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लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्य की मुख्यमंत्री मायावती बीमार हैं? क्या इस पंक्ति से एक झटका सा नही लगता है? यह सवाल हर आम और ख़ास की जुबान पर है। इस सवाल को हवा दी है मायावती के 54 वें जन्मदिन पर अख़बारों में प्रकाशित एक पेज के बधाई संदेश ने। यह संदेश किसी और ने नहीं बल्कि उप्र सूचना एवं जनसंपर्क विभाग ने अख़बारों में प्रकाशित कराया है। पंद्रह जनवरी को अख़बारों में प्रकाशित हुए इस संदेश की छठी लाइन चौंकाने वाली है। पढ़िए- 'उनके स्वास्थ्य-सहित दीर्घायु होने की कामना।' क्या देश के सबसे बड़े सूबे की मुख्यमंत्री मायावती बीमार हैं? अगर नहीं तो क्या उनके दीर्घायु होने की शुभकामना ही पर्याप्त नहीं थी? स्वास्थ्य सहित दीर्घायु होने की कामना वाला यह संदेश मायावती में आस्था रखने वालों को परेशान तो करता ही है। मायावती के जन्मदिन पर बधाइयों के और भी सरकारी संदेश समाचार पत्रों में प्रकाशित हुए हैं, लेकिन उनमे से किसी भी विज्ञापन से ऐसा संदेश नहीं निकलता है, जैसा संदेश, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के इस जन्मदिन के बधाई विज्ञापन से निकल रहा है। इसी तरह के बधाई संदेश वाले कुछ होर्डिंग्स भी लखनऊ सहित प्रदेश कई शहरों में यत्र-तत्र देखने को मिल रहे हैं। इस विज्ञापन में इस शब्द ने बहुतों का ध्यान अपनी ओर खींचा है और जन-सामान्य में इसका कोई अच्छा संदेश नहीं जा रहा है।
जन्म-दिन पर इस बधाई संदेश संबंधी विज्ञापन में स्वास्थ्य सहित दीर्घायु होने की कामना को पढ़कर क्या मायावती के स्वास्थ्य पर संशय उत्पन्न नहीं होता है? मुख्यमंत्री मायावती हज़ारों साल जियें और यह भी कभी कोई ख़बर नहीं सुनी गई है कि वे कभी बीमार रही हों, लेकिन यह विज्ञापन तो यही संशय और संदेश दे रहा है कि वे बीमार भी हैं, जिसमें उनके स्वास्थ्य को प्रभावित समझते हुए उनके दीर्घायु होने की कामना की गई है। जहां तक उनके 54 वें जन्मदिन पर शत-शत बधाई का संदेश है, वह सभी जगहों पर प्रकाशित है, लेकिन 'स्वास्थ्य' शब्द की उपयोगिता इस विज्ञापन में सिद्ध नहीं हो पा रही है, इसीलिए टिप्पणियां आ रही हैं कि इस विज्ञापन में ये क्या लिखा गया है और इस शब्द का यहां क्या मतलब है? कहा जा रहा है कि यदि मायावती किसी यूरोपीयन देश में ऐसे ही पद पर विराजमान होतीं और उनके बारे में इस प्रकार की भाषा प्रयोग कर दी गई होती तो उन्हें अपने स्वास्थ्य के बारे में जन-सामान्य को न केवल संतोषजनक जवाब देना पड़ता, अपितु जवाब से संतुष्ट करना भी मुश्किल हो जाता और सत्ता से भी हाथ धोना पड़ता।
यूं तो मायावती सरकार की उपलब्धियों के कई विज्ञापनों की भाषा शैली और तथ्यों के प्रस्तुतिकरण पर अक्सर चर्चाएं हुआ करती हैं, लेकिन यह विज्ञापन खासी चर्चा में आ गया है। मुख्यमंत्री कार्यालय का पंचम तल विवादास्पद मामलों पर हमेशा पल्ला झाड़ लेता है और कुछ भी बोलने को तैयार नहीं होता है, इस मामले में भी ऐसा ही हुआ है। मुख्यमंत्री के पंचमतलीय सलाहकारों में कोई भी मुख्यमंत्री मायावती के जन्मदिन विज्ञापन में 'स्वास्थ्य' शब्द की उपयोगिता पर कुछ कहने को तैयार नहीं है। एक ही बात कही जा रही है कि सबकुछ ऊपर से तय होता है और 'ऊपर' कौन है? यह भी किसी को नहीं पता। कोई कहता है कि 'नो कमेंट', और कोई कहता है कि उन्हें कुछ नहीं पता और कोई इसका या हर किसी ऐसी बात या गलती का ठीकरा नाम लिए बगैर मायावती के ही सर फोड़ता है।
मुख्यमंत्री मायावती के सीधे संपर्क में पंचम तल के यूं तो सभी अधिकारी हैं, लेकिन कैबिनेट सचिव शशांक शेखर सिंह और अपर कैबिनेट सचिव विजय शंकर पांडेय इनमें प्रमुख हैं। इनमें भी शशांक शेखर सिंह के बारे में कहा जाता है कि वे ही सबसे ज्यादा मायावती के मुंह लगे हैं और इस प्रकार के मामलों में प्रमुखता से अपनी सक्रिय भूमिका निभाते हैं और फंसने पर उसकी जिम्मेदारी दूसरों पर डाल देने में माहिर माने जाते हैं। इनके कार्यालयों से यही सुना जाता है कि यहां कोई भी काम बहिन जी की जानकारी में लाए बगैर नहीं होता है। राज्य सरकार का कोई भी ऐसा विज्ञापन पहले 'बहनजी' को दिखाया जाता है और उनके अप्रूवल के बाद ही उस पर अमल होता है। बहनजी के ड्राफ्ट या फैसलों में कोई भी हस्तक्षेप नहीं करता है, इसलिए यह समझ लेना चाहिए कि ठीक है सो ठीक है और गलत है तो वह भी ठीक है। इसी नीति के अनुसार मुख्यमंत्री का पंचमतलीय कार्यालय चल रहा है।
मायावती का हर वर्ष ही 15 जनवरी को जन्मदिन मनाया जाता है और उनका यह 54 वां जन्मदिन है। उन्होंने अपने जन्मदिन पर कई कल्याणकारी योजनाओं के साथ गरीबों और बेसहारा लोगों को उपहार दिए हैं। वे अपनी राजनीतिक सफलताओं से बहुत प्रफुल्लित हैं। प्रशासन और राजनीति में निर्भय होकर इच्छाशक्ति से संपन्न और कड़े फैसले लेने वाले राजनेता अब कम ही हैं। इनमें मायावती भी एक हैं। मायावती के पास प्रचंड राजनीतिक शक्ति है जिससे वे भ्रष्टाचार रहित लोक कल्याणकारी प्रशासन व्यवस्था स्थापित करते हुए राजनीति के अपराधीकरण को कुचलते हुए भयमुक्त समाज की कल्पना साकार कर सकती हैं, अगर सत्ता के चाटुकार नेता अफसर या दलाल उन्हें ऐसा करने दें। उनके अत्यंत करीबी अफसरों की यह जिम्मेदारी मानी जाती है कि वे अच्छे से अच्छे फैसलों के लिए मुख्यमंत्री को अपने बुद्धि कौशल से प्रेरित भी करें। पर अफसोस है कि देश की एक प्रचंड राजनेता को ये एक अच्छी शासनकर्ता नहीं बनने दे रहे हैं। ऐसे बधाई संदेश उनकी विफलता माने जाते हैं जोकि केवल अपने निजी स्वार्थ में डूबे हैं। मायावती को उनके 54 वें जन्मदिन पर स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम की भी शुभकामनाएं।