारी, आशा सिंह और अल्पना नारायण भी उपस्थित थे।

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