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महारैली अपने बूते पर की-मायावती

मायावती का नोटों की माला से स्वागत

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मायावती-नोटो की माला/mayawati-currency garland

लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष और मुख्यमंत्री मायावती ने बीएसपी के संस्थापक अध्यक्ष कांशीराम की 76वीं जयंती और बीएसपी की स्थापना की 25वीं वर्षगांठ के पर लखनऊ में राष्ट्रीय विशाल महारैली को सम्बोधित करते हुए बसपा कार्यकर्ताओं को विपक्षियों के तरह-तरह के हथकण्डों और साजिश से सावधान रहकर बीएसपी मूवमेन्ट को निरन्तर आगे बढ़ाने का अह्वान किया। उन्होंने खासतौर से कांग्रेस, सपा और अन्य विपक्षी दलों के विभिन्न आरोपों को एक सिरे से खारिज करते हुए यह दावा भी किया कि बीएसपी ने यह महारैली अपने पैसे के बूते आयोजित की है। अपने को पाक साफ सिद्ध करने की असफल कोशिश में मायावती ने कहा कि सरकारी मशीनरी का दुरूपयोग और भीड़ जुटाने का कार्य वह राजनीतिक पार्टियां करती हैं जिनका अपना कोई जनाधार नहीं होता है। उन्होंने देश में गरीबी, मंहगाई और बेरोजगारी के लिए कांग्रेस के लम्बे शासनकाल को जिम्मेदार ठहराया और लोकसभा में महिला बिल पेश करने का विरोध करते हुए उसके खिलाफ चौदह अप्रैल को देश व्यापी धरना प्रदर्शन की घोषणा की।
मायावती ने महारैली में आये बसपा कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को सम्बोधित करते हुए सबसे पहले दलित एवं पिछड़े समाज में समय-समय पर जन्में संतों, गुरूओं और महापुरूषों के योगदान का स्मरण किया और फिर कांशीराम दलितों, पिछड़ों को अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए शुरू किये गये संघर्ष और वर्ष 1984 में बीएसपी का गठन पर विस्तार से प्रकाश डाला। मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल ही में राज्य सभा में महिलाओं के लिए पारित किये गये 33 प्रतिशत आरक्षण में अनुसूचित जाति/जनजाति की महिलाओं को शामिल न करके उन्हें पहले से ही मिल रहे आरक्षण में शामिल करने की साजिश की गई है। इसके विरोध में बीएसपी 14 अप्रैल को भीमराव अम्बेडकर जयंती पर देश के सभी राज्य मुख्यालयों और जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन किया जाएगा। उन्होंने प्रस्तावित 33 प्रतिशत आरक्षण में अनुसूचित जाति/जनजाति एवं अन्य पिछड़े वर्ग और धार्मिक अल्पसंख्यक वर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षण की मांग की और कहा कि महिलाओं को जो भी अधिकार मिलें हैं उसका श्रेय अम्बेडकरजी को जाता है, राहुल गांधी और सोनिया गांधी को नहीं।
मायावती ने कहा कि राजनीतिक स्वार्थ के लिए कांग्रेस के चाचा-भतीजे दलितों के घर खाना खाने, ठहरने का नाटक कर रहे हैं लेकिन इन वर्गों की कांग्रेस को यदि चिंता होती तो आज इनकी स्थिति दूसरी होती। कांग्रेसियों के ड्रामें का पर्दाफाश हो चुका है। इन्हीं कांग्रेस के लोगों ने अम्बेडकर की रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इण्डिया को जिसका चुनाव चिन्ह भी हाथी था, उनके 6 दिसम्बर 1956 को निधन के बाद तोड़ दिया। दलितों की स्थिति अब भी चिंताजनक बनी हुई है और धार्मिक अल्पसंख्यकों की स्थिति में भी कोई खास सुधार नहीं आया है, वे अपनी समस्याओं को लेकर दुखी नज़र आते हैं। उन्होंने कहा कि देश को आजाद हुए 63 वर्ष हो गये हैं, इस दौरान केंद्र और राज्यों में ज्यादातर कांग्रेस की सरकार रही हैं। दलितों की दयनीय दशा देखकर कांशीरामजी ने पहले बामसेफ, डीएस-4 और फिर बहुजन समाज पार्टी की स्थापना की।
मायावती ने बीएसपी की राजनैतिक यात्रा और उपलब्धियों की चर्चा करते हुए कहा कि बीएसपी का लगातार जनाधार बढ़ा है। देश के सात राष्ट्रीय राजनीतिक दलों में बीएसपी भी शामिल है। लोकसभा और विधानसभा के चुनाव में पार्टी का वोट प्रतिशत लगातार बढ़ा है। संसद के दोनों सदनों में बीएसपी के सांसद हैं। कई विधान सभाओं और स्थानीय निकायों में काफी संख्या में बीएसपी उम्मीदवार जीत कर आये हैं। इसके अलावा आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में चार बार बीएसपी के नेतृत्व में सरकार बनी है, जिसमें वर्तमान बीएसपी सरकार पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई है। इसके अलावा उनकी गिनती देश और दुनिया के प्रभावशाली व्यक्तियों में होती है। उन्होंने कहा कि बीएसपी देश की इकलौती कैडर आधारित अनुशासित पार्टी है, जिसका वोट ट्रांसफरेबुल है।
बसपा अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस पार्टी अपनी स्थापना की 125वीं वर्षगांठ मनाने जा रही है। अपनी स्थापना के पहले 21 वर्षों में कांग्रेस पार्टी न तो आम जनता के पास गई और न ही लोगों ने इसे नोटिस किया। इस प्रकार कांग्रेस पार्टी का प्रारम्भिक इतिहास निरर्थक है। इसकी तुलना में बीएसपी का प्रारम्भिक इतिहास बेहद शानदार और गौरवशाली रहा है। पच्चीस वर्षों के दौरान बीएसपी को खत्म करने के लिए तरह-तरह की साजिशें रची गईं। जब बीएसपी बनी थी, तो कांग्रेसी कहते थे कि सरकार बनाना तो दूर यह पार्टी खाता भी नहीं खोल पाएगी। बिना सबूत के कांग्रेसी यह भी कहते थे कि कांशीराम सीआईए के एजेन्ट हैं। इस तरह की अफवाहें कांग्रेस इसलिए उड़ाती थी, ताकि लोग गुमराह होकर बीएसपी को आर्थिक मदद न करें। यहां तक कि कांशीरामजी की जाति को लेकर भी कांग्रेस के लोग भ्रम पैदा करने का प्रयास करते रहे हैं। उन्होंने खुशी जाहिर की कि बीएसपी कैडर विरोधी पार्टियों के किसी भी बहकावे में नहीं आया, कुछ राज्यों में बीएसपी के लोगों को प्रलोभन देकर तोड़ा गया है।
मायावती ने कहा कि कांशीरामजी की मृत्यु के बाद विरोधी उनके और बीएसपी के खिलाफ लामबन्द हो गये। कांशीरामजी की एकमात्र उत्तराधिकारी को ताज कोरिडोर और आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने के मामले में सीबीआई के माध्यम से घेरने का प्रयास किया गया। इसके बावजूद भी वह तिल भर भी विचलित नहीं हुईं और हिम्मत, हौसले और सूझबूझ के साथ विरोधी पार्टियों का डट कर मुकाबला किया। उन्होंने कहा कि इन तमाम साजिशों के बाद भी वह चौथी बार पूर्ण बहुमत से उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं और अब विधान परिषद में भी उनकी पार्टी बहुमत में है। मायावती ने दावा किया कि उन्होंने विकास और कानून-व्यवस्था के मामले में यहां के लोगों को बेहतरीन सरकार दी है। बीएसपी सरकार की हर नीति सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय पर आधारित है, लेकिन इसमें उपेक्षितों को जहां एक ओर प्राथमिकता दी गयी है वहीं दूसरी तरह अन्य लोगों के हितों का पूरा-पूरा ध्यान रखा गया है।
मायावती ने मान्यवर श्री कांशीराम शहरी गरीब आवास योजना, डॉ अम्बेडकर ग्रामसभा विकास योजना और अन्य योजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि उनकी सरकार देहात और शहरों का विकास करने के लिए संकल्पबद्ध है। इसके साथ ही दलित एवं पिछड़े वर्ग में जन्में सन्तों, गुरूओं और महापुरूषों को भी पूरा आदर और सम्मान दिया है। पूर्व सरकारों ने इन विभूतियों की हर मामले में उपेक्षा की। विपक्षी दल टीका-टिप्पणी करके सरकार की छवि धूमिल करने की कोशिश में लगी रहती हैं। विरोध दलों का कहना है कि पार्क, मूर्तियों आदि पर खर्च न करके विकास पर खर्च किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब विपक्षी पार्टियां अपने महापुरूषों की मूर्तियां लगाती हैं, तब उन्हें गरीबों की याद नहीं आती। मीडिया के लोग भी विरोध नहीं करते, कोई दुरूपयोग की बात नहीं कहता और न ही न्यायालय में जाता है। उन्होंने कहा कि बीएसपी ने महापुरूषों आदि के विभिन्न रूपों में सम्मान किये जाने पर बजट का एक प्रतिशत हिस्सा भी व्यय नहीं किया है।
मायावती ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने इस देश में सबसे ज्यादा राज किया है। गांधी-नेहरू परिवार के नाम पर करोड़ों-अरबों रूपये से पार्क, संग्रहालय, मूर्तियां आदि स्थापित की हैं, इसका कोई ब्योरा नहीं है। कांग्रेस के लोग बीएसपी से खर्चे का हिसाब पूछते हैं? यदि कांग्रेस और अन्य विरोधी पार्टियों ने हीन भावना और जातिवादी मानसिकता को त्याग कर दलितों, पिछड़ों के सन्तों, गुरूओं और महापुरूषों को सम्मान दिया होता, तो बीएसपी को यह सब नहीं करना पड़ता। कांग्रेस दलितों, पिछड़ों के महापुरूषों का इसलिए अपमान करती रहती है कि इनका नामो-निशान मिट जाये। बीएसपी ने इस समाज के महापुरूषों का नाम हमेशा के लिए अमर कर दिया है, ताकि आने वाली पीढ़ियां इनसे प्रेरणा ले सकें। जिस समाज का अपना इतिहास नहीं होता वह तरक्की नहीं कर सकता अर्थात वह समाज दूसरों का पिछलग्गू बनकर हमेशा गुलाम रहता है।
मायावती ने आरोप लगाया कि पार्कों में स्थापित हाथी की मूर्तियों को बीएसपी के चुनाव चिन्ह से जोड़ कर जब्त करने के प्रयास किए जा रहे हैं इसकी कड़ी आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि पार्कों में स्थापित हाथी स्वागत मुद्रा में है अर्थात् इनकी सूंड़ ऊपर उठी हुई हैं, इसके विपरीत बीएसपी के चुनाव चिन्ह में हाथी की सूंड़ नीचे की ओर है। यदि चुनाव चिन्ह को हाथी से जोड़ा जाता है तो इस तरह सपा के साइकिल चुनाव चिन्ह को भी जब्त करना चाहिए और इसके साथ ही कांग्रेस के हाथ का पंजा चुनाव चिन्ह को भी जब्त किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो भी पार्टियां सत्ता में रही हैं, अपने महापुरूषों के नाम पर पूरे देश भर में मूर्तियां लगवाती रही हैं। कांग्रेस ने सैकड़ों योजनाओं/संस्थाओं का नाम अपने नायकों के नाम पर रखा है लेकिन जब बीएसपी करती है तो हो-हल्ला मचाया जाता है। उन्होंने विधि-विशेषज्ञों से सवाल किया कि जीवित व्यक्ति की मूर्ति लगाने से कौन सा कानून रोकता है और स्वर्गवासी लोगों की मूर्ति लगाने के लिए कौन सा कानून अनुमति देता है?दलितों, पिछड़ों के मामलों में दोहरा मापदण्ड अपनाया जा रहा है। सभी राजनीतिक दलों की हस्तियों और चिन्हों के साथ बराबर का व्यवहार होना चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है, तो लोग न्यायिक प्रक्रिया के साथ-साथ संवैधानिक एजेन्सियों की गरिमा पर उंगली उठाने लगेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब से उत्तर प्रदेश में उनकी सरकार बनी है, विभिन्न योजनाओं में अधिकारियों के भ्रष्टाचार के आरोप लगाये जा रहे हैं जबकि सच्चाई यह है कि विपक्षी पार्टियों के लम्बे शासनकाल की कार्यशैली ने कुछ अधिकारियों को भ्रष्ट और बेईमान बनाया, इनको सुधारने में समय लगेगा। उन्होंने अपने पिछले कार्यकालों के विपरीत वर्तमान शासनकाल में जनपदों में आकस्मिक निरीक्षण न किये जाने की आलोचना का उत्तर देते हुए कहा कि अधिकारियों पर शिकंजा कसने के लिए उन्होंने नयी व्यवस्था लागू की है, जिसमें अच्छी सफलता मिली है।
मायावती ने आरोप लगाया कि कांग्रेस लगातार उनकी सरकार के काम-काज में बाधा उत्पन्न कर रही है। राज्य सरकार को मांगे गये 80 हजार करोड़ रूपये का पैकेज देना तो दूर रहा, प्रदेश की एक महत्वाकांक्षी परियोजना गंगा एक्सप्रेस-वे को न्यायालय के माध्यम से रूकवा दिया गया। जेवर के अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे और केन्द्र सरकार द्वारा बनाई जाने वाली सड़कों का भी काम रोक दिया गया है। यह सब बीएसपी सरकार की छवि धूमिल करने के लिए किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश से केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर तैनात अधिकारियों को वापस नहीं किया जा रहा है, इसके अलावा कुछ जातियों को अनुसूचित जाति की श्रेणी में शामिल करने का मुद्दा लटका हुआ है और प्रदेश पुनर्गठन का प्रस्ताव भी केन्द्र ने ठण्डे बस्ते में डाल रखा है। यूपीए सरकार की गलत आर्थिक नीतियों एवं महंगाई के कारण गरीब और मध्यम वर्ग के लोग प्रभावित हो रहे हैं। अगर यूपीए महंगाई पर काबू करने में असफल रहती है तो इस मुद्दे पर बीएसपी कई चरणों और विभिन्न स्तरों पर देशव्यापी आन्दोलन छेड़ देगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चन्द्र मिश्र को लेकर विपक्षी दल और मीडिया तरह-तरह की बेसिर-पैर की बातें करती रहती है कि उनका कद कम कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि ऐसे तत्वों को शायद यह मालूम नहीं है कि पार्टी के पास तमाम विधिक कार्य भी हैं, जिसकी पैरवी मिश्र को सौपी गयी है, इसलिए उनकी व्यस्तता ज्यादा रहती है। उन्होंने कहा कि मिश्र को विधिक कार्य से फ्री होने पर कोई दूसरी भी जिम्मेदारी सौपी जा सकती है। इसी तरह नसीमुद्दीन सिद्दीकी, राजाराम और स्वामी प्रसाद मौर्य को भी लेकर गलत खबरें छपवायी जाती हैं। उन्होंने इस मौके पर सतीश चन्द्र मिश्र को बीएसपी के अखिल भारतीय लीगल सेल का अध्यक्ष बनाने की घोषणा की। उन्होंने ब्राह्मण समाज को पार्टी से जोड़ने की जिम्मेदारी डॉ ओपी त्रिपाठी, गोपाल नारायण मिश्र और रामवीर उपाध्याय को, क्षत्रिय समाज की जिम्मेदारी ठाकुर जयवीर सिंह और धनन्जय सिंह को वैश्य-समाज को जोड़ने की जिम्मेदारी डॉ अखिलेश दास गुप्ता और नरेश अग्रवाल को सौंपी।
मायावती ने कहा कि जब तक वह जिन्दा हैं, बहुजन समाज मिशन को आगे बढ़ाती रहेंगी, किसी भी आरोप के माध्यम से उनको मिशन से अलग नहीं किया जा सकता। वह दलित समाज का सिर नीचे नहीं होने देंगी। इस समाज पर उन्हें सबसे अधिक नाज है। विपक्षी पार्टियां नहीं चाहती कि दलित की बेटी केन्द्र और दूसरे राज्यों में शासन करें, इसलिए वे विभिन्न हथकण्डों के जरिये पार्टी को कमजोर करने की साजिश करती रहती हैं। बीएसपी ही एक ऐसी पार्टी है जो जाति-पात का भेदभाव मिटाकर समानता की बातें करती है। उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं को पाखण्डी बाबाओं और उनके फैलाये हुए कर्म काण्डों से सावधान रहने की सलाह दी।
इसके पहले समता-समानता, महापुरूषों का संघर्ष, कांशीराम का जीवन संघर्ष और बीएसपी सरकार की उपलब्धियों पर आधारित संगीतमय कार्यक्रम पेश किये गये। मुख्यमंत्री ने कांशीराम के जीवन संघर्ष पर आधारित पुस्तिका और बीएसपी मूवमेन्ट को लेकर पार्टी के इस वर्ष के कैलेन्डर का लोकार्पण किया। कांशीराम पर आधारित फिल्म की सीडी का भी लोकार्पण किया, जिसका प्रदर्शन शाम को कांशीराम स्मारक स्थल पर किया गया।

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