रमा पाण्डेय
मुम्बई। बिरला मातुश्री सभागार में रविवार को आयोजित एक भव्य समारोह में वरिष्ठ साहित्यकार प्रो नंदलाल पाठक को परिवार पुरस्कार से सम्मानित किया गया। विश्व विख्यात सारंगी वादक पद्मश्री पं रामनारायण ने 51 हज़ार रूपए का यह पुरस्कार उन्हें प्रदान करते हुए कहा- 'पाठक जी ने हिंदी काव्य साहित्य को भाषा, भाव और विचार के स्तर पर समृद्ध किया है।' नवनीत के सम्पादक विश्वनाथ सचदेव ने उनको ज़मीन से जुड़ा हुआ रचनाकार बताया। नवभारत टाइम्स मुम्बई के स्थानीय सम्पादक शचीन्द्र त्रिपाठी ने कहा- 'पाठक जी ने हिंदी ग़ज़ल को एक नई ऊँचाई दी है।' नूतन सवेरा के सम्पादक नंदकिशोर नौटियाल ने कहा कि उन्होंने अपने व्यक्तित्व की सादगी को अपनी रचनाओं में साकार किया है।
संस्था के अध्यक्ष रामस्वरूप गाड़िया ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि अगले साल परिवार के 20वें समारोह को विशाल आयोजन का रूप दिया जाएगा। संस्था के महामंत्री सुरेशचंद्र शर्मा ने बताया कि अब तक परिवार पुरस्कार से बाबा नागार्जुन, कवि प्रदीप, शरद जोशी, गोपाल दास नीरज, भारत भूषण, हरीश भदानी, नईम, सोम ठाकुर, माहेश्वर तिवारी, कन्हैयालाल नंदन, सूर्यभानु गुप्त, कैलाश गौतम, कुँअर बेचैन और बुद्धिनाथ मिश्र जैसे रचनाकारों को सम्मानित किया जा चुका है। पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह, शायर मजरूह सुलतानपुरी, गुलज़ार और जावेद अख़्तर जैसी हस्तियाँ अपने काव्य-पाठ से परिवार के मंच को गरिमा प्रदान कर चुकी हैं ।
रामस्वरूप गाड़िया ने संस्था की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए बताया कि परिवार के आयोजन में श्रोता भी बहुत अच्छे-अच्छे आते हैं। इस बार भी मुम्बई के दो प्रमुख घरानों का नेतृत्व करने करने वाली दो प्रमुख हस्तियाँ राजश्री बिरला और किरण बजाज श्रोताओं में मौजूद थीं। कवि देव मणि पाण्डेय के संचालन में सम्पन्न इस काव्य उत्सव में महक भारती (पटियाला) और रमेश शर्मा (चित्तौड़गढ़) ने गीतों की छटा बिखेरी। शायर निदा फ़ाज़ली और हस्ती मल हस्ती ने ग़ज़लों, दोहों और नज़्मों से अदभुत समां बांधा। हास्य कवि आसकरण अटल की हास्य कविताओं ने श्रोताओं को लोटपोट कर दिया। दूसरे दौर में रमेश शर्मा ने शहर के विरोध और गाँव के पक्ष में एक ऐसा गीत सुनाया जिसे सुनकर हाल में सन्नाटा छा गया। सन्नाटे को तोड़ते हुए संचालक देव मणि पाण्डेय ने कहा कि राजस्थान के गाँव इतने सुँदर हो सकते हैं मगर हमारे उत्तर प्रदेश के गाँव बहुत बदल गए हैं। इसी मंच पर कवि कैलाश गौतम ने कहा था कि अब उत्तर प्रदेश के गाँवों में किराना स्टोर्स में पाउच (पन्नी) में शराब बिकती है। उन्होंने एक दोहा भी सुनाया था-
पन्नी में दारू बँटी पंच हुए सब टंच।
सबसे ज़्यादा टंच जो वही हुआ सरपंच।।
भगवान कृष्ण के वंशज भी कितने बदल गए हैं, इस पर भी कैलाशजी ने एक दोहा सुनाया-
दूध दुहे , बल्टा भरे गए शहर की ओर।
शाम हुई, दारू पिए लौटे नंदकिशोर।।
जब संचालक ने यह दोहा उद्धरित किया तब श्रोताओं ने ज़ोरदार ठहाका लगाया, शायद इसलिए कि पहली पंक्ति में नंदकिशोरजी यानी वरिष्ठ पत्रकार नंदकिशोर नौटियाल मौजूद थे। कुल मिलाकर हर साल की तरह परिवार का काव्य उत्सव, इस बार भी श्रोताओं के दिलो-दिमाग़ पर अपनी छाप छोड़ गया।