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Monday 31 December 2012 06:52:26 AM
नई दिल्ली। भारत दुनिया का सबसे अधिक दूध उत्पादन करने वाला देश है। इस वित्त वर्ष में भारत में 13 करोड़ 30 लाख टन से अधिक दूध का उत्पादन होने की संभावना है। आज से 25 वर्ष पहले 1986-87 में देश में दूध का उत्पादन 4 करोड़ 67 लाख टन था। विभिन्न पशु उत्पादों की मात्रा में पिछले वर्षों में बढ़ोतरी हुई है। न केवल दूध में, बल्कि मांस और अंडों के उत्पादन में भी वृद्धि हुई है, जिससे इन पौष्टिक आहारों की उपलब्धता बेहतर हुई है।
रोज़गार और आय सुरक्षा की दृष्टि से भी मवेशी अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण हैं। भारत में छोटे, मझौले और अत्यंत छोटे किसानों के पास, जिनकी जोत चार हेक्टेयर से भी कम है, 87.7 प्रतिशत मवेशी हैं। यह तथ्य सामने आया है कि जिन छोटे और अत्यंत छोटे किसानों के पास मवेशी हैं, वे सूखे के असर का बेहतर मुकाबला कर सकते हैं। पिछले पांच वर्षों में दूध, मांस और अंडों का खासा उत्पादन हुआ है।
भारत लगातार विश्व में सबसे अधिक दूध का उत्पादन करने वाला देश बना हुआ है। 2011-12 में अनुमानत: 12 करोड़ 79 लाख टन दूध का उत्पादन हुआ और इस वर्ष इसका उत्पादन 13 करोड़ 37 लाख टन होने की संभावना है। राष्ट्रीय स्तर पर 2007-08 में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 260 ग्राम दैनिक थी, जो 2011-12 में बढ़कर 290 ग्राम हो गई।
मवेशी, भैंस, भेड़, बकरी, सुअर और मुर्गी पालन से 2011-12 में लगभग 55 लाख 10 हजार टन मांस का उत्पादन हुआ, जो 2012-13 में 59 टन होने की संभावना है। वर्ष 2011-12 में अंडों का उत्पादन लगभग 66 अरब 45 करोड़ था। 2012-13 में इसके 72 अरब 50 करोड़ तक पहुंचने की संभावना है। अनुमानों के अनुसार 2010-11 में 1,60,424 करोड़ रूपये के दूध, 41,933 करोड़ रूपये के मांस और 8,052 करोड़ रूपये मूल्य के अंडों का उत्पादन हुआ (2004-05 के स्थिर मूल्य के आधार पर)। 2010-11 के दौरान पशुधन के क्षेत्र का सकल घरेलू उत्पाद में 3.64 प्रतिशत का योगदान रहा।