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नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और नेता प्रतिपक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने आदिवासी एवं पिछड़े क्षेत्रों में सेवा, शिक्षा, जनकल्याण की गतिविधियों को विस्तार देने के लिए स्वयंसेवी संस्थाओं को प्रोत्साहन दिया और कहा कि जैन समाज, विभिन्न क्षेत्रों में रचनात्मक और सृजनात्मक गतिविधियों के माध्यम से राष्ट्र और समाज की उन्नति के लिए प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि वे आदिवासी और पिछड़े क्षेत्रों के कल्याण के लिए सुखी परिवार अभियान के माध्यम से भी तत्पर हैं, यह एक अभिनव उपक्रम है। सेवार्थी लोगों के कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए सबका नज़रिया सकारात्मक होना चाहिए और विशेषत: राजनीतिक दलों को उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए।
आडवाणी ने अपने निवास पर सुखी परिवार फाउंडेशन के प्रख्यात जैन संत गणि राजेंद्र विजय के सान्निध्य में आयोजित विचार संगति में ये उद्गार व्यक्त किए। आडवाणी ने गणि राजेंद्र विजय की पुस्तक 'महावीर का समाजशास्त्र' का लोकार्पण करते हुए राष्ट्र के लिए अनुशासन, नैतिकता और सामाजिक संवेदनशीलता को सबसे जरूरी बताते हुए कहा कि कोई भी राष्ट्र चाहे किसी भी क्षेत्र में कितनी भी प्रगति क्यों न कर ले, वह इन मूल्यों के बिना सही मायने में उन्नति नहीं कर सकता। भगवान महावीर ने अहिंसा, अनेकांत, सहअस्तित्व एवं शांति का संदेश दिया है, उनके बताए मार्ग पर चलकर ही देश वास्तविक उन्नति कर सकता है।
सुखी परिवार फाउंडेशन के महामंत्री ललित गर्ग ने 'वल्लभ वाणी' के प्रथम खंड 'धर्म का प्रकाश' की प्रति एवं वल्लभ गुरू पर भारत सरकार का जारी डाक टिकट आडवाणी को भेंट किया। आडवाणी ने कहा कि गुरू वल्लभ सूरी राष्ट्र, धर्म और मानवता की उन्नति के प्रतीक थे। उन्होंने संपूर्ण देश में जैन धर्म को जन धर्म की तरह प्रचारित किया। गुरू वल्लभ सूरी के विचार और उपदेश त्रैकालिक हैं। सुखी परिवार अभियान के प्रणेता गणि राजेंद्र विजय ने कहा कि आज व्यक्ति अशांति, असंतुलन और तनाव का जीवन जी रहा है। इन जटिल हालातों में सभी को अध्यात्म और शांति की आवश्यकता है। आज के वैज्ञानिक युग में वही व्यक्ति शांति का जीवन जी सकता है जिसके जीवन में अनुशासन, संयम और सदाचार होगा। उन्होंने आगे कहा कि गुरू वल्लभ सूरी एक असाधारण महामानव थे, उनमें दृढ़ निश्चय और संकल्प शक्ति थी। आज वैसी ही दृढ़ संकल्प शक्ति की आवश्यकता है। गुरू वल्लभ सूरी के आदर्शों को अपनाकर व्यक्ति न केवल स्वयं की बल्कि समाज और राष्ट्र की समस्याओं का समाधान पा सकता है।
गणि राजेंद्र विजय ने सुखी परिवार अभियान की गतिविधियों की जानकारी दी। गणि राजेंद्र विजय ने हिंसा, आतंक और नक्सलवाद को रोकने के लिए सरकारी प्रयत्नों के साथ-साथ गैर-सरकारी प्रयत्नों की जरूरत को उजागर करते हुए कहा कि जहां भी इस तरह के प्रयत्न हों शीर्ष राजनीति से जुड़ें लोगों को इसमें भागीदारी करनी चाहिए। जब तक पिछड़े एवं आदिवासी क्षेत्रों का समुचित विकास नहीं होगा और उन्हें मूल धारा से नहीं जोड़ा जाएगा, तब तक भारत हिंसा, आतंक और नक्सलवाद की समस्या से मुक्त नहीं हो सकता। गणि राजेंद्र ने सुखी परिवार अभियान की चर्चा करते हुए कहा कि इससे अहिंसक चेतना का जागरण होगा, नैतिक मूल्यों के प्रति निष्ठा जगेगी और एक अच्छे समाज की संरचना हो सकेगी। उन्होंने गुजरात के बड़ौदा जिले के आदिवासी अंचल में 19 मई, 2010 से आयोजित होने वाले 10 दिवसीय आदिवासी सांस्कृतिक विरासत महोत्सव समारोह की जानकारी देते हुए आडवाणी को इस विशिष्ट आयोजन में भाग लेने का आमंत्रण दिया।
इस अवसर पर सुखी परिवार फाउंडेशन के महामंत्री ललित गर्ग, पत्रकार ज्ञानचंद जैन, संस्कार भारती के प्रमुख सुबोध शर्मा, सुखी परिवार फाउंडेशन पूर्वी दिल्ली के महामंत्री मुकेश अग्रवाल, संगीत सम्राट गोपाल शर्मा, निलेश भाई शाह ने स्मृति चिंह, फूलों का गुलदस्ता और साहित्य लालकृष्ण आडवाणी को भेंट किया।