मनमोहन हर्ष
नार्वे के युवा ग्रांड मास्टर मैग्नस कार्लसन विश्व शतरंज की बिसात के चौंसठ खानों पर अपनी प्रतिभा की अमिट छाप छोड़ते हुए आलमी शतरंज की रेटिंग सूची में 2810 ईलो रेटिंग के साथ सर्वोच्च शिखर पर काबिज हो गए हैं। विश्व शतरंज में वर्ष 2010 इस लिहाज से महत्वपूर्ण है क्योंकि इस साल अप्रैल माह में विश्व चैंपियन के रूप में भारतीय ग्रांड मास्टर विश्वनाथन आनंद बुल्गारिया के वेसेलिन टोपालोव के खिलाफ अपने खिताब की रक्षा के लिए बाजी लगाएंगे। इसी बीच साल के आगाज में ही आनंद और टोपालोव के साथ सभी दिग्गजों को पीछे छोड़ मैगनस कार्लसन की निर्विवाद विश्व श्रेष्ठ के रूप में ताजपोशी इस बात का संकेत है कि आने वाले कल मे वे लम्बे समय तक बुलंदियों पर राज करेंगे।
पिछले साल 30 नवंबर को मात्र 19 वर्षों की आयु पूरी करने वाले मैगनस कार्लसन ने 2009 में अपने नायाब प्रदर्शन से वर्ष पर्यंत हर मोर्चे पर दिग्गजों की नाक में दम कर बुलंदियों की ओर कूच किया। वर्षांत में लंदन चैस क्लासिक स्पर्धा में एक और यादगार खिताबी जीत के साथ ही उन्होंने नूतन वर्ष की फीडे रेटिंग सूची में विश्व बिसात के सिरमौर होने का एजाज हासिल कर लिया। मैगनस कार्लसन विश्व शतरंज के इतिहास में सबसे कम उम्र में सर्वोच्च शिखर का आरोहण करने वाले शातिर भी बन गए हैं।
आलमी शतरंज में अब तक कार्लसन के अलावा गैरी कास्पारोव, विश्वनाथन आनंद, वेसलिन टोपालोव और व्लादिमीर क्रेमनिक ही चार अन्य ऐसे सितारे हैं, जिन्होंने 2800 ईलो रेटिंग के जादुई आंकड़े को छूते हुए नम्बर वन होने का एजाज हासिल किया है। लेकिन इन महान सितारों की फेहिरस्त में कार्लसन की मौजूदगी इस कारण विशिष्ट और अद्वितीय है कि उन्होंने मात्र 19 वर्ष की उम्र में यह मुकाम सर्वकालीन सितारों से मीलों आगे मील का नया पत्थर गाड़ दिया है। गौरतलब है कि अब तक यह रिकार्ड व्लादिमीर क्रेमनिक के नाम दर्ज था, जिन्होंने 25 वर्ष की आयु में विश्व के नम्बर एक खिलाड़ी होने का गौरव अर्जित किया था।
बौद्धिक चातुर्य और दिमागी कौशल के इस खेल में कार्लसन ने अनवरत ऐसी उपलब्धियां संचित की है जो न केवल बेमिसाल हैं बल्कि कालजयी भी। यद्यपि विश्व चैंपियन बनकर शतरंत की बिसात पर बाकायदा अपनी महारत का परचम लहराने की मंजिल से कार्लसन काफी दूर हैं, बावजूद इसके उनका रूतबा, खेल का स्तर और सफलता का ग्राफ उनके अद्वितीय खिलाड़ी होने की दुहाई देता है। नवंबर माह में रूस में आयोजित ताल मेमोरियल सुपर कैटेगरी-21 शतरंज स्पर्धा का खिताब तो पूर्व विश्व चैंपियन व्लादिमीर क्रेमनिक ने जीता था, मगर इस टूर्नामेंट के दौरान मैगनस कार्लसन का प्रदर्शन भी शानदार रहा। ताल मेमोरियल के बाद फीडे रेटिंग सूची के सम्बंध में उस समय की गई एक गणना में यह तय हो गया था कि रेटिंग के लिहाज से कार्लसन वक्त के इस मुहाने पर निर्विवाद विश्व श्रेष्ठ हो गए हैं। चूंकि अंतरराष्ट्रीय शतरंज महासंघ की अधिकृत रूप से नई विश्व रेटिंग सूची की घोषणा जनवरी 2010 में की जानी थी, ऐसे में शतरंजविज्ञों की निगाहें इस बात पर केन्द्रित थीं कि कार्लसन अपने अजेय सफर को जारी रखकर वर्ष के अंत तक नंबर वन पोजीशन को बरकरार रख पाते हैं या नहीं?
मैग्नस कार्लसन ने ताल मेमोरियल के बाद कई यादगार सफलताओं को अपनी झोली में समेट कर विश्व के नम्बर एक शातिर के रूप में अपनी स्थिति को अनवरत मजबूत किया है। ताल स्मृति स्पर्धा के ठीक बाद रूस में ही आयोजित विश्व ब्लिटज चैस स्पर्धा में कार्लसन ने अपने तेज तर्रार तेवरों से हर किसी को हतप्रभ कर दिया। तीव्रतम चालों वाले शतरंज के इस संस्करण में कार्लसन ने 42 बाजियों में से 28 में विजय दर्ज की और अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी और अब तक इस शैली के बेताज बादशाह माने जाने वाले भारत के ग्रांडमास्टर और विश्व चैंपियन विश्वनाथन आनंद से आठ बाजियां ज्यादा जीतकर विश्व ब्लिटज चैंपियन होने का गौरव हासिल किया। सफेद मोहरों से खेलते हुए उन्होंने विश्वनाथन आनंद, क्रेमनिक, पानोमेरियोव एवं पीटर स्वीडलर और काले मोहरों से क्रेमनिक, बोरिस गलफेंड और जूडिथ पोल्गर जैसे ख्यातिनाम शातिरों की चुनौती को ध्वस्त कर अपनी महारत का लोहा मनवाया।
इंग्लैंड में ओलम्पिया कांफ्रेंस सेंटर में गत दिनों खेली गई लंदन चैस क्लासिक स्पर्धा के परिणाम पर इस बात का पूरा दारोमदार था कि गोया कार्लसन नई फीडे सूची में अपने अव्वल स्थान को संजोकर रख पाते हैं या फिर कोई और नंबर वन पर काबिज होने का एजाज हासिल करता है। लेकिन कार्लसन ने इस स्पर्धा में ताल मेमोरियल के विजेता और पूर्व विश्व चैंपियन ब्लादिमीर क्रेमनिक से पूरे एक अंक की बढ़त बनाते हुए खिताब जीता। इस तरह नए साल की फीडे रेटिंग सूची में वे आलमी नम्बर वन हो गए है।
कार्लसन ने 2011 के कैंडिडेट्स मुकाबलों से अपना नाम व्यक्तिगत कारणों से वापस ले लिया था। नए वर्ष में अप्रैल माह में भारत के विश्वनाथन आनंद बुल्गारिया के चैलेंजर वेसेलिन टोपोलोव के खिलाफ अपने खिताब की रक्षा के लिए उतरेंगे। ऐसे में जहां तक कार्लसन के विश्व चैंपियन बनने का सवाल है उनका मौका वर्ष 2012 या इसके बाद ही आ पाएगा। मगर वर्ष 2009 में अपने नायाब प्रदर्शन से निर्विवाद रूप से विश्व के नम्बर वन खिलाड़ी बनकर मैगनस कार्लसन ने विश्व चैंपियन बने बगैर ही इतिहास रच दिया है। हां, शतरंज इतिहास इस बात का भी गवाह है कि अब तक 2800 की रेटिंग और आलमी नम्बर वन बनने वाले प्रत्येक सितारे ने विश्व चैंपियन बनने का भी गौरव हासिल किया है, तो यह मानने से गुरेज नही होना चाहिए कि कार्लसन के लिए यह मंजिल भी दूर नही है।