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वरुण गांधी ने सहारनपुर में जुटाई भारी भीड़

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वरुण गांधी

सहारनपुर। भाजपा के नए पोस्टर ब्यॉय वरुण गांधी ने सहारनपुर में एक भीड़ भरी रैली को संबोधित किया और केंद्र नीत कांग्रेस और प्रदेश की मायावती सरकार को आड़े हाथों लिया। वरुण ने अपने चिर-परिचित अंदाज में अपना फेमस डायलॉग दुहराया-?हमारी गर्दन कट सकती है पर झुक नहीं सकती।? और अपने लोगों के लिए आत्मसम्मान की लड़ाई लड़ने का आह्वान किया। पार्टी के राष्ट्रीय सचिव बनने के बाद पहली बार किसी जन रैली को संबोधित कर रहे वरुण काफी जोश में दिखे। मंच पर प्रदेश और केंद्रीय पदाधिकारियों, संघ के प्रदेश संगठन मंत्री और मेरठ, गाजियाबाद और सहारनपुर के आधा दर्जन विधायकों की मौजूदगी के बावजूद ये पूरा शो वरुणमय था। गाहे-बगाहे लोग ?जय श्री राम? के नारे भी लगा रहे थे।
प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती को ?मालावती? की संज्ञा देते हुए वरुण ने कहा कि उनके पास माला में जड़ने के पैसे तो हैं, पूरे प्रदेश का पत्थरीकरण और मूर्तिकरण करने का पैसा तो है पर गरीबों के विकास के लिए पैसा नहीं है। वरुण ने चुटकी ली कि वो मायावती पर कोई प्रहार नहीं करना चाहते पर मुख्यमंत्री ने उन्हें अपने इस शासनकाल में जो प्यार और सम्मान दिया है, जिस दिन उनका समय आएगा उस दिन वो इससे भी कहीं ज्यादा प्यार और सम्मान सूद समेत वापिस कर देंगे। रैली में मौजूद नौजवानों को चेताते हुए उन्होंने कहा कि वे अपनी चुप रहने की आदत को बदलें, नहीं तो जिस व्यक्ति को एक बार थप्पड़ खाने की आदत पड़ जाती है फिर किसी के भी थप्पड़ों का उस पर असर नहीं होता।
वरुण ने इस बात पर भी चिंता जताई कि आज राजनीतिक पार्टियां नौजवानों का इस्तेमाल कर रही हैं। उनका काम सिर्फ नारे लगाना और पोस्टर चिपकाने भर का रह गया है। नौजवानों को सियासत में उनका वाजिब हक मिलना चाहिए। वरुण ने सवाल उठाया कि अगर उनका ही नाम वरुण चौधरी या वरुण कुशवाहा होता तो क्या वे राजनीति में इतना आगे आ पाते? वरुण ने कहा कि जिस तरह से कोई कपड़े का व्यवसायी अपने कपड़े का मूल्य तय करता है उसी तरह किसानों को भी अपनी पैदावार का मूल्य तय करने का हक होना चाहिए।
भाजपा के इस युवा नेता ने सवाल उठाया कि सन् 1989 में तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने विधवाओं के लिए 150 रुपए मासिक पेंशन शुरू की थी आज 21 वर्ष पश्चात् यह पेंशन राशि 150 रुपए से बढ़कर केवल 200 रुपए हुई है। उन्होंने भीड़ में मौजूद लोगों से पूछा कि क्या उन्हें नहीं लगता है कि सुश्री मायावती को अपनी माला के रुपए इन विधवा औरतों में बांट देने चाहिएं। वरुण गांधी ने बरेली दंगों पर राज्य सरकार की भूमिका पर भी सवाल उठाए और उन्होंने पूछा कि होली जो हिंदुओं का अहम त्यौहार है इसी दिन अन्य संप्रदाय को उनका मोर्चा निकालने की इजाजत क्यों दी गई? वरुण ने यह भी विश्वास जताया कि 2012 के चुनाव में राज्य में भाजपा की सरकार आएगी और उनकी पार्टी का मकसद सिर्फ सरकार बदलना नहीं समाज और परिवार में भी यथोचित बदलाव लाना है। उन्होंने कहा कि आज युवाओं के पास सपने तो बड़े हैं पर उनकी जेब में उसे पूरा करने के पैसे नहीं हैं। लिहाजा सरकार को 5 से 10 लाख रुपए ब्याज मुफ्त कर्ज देना चाहिए।
कुल मिलाकर वरुण गांधी की सहारनपुर रैली किसी राजनीतिक पार्टी की रैली ने होकर उनका निजी शो बन गई जो इस युवा नेता की सियासी ताकत को प्रतिबिंबित तो करती ही है। इसके बावजूद इस आगाज और अंदाज में भगवा कमल के प्रस्फुटन की संभावना क्षीण लगी। अगर भाजपा अपने इस युवा नेता को पार्टी लाइन पर ठीक से नाथ ले तो प्रदेश में सुप्तप्रायःभाजपा में एक नई जान फूंकी जा सकती है, कम से कम वरुण की सहारनपुर रैली से इस बात के संकेत तो मिलते ही हैं।

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