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लखनऊ।उत्तर प्रदेश में विधान परिषद स्थानीय प्राधिकारी क्षेत्र के चुनाव में व्यापक पैमाने पर धांधली की शिकायतों के बीच बसपा ने 31 सीटों पर जीत हासिल की है। प्रदेश में लोकतंत्र के इतिहास में सर्वाधिक चर्चित और विवादास्पद विजय से प्रफुल्लित मुख्यमंत्री मायावती ने अपने कार्यकर्ताओं को बधाई के साथ दावा किया है कि ये चुनाव निष्पक्ष हुए जिसमें विरोधी पार्टियों के दुष्प्रचार की हवा निकल गई है। मायावती ने कहा है कि बीएसपी समाज के सभी वर्गों को बराबर की भागीदारी दिए जाने में विश्वास रखती है। इसी के साथ विधान परिषद में भी बीएसपी को पूर्ण बहुमत मिल गया है। मगर दूसरी ओर राजनीतिक दलों ने इसे धन, बल और अराजक तत्वों की जीत बताया है क्योंकि इसमें जीतने वाले बहुत से लोग अपराधों में शामिल हैं जिनका रिकार्ड थानों में शातिर अपराधियों के रूप में दर्ज है। यह भी कहा जा रहा है कि केंद्रीय निर्वाचन आयोग इन चुनावों को निष्पक्षता पूर्वक कराने में विफल रहा है।
मायावती ने चुनाव में पार्टी को मिली इस सफलता पर कहा है कि मतगणना के घोषित 33 परिणामों में से 31 सीटों पर बीएसपी उम्मीदवार विजयी हुये हैं पूर्व में यह सभी सीटें अन्य दलों के कब्जे में थीं। बीएसपी उम्मीदवारों को मिली भारी सफलता से यह पुनः स्पष्ट हो गया है कि प्रदेश के मतदाताओं का भरोसा बहुजन समाज पार्टी की नीतियों और कार्यक्रमों पर पूरी तरह कायम है। उन्होंने कहा कि चुनाव नतीजों से यह बात भी सही साबित हो गयी है कि राज्य की जनता ने कांग्रेस, सपा और बीजेपी सहित सभी दलों को पूरी तरह नकार दिया है। उन्होंने कहा कि बीएसपी सरकार की हर नीति ?सर्वजन हिताय और सर्वजन सुखाय? पर आधारित है और इसके नतीजे भी सबके सामने हैं। कुछ माह पूर्व हुए विधान सभा के उप चुनाव में भी यह स्पष्ट हो गया था, जब 11 में से 9 सीटों पर बीएसपी के उम्मीदवार भारी मतों से विजयी हुये थे और शेष दो सीटों पर मामूली अंतर से ही हारे थे।
मायावती ने मीडिया को जारी अपने दावे में कहा है कि बीएसपी ने सर्वसमाज के सभी वर्गों अनुसूचित जाति, पिछड़े वर्ग, अति पिछड़े वर्ग, अपर कास्ट और धार्मिक अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों को उम्मीदवार बनाया था। सभी वर्गों के उम्मीदवार बीएसपी के टिकट पर चुन लिए गए। उन्होंने आगरा जैसी महत्वपूर्ण सीट पर दलित वर्ग के उम्मीदवार की जीत पर खुशी जताते हुए कहा कि इस जीत ने यह सिद्ध कर दिया है कि बीएसपी को समाज के सभी वर्गों का भरपूर समर्थन प्राप्त है। लखनऊ-उन्नाव की सीट पर ब्राह्मण वर्ग के उम्मीदवार को सफलता मिली है। इसी तरह पिछड़ी जाति के सभी उम्मीदवार भी विजयी रहे हैं।
मायावती का कहना है कि विधान परिषद चुनाव में अपनी हार का आभास होने पर सपा, कांग्रेस और बीजेपी ने फर्जी शिकायतें और आरोप लगाये, जबकि मतदान पूरी तरह स्वतंत्र, निष्पक्ष, शान्तिपूर्ण और विवादरहित हुआ। सरकारी मशीनरी का दुरूपयोग किये जाने का आरोप कितना खोखला है, यह इससे साबित हो जाता है कि कुछ माह पहले हुये विधान सभा उपचुनाव में जनता ने सभी विपक्षी दलों को धूल चटा दी थी और अधिकांश विपक्षी उम्मीदवारों की जमानत तक जब्त हो गई थी।
इस चुनाव में बसपा अध्यक्ष मायावती के जो दावे हैं उन पर केवल इतना यकीन किया जा रहा है कि चुनाव में 31 सीटों पर विजय के परिणाम बसपा के पक्ष में गए हैं। इन परिणामों के पीछे का असली सच तो कुछ और ही है। इसे तकनीकी दृष्टिकोण से प्राप्त विजय से ज्यादा कुछ नहीं कहा जा रहा है। जहां तक विपक्ष के आरोपों का प्रश्न है तो वह ही नहीं बल्कि प्रदेश में हर कोई बोल रहा है कि मायावती के कलक्टरों और पुलिस कप्तानों ने जिलों में बसपा के लिए यह चुनाव जिताने में क्या-क्या करम किए हैं और इस चुनाव के मतदाताओं को किस प्रकार वोट देने के लिए मजबूर किया गया या उनका वोट डाला गया। मायावती को विधानसभा के उपचुनावों में मिली सफलता को भी इसी तरह देखा गया था। सरकारी मशीनरी बसपा का ऐजेंट बनी हुई थी। चुनाव आयोग में धांधली की शिकायतों का अंबार लगा हुआ है और चुनाव आयोग इक्का-दुक्का शिकायतों का संज्ञान लेने के अलावा कुछ नहीं कर पाया।