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निर्मल भारत अभियान पर राष्‍ट्रीय विचार-विमर्श

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Sunday 23 December 2012 04:34:01 AM

नई दिल्ली। पेयजल और स्‍वच्‍छता मंत्रालय ने ग्रामीण स्‍वच्‍छता के प्रभारी राज्‍य मंत्रियों और सचिवों के साथ कल नई दिल्‍ली में दो दिवसीय राष्‍ट्रीय विचार-विमर्श का आयोजन किया। इसकी अध्‍यक्षता पेयजल और स्‍वच्‍छता मंत्री भरत सिंह सोलंकी ने की। उन्होंने कहा कि निर्मल भारत अभियान (एनबीए) के अंतर्गत 2020 तक देश को खुले में शौच करने से शत-प्रतिशत मुक्‍त बनाने का लक्ष्‍य निर्धारित किया गया है, जिसे इससे पहले ही प्राप्‍त कर लिया जाना चाहिए।
बारहवीं पंचवर्षीय योजना में एनबीए के अंतर्गत पहले वर्ष में ग्रामीण क्षेत्रों में स्‍वच्‍छता के निर्माण और उपयोग में महत्‍वपूर्ण परिवर्तन लाने का प्रयास किया गया और न केवल बीपीएल परिवारों को बल्कि अनुसूचित जातियों और जनजातियों, छोटे और सीमांत किसानों, भूमिहीन मज़दूरों और विकलांग आदि को प्रोत्‍साहन राशि देने के लिए अधिक प्रावधान किए गये। खुले में शौच जाना ग्रामीण क्षेत्रों की एक बड़ी समस्‍या है, जिससे महिलाओं और बच्‍चों को अधिक समस्‍याओं का सामना करना पड़ता है। समग्र स्‍वच्‍छता अभियान को 2012 में निर्मल भारत अभियान में परिवर्तित किया गया है। इस अभियान के अंतर्गत व्‍यक्तिगत शौचालय निर्माण के लिए इकाई परियोजना लागत बढ़ाकर 10,000 रूपये कर दी गई है।
केंद्रीय ग्रामीण स्‍वच्‍छता कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्रों में सफाई सुविधाएं उपलब्‍ध कराने के लिए 1986 में शुरू किया गया था, लेकिन कम वित्‍तीय आवंटन के कारण इसका प्रभाव कम रहा। वर्ष 2012 में टीएससी को निर्मल भारत अभियान के रूप में परिवर्तित किया गया और ग्रामीण क्षेत्रों में सफाई कवरेज़ की गति को और बढ़ाने के लिए दिशा-निर्देशों और उद्देश्‍यों को संशोधित किया गया। इसके अंतर्गत प्रोत्‍साहन राशि को बढ़ाकर 4600 रूपये (3200 केंद्र से और 1400 रूपये राज्‍य से) कर दिया गया है। पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्रों में केंद्र की ओर से 500 रूपये और देने का प्रावधान है। मनरेगा के अंतर्गत सभी वां‍छनीय लाभार्थियों को आईएचएचएल के अनुसार 4500 रूपये की अतिरिक्‍त वित्‍तीय सहायता उपलब्‍ध करायी गई है।
दो दिन तक चले विचार-विमर्श के दौरान एनबीए के शुरू होने के बाद राज्‍यों की वस्‍तुगत और वित्‍तीय प्रगति की समीक्षा, एनबीए मनरेगा कन्‍वर्जेंस लागू करने की समीक्षा, नये एनजीपी मार्गदर्शनों को लागू करना, स्‍वच्‍छता निगरानी ढांचे की समीक्षा, एनजीओ और अंतर्राष्‍ट्रीय संसाधन एजेंसियों की भूमिका की समीक्षा और शत-प्रतिशत शौच मुक्‍त बनाने की समयावधि आदि पर ध्‍यान केंद्रित किया गया।

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