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Sunday 23 December 2012 05:42:29 AM
लखनऊ। शिक्षा की एक रौशनी समाज में इस तरह उजाला फैलाती है कि जहालत का नामो निशान मिट जाता है। आल इंडिया जमात-ए-सलमानी बिरादरी के अध्यक्ष हाजी इस्लाम कमर सलमानी ने बतौर मुख्य अतिथि पद से बोलते हुए समाज से शिक्षा के लिए एक जुट होने का आह्वान किया। विशिष्ट अतिथि और उत्तर प्रदेश के पर्यटन राज्य मंत्री ठाकुर मूल चंद्र चौहान ने सम्बोधित करते हुए कहा कि पिछड़े मुसलमानों में सर्वाधिक आबादी सलमानी समाज की है, लेकिन उनके एकजुट नहीं होने से इनकी ताकत का पता नहीं चलता। यह खुशी की बात है कि आज यह समाज एकजुट होने का प्रयास कर रहा है।
जमात के उपाध्यक्ष खैरूल बसर सलमानी ने कहा कि मानवीय रूप से प्रशिक्षित युवा ही समाज को नयी दिशा दे सकता है। समाज को ज्ञान के साथ-साथ बोध की भी आवश्यकता है। मुख्य आयोजक डॉ मजहर अली ने बिरादरी का स्वागत किया और बताया कि सलमानी बिरादरी का लौंगिक अनुपात प्रति हजार पुरूष पर 1688 महिलाएं है जबकि भारत का 940 है एवं उत्तर प्रदेश का अनुपात 908 है। यह आंकड़ा बताता है कि भारतीय मुसलमान (सलमानी) मानसिक रूप से कितना मजबूत है एवं बेटी को बचा कर अंतर्राष्ट्रीय पटल पर भारत की लाज बचाने की कोशिश कर रहा है। राष्ट्रीय महासचिव डॉ एम सिराज सलमानी ने आंदोलन की रूपरेखा बनाने पर बल दिया और कहा कि जोश के साथ-साथ होश की भी आवश्यकता है। प्रदेश सचिव गुलाम अली सलमानी एडवोकेट ने 11 अप्रैल 1920 को समाज के लिए ऐतिहासिक दिन बताया और इस बात पर सहमति बनी कि 11 अप्रैल को सलमानी दिवस मनाया जाए। यूथ बिग्रेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष फरीद सलमानी ने युवाओं की शैक्षिक स्थिति को मजबूत बनाने पर बल दिया।
वैज्ञानिक प्रोफेसर अरशद सलमानी ने समाज की शैक्षणिक,आर्थिक, समाजिक स्थितियों का शोध परख मूल्यांकन करके उसके विकास की रूपरेखा तय किये जाने की अवश्यकता बतायी। सलमानी समाज की स्टेट कांफ्रेंस की अध्यक्षता कर रहे जलील अहमद सलमानी (सहायक निदेशक सूचना विभाग उत्तर प्रदेश सरकार) ने कहा कि हमें अपनी वास्तविक स्थिति का पता करके सकारात्मक सोच के साथ काम करना चाहिए, क्योंकि आंखो को बंद कर लेने से सूरज की रोशनी कम नहीं हो जाती। समारोह का संचालन सलीम बस्तवी ने किया। समारोह को रासिद सलमानी प्रदेश अध्यक्ष, सगीर सलमानी, महदी हसन महाराष्ट्र इकाई, मुस्तकीम, फैजुररहमान, मोहम्मद आजम इत्यादि ने सम्बोधित किया।