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Friday 21 December 2012 08:11:47 AM
देहरादून। उत्तराखंड परिवहन महासंघ कर्मिशियल वाहनों के टैक्स वृद्धि के विरोध में 26 दिसंबर से प्रस्तावित अनिश्चितकालीन हड़ताल को देखते हुए परिवहन मंत्री सुरेन्द्र राकेश की अध्यक्षता में बस, ट्रक, टैक्सी ,आटो, मैक्सकैप संघ के पदाधिकारियों के साथ एक बैठक हुई जिसमें करों में कमी को लेकर अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये, जिनके तहत आटो रिक्शा वाहनों के कर की दरों में वर्तमान में देय करों में वृद्धि को 50 प्रतिशत तक सीमित करने का निर्णय लिया गया। आटो रिक्शा वाहनों के कर जमा करने की अवधि को वार्षिक के स्थान पर त्रैमासिक/वार्षिक/एक बारीय तीनों विकल्प प्रदान किये जाने का भी निर्णय लिया गया। अब वाहन स्वामी अपनी सुविधानुसार किसी भी विकल्प को चुन सकता है।
तीसरे महत्वपूर्ण निर्णय में नगर बसों के कर की दरों में जिस मद में 50 प्रतिशत से अधिक वृद्धि हुई है, में संशोधन का निर्णय लिया गया। नगर बस सेवा में मासिक आधार पर कर जमा कराने की मांग परिवहन मंत्री ने स्वीकार की। एक अन्य महत्वपूर्ण निर्णय में मैक्सी कैब वाहनों में वर्तमान में देय करों में वृद्धि को 20 प्रतिशत तक सीमित करने का निर्णय लिया गया। वहीं दूसरी ओर टैक्सी कैब वाहनों में वर्तमान में देय करों में वृद्धि को 40 प्रतिशत तक सीमित करने का निर्णय लिया गया। समस्त वाहनों के समर्पण शुल्क को मात्र 100 रुपये करने का निर्णय लिया गया।
एक अन्य महत्वपूर्ण निर्णय में चालकों के रिफ्रेशर कोर्स की फीस में काफी कमी की गयी, अब 750 रूपए के स्थान पर स्मार्ट क्लास हेतु 380 रूपए एवं साधारण क्लास हेतु 160 रूपए शुल्क निर्धारण किया गया तथा वाहन चालकों की समस्या को ध्यान में रखते हुए रिफे्सर कोर्स के लिए राज्य के 34 चालक प्रशिक्षण स्कूलों को अधिकृत कर दिया गया है। चारधाम यात्रा पर जाने वाले वाहनों से निरीक्षण शुल्क एक ही बार लिया जाएगा। ज्ञातव्य है कि चारधाम यात्रा पर जाने वाली वाहनों के लिए उत्तराखंड मोटरयान नियमावली, 2011 के अंतर्गत 2 माह का ग्रीन कार्ड जारी करने की व्यवस्था है।
एक अन्य निर्णय में 20 वर्ष से अधिक आयु वाले माल वाहन तथा माल वाहन के ऐसे माडल, जिनका पहाड़ पर संचालन अनुमन्य नहीं है, के कर की दरों में संशोधन करते हुए उसे युक्तिसंगत 230 रूपए से घटाकर 200 रूपए प्रति टन किया गया। मंजिली गाड़ियों के लिये न्यूनतम स्लैब 3000 किलोमीटर से घटाकर 2500 किलोमीटर की गयी है। बैठक में निर्णय लिया गया कि नये विक्रम वाहनों का पंजीयन 6$1 में ही किया जायेगा, इसके लिए वाहनों में चालक के बगल में कोई सीट नहीं लगायी जायेगी। पूर्व में 7$1 में पंजीकृत वाहनों में यथास्थिति बनाये रखने का निर्णय लिया गया।
विक्रम एवं आटो रिक्शा वाहनों के स्वामियों एवं चालकों को निर्देश दिए गए कि यदि सवारियों से निर्धारत दर से अधिक किराया वसूलने की शिकायतें प्राप्त हुईं, तो दोषी स्वामी/चालक के विरूद्ध परमिट निरस्तीकरण सहित कानूनी कार्रवाई भी अमल में लायी जायेगी। यदि विक्रम वाहनों में निर्धारित क्षमता से अधिक सवारी बैठी पायी जायेगी तो उनके परमिट निरस्तीकरण की कार्यवाही के साथ-साथ अतिरिक्त सीट पर भारी जुर्माना भी वसूला जायेगा।
परिवहन मंत्री सुरेंद्र राकेश ने कहा कि उत्तराखंड परिवहन महासंघ ने मुख्यमंत्री से भी करों को कम करने की अपेक्षा की थी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की पहल तथा स्वयं उनकी सोच के कारण उत्तराखंड परिवहन महासंघ की शत-प्रतिशत मागों को सरकार ने मान लिया है। जहां एक ओर सरकार ने परिवहन व्यवसाय से जुड़े लोगों को राहत दी है, वहीं उनसे अपेक्षा की है कि वे सवारियों से निर्धारित दरों से अधिक वसूली नहीं करेंगे, ऐसा करने वाले वाहन स्वामी एवं चालकों के विरूद्ध कड़ी कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा कि जनता को यातायात, निर्धारित दर से अधिक किराया देने, ओवरलोडिग की समस्याओं से रू-ब-रू न होना पड़े।
शिक्षा मंत्री, मंत्री प्रसाद नैथानी ने उत्तराखंड परिवहन महासंघ तथा परिवहन मंत्री की वार्ता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और कहा कि सरकार ने परिवहन महासंघ के साथ विस्तार से वार्ता की और करों में भारी कमी कर राहत देने की पूरी कोशिश की गयी है। इस अवसर पर उत्तराखंड परिवहन महासंघ के अध्यक्ष संजय शास्त्री ने सरकार से सफल वार्ता के लिए परिवहन मंत्री, शिक्षा मंत्री, रायपुर विधान क्षेत्र के विधायक उमेश शर्मा काऊ की सराहना की। शास्त्री ने लिये गए निर्णयों को ट्रांसपोर्टरों के साथ विचार-विमर्श कर हड़ताल वापस लेने का आश्वासन दिया।
इस अवसर पर अध्यक्ष महासंघ उमा नरेश तिवारी, संयोजक देहरादून महासंघ त्रिलोक सिंह भंडारी, बस यूनियन गढ़वाल के कुंवर सिंह रावत, जीएमओयू के अनिल वरगली, टीजीएमओयू के जितेंद्र सिंह नेगी, मनोज ध्यानी, टाटा मैजिक के अजय मिश्रा, एमडी परिवहन नितेश झा, आरटीओ सुधाशुं गर्ग, एआरटीओ संदीप सैनी, शैलेश कुमार तिवारी आदि उपस्थित थे।