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लखनऊ। निःशुल्क और अनिवार्यिशक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 से उपजी चुनौतियों और संभावनाओं पर बेसिक शिक्षा मंच के दो दिवसीय राज्य स्तरीय सम्मेलन में शिक्षा अधिनियम की समीक्षा और इसके बेहतर क्रियान्वयन के लिये उपयुक्त नियमों आदि को लेकर काफी लंबी चर्चा हुई जिसमें स्पष्ट सुझाव सामने आए और एक राज्यव्यापी माहौल बनाने की शुरूआत हो पायी। इसका आयोजन लोकमित्र ने एक्शनएड व आक्सफैम इंडिया के सहयोग से किया था।
ग्यारह बिन्दुओं पर विभिन्न समूहों से उपजे विचारों को सुनने के बाद पूर्व अपर निदेशक शिक्षा पवनेश कुमार ने कहा कि सभी बच्चों को शिक्षा मिल पाने के लिये शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाना होगा, इसके लिये अभिभावकों की स्कूल स्तरीय समिति को शिक्षक से मांग करनी होगी, शिक्षक उन मांगों की पूर्ति कर पायें इसके लिये यह जरूरी है कि उन्हें उपयुक्त स्वायत्तता और सीखने के अवसर मिलें। उन्हीं के विचारों से अपने को जोड़ते हुए श्रीकृष्ण मोहन त्रिपाठी (पूर्व निदेशक सीमैट एवं माध्यमिक िशक्षा) ने कहा कि स्कूल बाल मन के अनुरूप हो पाएं इसके लिये प्रधानाध्यापकों में लीडरशिप का होना बहुत महत्वपूर्ण है। शिक्षकों को प्रधानाध्यापक के रूप में स्कूल की बेहतरी के लिए अभिभावकों और स्कूल प्रबंधन समिति के प्रति जवाबदेह होने की जरूरत है। हरेक स्कूल में सभी बच्चों को शिक्षा से जोड़ने और उन्हें आठ साल की पढ़ाई के अनुरूप ज्ञान बढ़ाने की योजना बनानी चाहिए।
इंस्टीट्यूट आफ इंजीनियर, लखनऊ में हुई इस कार्यशाला में विस्तृत चर्चा से निकली मांगों को सुनने के बाद मलिहाबाद के विधायक डा सिद्धार्थ शंकर ने कहा कि शिक्षा अधिकार कानून का बेहतर क्रियांवयन सिर्फ न्याय व्यवस्था की सक्रियता से ही नही हो पाएगा। पोषण, स्वास्थ्य औरिशक्षा जैसी बुनियादी जरूरतों के लिये राजनीतिज्ञों को मिलजुल कर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों को ही इतना अच्छा कर दिया जाए कि निजी स्कूलों की जरूरत न रहे। हाल में मलिहाबाद विकास खंड में कराई गई लेख प्रतियोगिता ने शिक्षा के कम स्तर को फिर से उजागर कर दिया है, परन्तु उन्हे इस बात का अफसोस है कि उनके क्षेत्र से कभी स्कूली शिक्षा की बेहतरी की मांग नही उठी। उनका मानना है कि शिक्षा की बेहतरी में शिक्षक, बच्चे और अभिभावक को एक कड़ी में बंधना होगा। सभी घटकों को एक दूसरे की गलतियां न निकाल कर सकारात्मक रिश्ते में बंधना होगा और समेकित प्रयास करने होंगे। सभी प्रतिभागियों के उत्साह पर उन्होंने उम्मीद जतायी की सभी को शिक्षा का हक दिलाने में कानून या संसाधन अड़चन नही बनेगें।
कार्यशाला के अंतिम सत्र में प्रतिभागियों ने उपजे विचारों को विभिन्न जिलों में आम अभिभावकों, शिक्षकों, राजनीतिज्ञों और जन प्रतिनिधियों तक ले जाने का संकल्प लिया और उम्मीद की कि बेसिक िशक्षा मंच िशक्षा का अधिकार मिलने के ऐतिहासिक अवसर को फलीभूत होता देखने में अपनी पूरी ऊर्जा लगायेगा। अभिभावकों को एकजुट कर बेहतर शिक्षा की मांग बनायेगा, उनको शिक्षकों से जोड़ कर बेहतर शिक्षा के विकेंन्द्रित नियोजन को बढ़ावा देगा जोकि यह सुनिश्चित कर पाये कि हरेक बच्चे शिक्षा से जुड़ जाएं।
बेसिक शिक्षा मंच सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों, शिक्षा और वंचित समुदाय के लिए काम करने वाली संस्थाओं, शिक्षाविदों का मंच है। मंच के ?गुहार? बुलेटिन में नीति-निर्धारकों तक बेहतरी के विकल्पों को सुझाने का प्रयास सतत् रूप से किया जा रहा है। मंच समय-समय पर सभी बच्चों की गुणवत्तापूर्ण बेसिक शिक्षा की सुनिश्चितता के लिए कई प्रकार के अभियानों, संगोष्ठियों और सम्मेलनों का आयोजन करता रहा है। इन प्रयासों में उत्तर प्रदेश की लगभग 200 संस्थाओं का जुड़ाव है।