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Sunday 30 December 2012 07:03:33 AM
लखनऊ। केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान ने कल अपने रहमानखेड़ा परिसर में उत्पादकों, आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधकों, उद्यमियों, व्यवसायिकों, वित्तीय संस्थाओं एवं उपभोक्ताओं आदि विभिन्न सहभागियों हेतु बागवानी उद्योग संबंधी चुनौतियों के विभिन्न मुददों पर चर्चा करने के लिए एक दिवसीय सहभागी परामर्श बैठक आयोजित की, जिससे कि उत्पादकता, गुणवत्ता, लाभ तथा निरंतर रूप विषयक प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित की जा सके। इस अवसर पर मुख्य अतिथि विश्व विख्यात कृषि वैज्ञानिक एवं पूर्व कुलपति, हिमांचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, डॉ डीएस राठौर ने बागवानों को समय के साथ चलने की सलाह दी और सूचना क्रांति के इस दौर में नवीनतम ज्ञान का उपयोग करने को कहा।
उन्होंने कहा कि यदि बागवान भाई संगठित होकर आगे आएंगे, तभी वे सरकारी योजनाओं का समुचित लाभ ले सकेंगे और उनकी आमदनी बढ़ेगी। इस अवसर पर डॉ आरपी सिंह, पूर्व कुलपति, उदयपुर कृषि विश्वविद्यालय ने भी संस्थान के प्रयासों की प्रशंसा की तथा भारी संख्या में बागवानों को संस्थान से मार्गदर्शन प्राप्त करने की सलाह दी। पूर्व उपमहानिदेशक (बागवानी) भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली, डॉ केके जिंदल ने हिमांचल प्रदेश की तरह उत्तर प्रदेश में भी बागवानी के विकास पर जोर दिया तथा कृषकों से कृषि से बागवानी की तरफ बढ़ने की सलाह दी, परंपरागत फसलों के साथ नई फसलों को बढ़ाने के साथ ही पालीहाउस में बेमौसमी सब्जियों के उत्पादन को भी बढ़ाने पर जोर दिया।
दिल्ली से आये कृषि वैज्ञानिक डॉ केआर कौंडल ने किसानों का आह्वान किया कि वह शोध संस्थानों के संपर्क में रहेंगे तो अवश्य लाभांवित रहेंगे। देश में कृषि उत्पादों के विपणन हेतु अच्छी श्रृंखला की आवश्यकता है, तभी किसानों को अच्छा लाभ मिल पाएगा। फल वैज्ञानिक डॉ एएम गोस्वामी ने भी इस बात पर जोर दिया कि बागवानी के विकास के साथ-साथ प्रसंस्करण हेतु औद्योगिक विकास भी आवश्यक है। डॉ मथुरा राय पूर्व निदेशक, भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान वाराणसी ने उन्नत प्रजातियों एवं नवीनतम तकनीकियों को अपनाकर उत्पादकता एवं आमदनी बढ़ाने की सलाह दी। उन्होंने इस प्रकार से लाभांवित कई उदाहरण भी प्रस्तुत किये।
संस्थान प्रबंध समिति के सदस्य एवं बुलंदशहर जनपद के प्रगतिशील बागवान राजवीर सिंह ने नवीनतम तकनीकों की आवश्यकता पर जोर दिया। संस्थान प्रबंध समिति के एक अन्य सदस्य बुलंदशहर के प्रगतिशील किसान केके शर्मा ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार ने किसानों के लाभ हेतु अनेक योजनाएं बनायी हैं, किंतु उनका उचित लाभ वास्तविक किसानों को नहीं मिल रहा है। अतः किसानों को जागरूक होने की आवश्यकता है, ताकि वह सरकारी योजनाओं, सब्सिडी का लाभ ले सकें। संस्थान के निदेशक डॉ एच रविशंकर ने किसानों से अपील की कि वो अपनी सभी समस्याएं संस्थान को अवश्य सूचित करें, ताकि उन पर शोध करके उचित समाधान प्राप्त किया जा सके, संस्थान इस प्रकार के कार्यक्रम वर्ष में दो बार आयोजित करता है।
कार्यक्रम में प्रदेश के विभिन्न जनपदों से आये लगभग 100 बागवानों ने अपनी समस्याओं के समाधान हेतु वैज्ञानिकों से चर्चा की। इस कार्यक्रम में फल उत्पादकों, सब्जी उत्पादकों, उद्यमियों, राज्य बागवानी विभाग, वित्तीय संस्थानों, के लोगों ने विशेषज्ञों से अपनी आशंकाओं के निराकरण किये। एक विशेष प्रारूप के माध्यम से सभी सहभागियों के विचार एकत्रित किये गये जिनका अध्ययन कर शोधपरक प्रमुख बिंदुओं को पहचाना जायेगा।