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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने कहा है कि मौजूदा सरकार उर्दू भाषा को बढ़ावा देने और उसे रोजी-रोटी से जोड़ने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। उर्दू भाषा के साहित्यकारों एवं लेखकों को प्रोत्साहित करने के लिए उनकी रचनाओं के प्रकाशन पर सरकार की ओर से पुरस्कार भी दिया जा रहा है। इसी के साथ उर्दू अकादमी और फख़रूद्दीन अली अहमद कमेटी के माध्यम से उर्दू शायरों, अदीबों और छात्र-छात्राओं को आर्थिक सहायता एवं प्रकाशन पर पुरस्कृत भी किया जा रहा है। उर्दू भाषा में शोध के लिए छात्र-छात्राओं को प्रोत्साहित भी किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मायावती उर्दू भाषा की बेहतरी के लिए पूरी तरह सजग हैं और इसको दृष्टिगत रखते हुए सरकार ने पहली बार उर्दू अकादमी के बजट को काफी बढ़ाया है।
सिद्दीकी सूचना भवन में सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग उत्तर प्रदेश के उर्दू मासिक नया दौर के ?शकील बदायूंनी विशेषांक? का विमोचन कर रहे थे। शकील बदायूंनी के कृतित्व एवं व्यक्तित्व के करीब-करीब हर पहलू को इस विशेषांक का हिस्सा बनाया गया है। उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने कहा कि शकील बदायूंनी किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं, उनकी गजलें और फिल्मीगीत आज भी लोगों की जबान पर रहते हैं, उनकी क्लासिकी शायरी पर इस अंक में खासतौर पर प्रकाश डाला गया है। उन्होंने कहा कि शकील साहब सिर्फ ग़जलें लिखने वाले शायर ही नहीं थे, बल्कि उन्होंने विभिन्न विधाओं में रचनाएं कीं जो आज भी लोगों को कर्ण प्रिय लगती हैं।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की धरती पर बहुत से प्रसिद्ध शायरों ने जन्म लिया है और अपने-अपने फन से समाज को प्रेम भाई-चारा का संदेश दिया है। उन्होंने उम्मीद जतायी कि उत्तर प्रदेश से सम्बन्ध रखने वाले शकील बदायूंनी पर प्रकाशित इस विशेषांक से उर्दू जानने वाले एवं शोध छात्रों को निश्चित रूप से प्रेरणा मिलेगी। उन्होंने विभिन्न साहित्यकारों, शायरों पर विशेषांक प्रकाशित करने के लिए सूचना विभाग खासतौर से नयादौर से जुड़े अधिकारियों की सराहना की।
मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार मोहम्मद जमील अख्तर ने अपने सम्बोधन में कहा कि भविष्य में प्रदेश के विख्यात शायरों, साहित्यकारों पर साल में कम से कम एक विशेषांक इसी तरह निकाले जाने का प्रयास किया जाना चाहिए, जिससे उर्दू भाषा और साहित्य का विकास हो सके और नयी पीढ़ी इन शायरों के जीवन से प्रेरणा ग्रहण कर सके। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने उर्दू को उसका सही स्थान दिलाने के लिए कई ऐतिहासिक निर्णय लिये हैं, जिनके बारे में पिछली सरकारों ने सोचा भी नहीं था। उन्होंने विशेषांक को सफलतापूर्वक पाठकों के सामने लाने के लिए सूचना विभाग को बधाई दी।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए अपर मंत्रिमण्डलीय सचिव विजय शंकर पाण्डेय ने कहा कि शकील बदायूंनी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर आधारित यह विशेषांक उर्दू प्रेमियों के लिए एक ऐतिहासिक दस्तावेज साबित होगा। सरकारी विभागों में प्रकाशित पत्र-पत्रिकाओं में सूचना विभाग के उर्दू मासिक नया दौर की एक अलग पहचान है। उन्होंने कहा कि शकील बदायूंनी के साहित्यिक योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा, उन्होंने उर्दू साहित्य का कोष समृद्ध करने के साथ ही फिल्मी दुनिया को एक अलग तरह की शायरी से परिचित कराया, जो साहित्य से बहुत करीब थी। उन्होंने कहा कि सूचना विभाग समय-समय पर साहित्य एवं समाज सेवा से जुड़ी हस्तियों पर विशेषांक निकालता रहा है, शकील बदायूंनी पर प्रकाशित विशेषांक उसी कड़ी का हिस्सा है।
इस अवसर पर मौजूद जाने-माने शायर डा मलिक जादा मंजूर अहमद ने शकील बदायूंनी विशेषांक निकालने के लिए सूचना विभाग की सराहना करते हुए कहा कि मौजूदा सरकार ने पहली बार उर्दू को फरोग देने के वास्ते जहां एक ओर उर्दू अकादमी का बजट बढ़ाया है वहीं दूसरी ओर उर्दू साहित्यकारों को प्रोत्साहित करने हेतु विभिन्न पुरस्कार एवं वजीफों की धनराशि में काफी बढ़ोत्तरी की है। उन्होंने शकील बदायूंनी से अपनी मुलाकात एवं विभिन्न मंचों पर मुशायरों में शिरकत करने की याद को ताजा करते हुए कहा कि शकील साहब ने उर्दू साहित्य के शायर होने के साथ-साथ फिल्मी गीत लेखन में अलग पहचान बनायी। आज भी फिल्मी गीतों के सुनहरे दौर का जिक्र उनके बिना अधूरा होता है। उन्होंने कहा कि साहित्य हर दौर में जिन्दा रहता है, यह समय की सीमा से ऊपर होता है। कबीर, तुलसी, कालिदास, मीर गालिब एवं जिगर मुरादाबादी साहित्य आज भी जिन्दा है।
कार्यक्रम के अन्त में सूचना निदेशक अजय कुमार उपाध्याय ने अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने भी शकील बदायूंनी के साहित्यिक एवं फिल्मी सफर पर प्रकाश डालते हुए उनके योगदान की चर्चा की और कहा कि सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग पहले भी बहुत से शायरों और साहित्यकारों पर विशेषांक निकाल चुका है। इस दिशा में सूचना विभाग का प्रयास निरन्तर जारी रहेगा। उन्होंने नया दौर के सम्पादक डा वजाहत हुसैन रिजवी एवं उनके सहयोगियों की सराहना की। इस अवसर पर उर्दू एवं हिन्दी के विख्यात साहित्यकार, शायर, शिक्षक, अपर निदेशक सूचना रामदीन के अलावा भारी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।