स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Friday 28 December 2012 06:47:02 AM
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने राष्ट्रीय विकास परिषद की बैठक को संबोधित करते हुए बारहवीं पंचवर्षीय योजना के लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु मूल ढांचागत सुविधाओं के विकास को वरीयता देने पर जोर दिया है। उन्होंने मांग की कि केंद्र किसानों को सस्ते दर पर ऋण मुहैया कराए, लघु एवं सीमांत किसानों की बहुलता के दृष्टिगत डीजल के दामों में बढ़ोत्तरी न की जाए, विद्युत परियोजनाओं के लिए केंद्र कोयला आवंटन करे और केंद्र बुंदेलखंड, पूर्वांचल तथा रूहेलखंड क्षेत्र में भी एम्स जैसे संस्थान स्थापित करने की पहल करे।
अखिलेश यादव ने कल विज्ञान भवन में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में विकास परिषद की बैठक में कहा कि 8.5 प्रतिशत विकास दर प्राप्त करने लिए कृषि के लिए 4.9, उद्योग के लिये 7.1 तथा सेवा क्षेत्र के लिए 10.9 प्रतिशत की विकास दर प्राप्त करने के लिए लगभग 16.70 लाख करोड़ रूपये निवेश की आवश्यकता होगी, यदि भारत सरकार का सकारात्मक सहयोग प्राप्त हुआ तो राज्य में निवेश में इजाफा होगा और राज्य सरकार इस लक्ष्य को अवश्य प्राप्त कर लेगी। मुख्यमंत्री ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि बारहवीं पंचवर्षीय योजना में जहां केंद्र हेतु सकल बजटरी सपोर्ट में वृद्धि की गई है, वहीं दूसरी ओर राज्यों को केंद्रीय सहायता के रूप में मिलने वाली सकल बजटरी सपोर्ट में कमी कर दी गयी है। इससे राज्यों की विकास योजनाएं प्रभावित होंगी। राज्यों के वित्तीय संसाधन पहले ही सीमित हैं, जिन्हें एफआरबीएम एक्ट के माध्यम से और भी सीमित कर दिया गया है। उन्होंने आग्रह किया कि राज्यों को भी केंद्र की भांति अतिरिक्त संसाधन जुटाने के लिए एफआरबीएम में फलेक्सीबिलिटी दी जानी चाहिए।
अखिलेश यादव ने कहा कि प्रदेश में कृषि क्षेत्र को सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान करते हुए ऐसे सभी कार्यकलापों को प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिनसे उत्पादन के साथ-साथ उत्पादकता में भी वृद्धि हो। उन्होंने देश में दूसरी हरित क्रान्ति लाने की चर्चा करते हुए कहा कि किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिया जाना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने ऊसर, बीहड़, बंजर एवं जल भराव की समस्याग्रस्त भूमि को सुधार कर खेती योग्य बनाने की योजना शुरु की है।भारत सरकार ने गन्ना मूल्य 170 रुपए प्रति कुंतल निर्धारित किया है, जबकि राज्य सरकार ने चीनी मिलों को होने वाली सकल आय तथा किसानों की गन्ना उत्पादन की लागत को दृष्टिगत रखते हुए किसानों को उचित मूल्य देने के उद्देश्य से राज्य समर्थित मूल्य 280 रुपए प्रति कुंतल निर्धारित किया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के इस निर्णय से गन्ना किसानों को लगभग 21,500 करोड़ रुपए का भुगतान प्राप्त होगा।
मुख्यमंत्री ने कृषि विकास के लिए किसानों को सस्ते दर पर ऋण मुहैया कराने की मांग करते हुए कहा कि कृषि विविधीकरण के क्षेत्रों में राज्य सरकार ने 10 प्रतिशत से अधिक विकास दर प्राप्त करने के लिए आवश्यक प्रबंध किए हैं। उन्होंने केंद्र सरकार से नयी तकनीक उपलब्ध कराने, अवस्थापना सुविधाओं के विस्तार तथा विपणन समर्थन पर विशेष बल दिये जाने का आग्रह किया। प्रदेश में 90 प्रतिशत से अधिक लघु एवं सीमांत श्रेणी के किसानों की संख्या को दृष्टिगत रखते हुए उन्होंने केंद्र सरकार से डीजल के दामों में वृद्धि न करने का अनुरोध किया। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत आपूर्ति में सुधार और नलकूपों के लिए बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु स्वतंत्र फीडर लाइन योजना के लिए केंद्र से वित्त पोषण किये जाने के लिए सहयोग की अपेक्षा भी की।
यादव ने बताया कि प्रदेश में सुदृढ़ अवस्थापना व्यवस्था की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए लखनऊ से आगरा तक आठ लेन प्रवेश नियंत्रित एक्सप्रेस-वे का निर्माण किया जायेगा। उन्होंने बताया कि सभी जिला मुख्यालयों को चार लेन सड़कों से जोड़ा जा रहा है। प्रदेश में सड़क नेटवर्क को सुदृढ़ करते हुए लखनऊ से बहराइच होते हुए नेपाल सीमा पर रुपईडीहा तक तथा गोरखपुर से वाराणसी सड़क को चार लेन करने की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने भारत सरकार से सहयोग की अपेक्षा की है। उन्होंने राज्य में पर्यटन विकास की असीम संभावनाओं के दृष्टिगत कुशीनगर तथा आगरा के निकट अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा स्थापित करने में केंद्र की भागीदारी आवश्यक बताई।
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने बताया कि औद्योगिक विकास को गति प्रदान करने और अपेक्षित निवेश जुटाये के लिए राज्य सरकार ने अवस्थापना एवं औद्योगिक निवेश नीति, 2012 बनायी है, जिसमें पूर्वांचल एवं बुन्देलखंड क्षेत्रों में पूंजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्राविधान किये गये है। अवस्थापना सुविधाओं के विकास में निजी क्षेत्र की सहभागिता को इस नीति का प्रमुख अंग बनाया गया है। उन्होंने बताया कि विद्युत की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए लगभग 16000 मेगावाट अतिरिक्त विद्युत क्षमता सृजित करने की परियोजनाओं पर कार्य शुरु कर दिया गया है, परंतु कोयले की व्यवस्था न होने के कारण इन परियोजनाओं में प्रगति नहीं हो पा रही है। इसी प्रकार निजी क्षेत्र में स्थापित होने वाली 7 विद्युत परियोजनाओं हेतु कोयला आवंटन के अनुरोध पर भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। उन्होंने निजी क्षेत्र की परियोजनाओं के लिए केंद्र सरकार से तत्काल कोयला आवंटन की व्यवस्था करने की मांग की।
यादव ने शिक्षा, स्वास्थ्य एवं कृषि क्षेत्रों के विकास पर विशेष ध्यान देने का आग्रह करते हुए कहा कि देश को साक्षर बनाने के लिए विशेष प्रयास किये जाएं। उन्होंने विभिन्न वर्गों के जरूरतमंद विद्यार्थियों के लिए बिना किसी भेदभाव के छात्रवृत्ति की व्यवस्था करने का अनुरोध किया। रायबरेली में एम्स की स्थापना के लिए राज्य सरकार द्वारा निःशुल्क भूमि उपलब्ध कराने के निर्णय की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए बुंदेलखंड, पूर्वांचल तथा रूहेलखंड क्षेत्र में भी एम्स जैसे संस्थान स्थापित किये जाने चाहिए। जापानी इंसेफलाइटिस की रोकथाम के लिए मेडिकल रिसर्च, सम्पूर्ण चिकित्सीय कवरेज के साथ-साथ चिकित्सीय व सामान्य नगरीय अवस्थापना सुविधाओं हेतु शत-प्रतिशत तकनीकी एवं वित्तीय सहायता केंद्र सरकार उपलब्ध कराए। उन्होंने प्रदेश में कैंसर इलाज के लिए आधुनिकतम चिकित्सालय खोलने में केंद्र सरकार से सहयोग की अपेक्षा करते हुए एड्स कन्ट्रोल के लिए भारत सरकार द्वारा प्रदेश को दी जा रही आर्थिक एवं तकनीकी सहायता में भी बढ़ोत्तरी की जरूरत बतायी।
मुख्यमंत्री ने व्यवसायिक शिक्षा को नई दिशा देने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि आईटीआई, पालीटेक्निक कालेजों की संख्या एवं स्तर में आमूल चूल परिवर्तन किया जाए। उन्होंने राज्य की व्यापकता एवं जनसंख्या के दृष्टिगत कम से कम दो और इंडियन इंस्टीट्यट आफ टेक्नालाजी स्थापित किये जाने की मांग की। यादव ने केंद्र पुरोनिधानित योजनाओं पर गठित बीके चतुर्वेदी समिति की संस्तुतियों को स्वीकार करते हुए तत्काल लागू किये जाने की मांग की। उन्होंने बुंदेलखंड, पूर्वांचल तथा मध्य उत्तर प्रदेश की विशिष्ट भौगोलिक, आर्थिक एवं सामाजिक परिस्थितियों को देखते हुए इनके त्वरित विकास के लिए विशेष व्यवस्था किये जाने का अनुरोध भी किया। उन्होंने बुन्देलखंड क्षेत्र हेतु स्वीकृत पैकेज को नाकाफी बताते हुए इस क्षेत्र के पिछड़ेपन को राष्ट्रीय समस्या के रूप में स्वीकार करते हुए समुचित संसाधन उपलब्ध कराये जाने की अपेक्षा की।
बैठक में विभिन्न प्रदेशों के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री सहित उत्तर प्रदेश योजना आयोग के उपाध्यक्ष नवीन चंद्र बाजपेयी, मुख्य सचिव जावेद उस्मानी, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री राकेश गर्ग, प्रमुख सचिव वित्त आनंद मिश्रा, प्रमुख सचिव योजना संजीव नायर, स्थानिक आयुक्त नीरज कुमार गुप्ता आदि उपस्थित थे।