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बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक 2012 की प्रमुख बातें

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Sunday 23 December 2012 04:42:04 AM

नई दिल्ली। बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक 2011 को बैंकिंग नियामक कानून, 1949, बैंकिंग कंपनीज़ (अधिग्रहण एवं उपक्रमों का हस्‍तांतरण) कानून 1970/1980 में संशोधन के लिए पेश किया गया था। यह विधेयक संसद के दोनों सदनों से इसी शीतकालीन सत्र में पारित हो गया है। यह विधेयक भारतीय रिज़र्व बैंक की नियामक शक्तियों को और मजबूत करेगा। इससे देश के बैंकिंग क्षेत्र का विकास होगा। इससे राष्‍ट्रीयकृत बैंक प्रफरेंस शेयर या राइट्स इश्‍यू या बोनस शेयर जारी कर पूंजी जुटाने में सक्षम हो सकेंगे। नये कानून से बैंक सरकार और आरबीआई की अनुमति से 3000 करोड़ रूपये की सीमा के दायरे आये बिना अधिकृत पूंजी को घटाने या बढ़ाने में भी सक्षम होंगे।
इसके अलावा, यह विधेयक आरबीआई द्वारा नये बैंकों के लिए लाईसेंस का रास्‍ता भी खोलेगा, जिससे नये बैंक और उनकी शाखाएं खुलने में मदद मिलेगी। इससे बैंकिंग सुविधाओं में और बढ़ोत्‍तरी करके न सिर्फ वित्‍तीय समावेश के लक्ष्‍य को हासिल करने में मदद मिलेगी, बल्कि बैंकिंग क्षेत्र में रोज़गार की अतिरिक्‍त संभावनाएं भी बढ़ेंगी। इस विधेयक की कुछ और भी महत्‍वपूर्ण बातें हैं। आरबीआई के नियामक दिशा-निर्देशों के अनुसार बैंकिंग कंपनियां प्रफरेंस शेयर जारी करने में सक्षम होंगी। मताधिकार पर प्रतिबंधों की अधिकतम सीमा बढ़ेगी। जमाकर्ताओं के लिए शिक्षा एवं जागरूकता फंड का निर्माण हुआ।
किसी व्‍यक्ति द्वारा बैंकिंग कंपनी में पांच प्रतिशत या अधिक के शेयरों के अधिग्रहण या मताधिकार के लिए आरबीआई की पूर्व अनुमति उपलब्‍ध होगी। बैंकिंग कंपनियों के बारे में सूचनाएं एकत्र करने और उनकी सहयोगी इकाईयों की जांच करने में आरबीआई और सक्षम होगा। बैंकिंग कंपनी के निदेशक मंडल को हटाना और अगामी व्‍यवस्‍था तक प्रशासक की नियुक्ति में आरबीआई की शक्ति बढ़ाना। आरबीआई से लाईसेंस प्राप्‍त करने के बाद ही बैंकिंग व्‍यवसाय के संचालन के लिए प्राथमिक कॉ-आप‍रेटिव सोसायटी की सुविधा। आरबीआई की अनुमति पर धारा-30 को लागू करते हुए कॉ-आपरेटिव बैंकों को विशेष लेखा परीक्षण की सुविधा।
बोनस और राईट्स इश्‍यू के जरिए राष्‍ट्रीकृत बैंक, पूंजी जुटाने में सक्षम होंगे, इससे बैंकिंग कंपनी (अधिग्रहण एवं उपक्रमों का हस्‍तांतरण) कानून, 1970/1980 के तहत सरकार और आरबीआई की अनुमति से बैंक 3000 करोड़ रूपये की अधितम सीमा के दायरे में आए बिना अपनी पूंजी घटाने या बढ़ाने में सक्षम हो सकेंगे। वित्‍तीय मामलों पर 13 दिसंबर, 2011 को जारी स्‍थाई समिति की रिपोर्ट में की गई सिफारिशों के आधार पर कुछ अतिरिक्‍त संशोधन का प्रस्‍ताव किया गया और इस कानून को सुधार के साथ पारित किया गया जैसे-बैंकों में मताधिकार 26 प्रतिशत तक प्रतिबंधित किया जा सकता है। जमाकर्ताओं की शिक्षा एवं जागरूकता फंड का इस्‍तेमाल जमाकर्ताओं के हितों के संवर्धन के उद्देश्‍य हो सकता है।

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