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लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने पूर्वांचल के माफिया विधायक मुख्तार अंसारी और उसके भाई पूर्व सांसद अफजाल अंसारी की लगातार जारी आपराधिक गतिविधियों से त्रस्त होकर इन दोनों को तत्काल प्रभाव से बसपा से निकाल दिया है। बीएसपी के प्रवक्ता ने बताया कि पार्टी ने मुख्तार अंसारी के भाई और गाजीपुर जिले के मुहम्मदाबाद क्षेत्र के सपा विधायक सिबगतुल्ला अंसारी के विधान सभा में दिये जा रहे समर्थन को भी न लेने का फैसला किया है। ध्यान रहे कि सिबगतुल्ला अंसारी ने बीएसपी को सदन में समर्थन देने की स्वयं पहल की थी।
बीएसपी के प्रवक्ता ने कहा है कि पूर्ववर्ती सपा सरकार के शासनकाल में बदहाल कानून व्यवस्था और अपराधियों के ताण्डव से आजिज आकर ही प्रदेश की जनता ने 13 मई 2007 के विधान सभा चुनाव में सत्ता की बागडोर बीएसपी को सौंपी थी। बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने मुख्यमंत्री का पदभार ग्रहण करते ही प्रदेश में कानून का राज स्थापित करने का अभियान शुरू किया और गुण्डो, माफियाओं और खूंखार अपराधियों के विरूद्ध कठोर कार्रवाई सुनिश्चित कराते हुए यह भी निर्देश दिये थे कि छोटे-मोटे अपराधियों के लिए सुधारात्मक दृष्टिकोण अपनाते हुए उनको सही रास्ते पर लाने का प्रयास किया जाये, मगर ऐसा देखा गया है कि कई लोग दुश्मनी में फंसा दिये जाते हैं अथवा अपराध की राह अपनाने लगते हैं। ऐसे मामलों में पुलिस प्रशासन को सचेत किया हुआ है कि स्थानीय स्तर पर समझौता के आधार पर ऐसे मामलों को निपटाए जाए।
पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि जब बीएसपी सत्ता में आयी तब विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसदों, विधायकों एवं पदाधिकारियों सहित कई निर्दलीय विधायकों, सांसदों ने पार्टी की नीतियों और कार्यक्रमों में आस्था व्यक्त करते हुए बीएसपी की सदस्यता ग्रहण करने का अनुरोध किया था। उन्होंने कहा कि पार्टी ने इस बात पर बल दिया था कि बीएसपी ज्वाइन करने से पहले यदि किसी जनप्रतिनिधि का आपराधिक रिकार्ड रहा है तो भविष्य में उसके कोई अपराधिक कार्य न करने और कानून का पूरी तरह से पालन करने के आश्वासन देने के बाद ही उसे पार्टी में शामिल किया गया था। बीएसपी की सदस्यता ग्रहण करने से पहले ऐसे लोगों यह भी कहा गया कि उनकी चाहे जो विचारधारा रही हो, वे अब बीएसपी की विचारधारा और कार्यक्रमों को मानते हुए पार्टी की नीतियों के तहत काम करेंगे।
इसी नीति के तहत मुख्तार अंसारी एवं उनके भाई अफजाल अंसारी ने भी बीएसपी में शामिल होने का अनुरोध करते हुए यह कहा था कि वे हमेशा सामंतवादी ताकतों से लड़ते रहे हैं जिसके कारण उनके विरूद्ध कई मुकदमे दर्ज करा दिये गये। मुख्तार अंसारी और उनके भाई ने पार्टी की सदस्यता ग्रहण करने के मौके पर स्पष्ट तौर पर आश्वासन दिया था कि अब वे बीएसपी की नीतियों के अनुरूप जनता की भलाई के लिए कार्य करेंगे। मुख्तार अंसारी और उनके भाई के कथन और आश्वासन पर यकीन करते हुए उन्हें सुधरने का मौका देने के उद्देश्य से उन्हें पार्टी में शामिल किया गया किन्तु पिछले दिनों जिला प्रशासन को गाजीपुर जेल में मारे गये आकस्मिक छापे के दौरान कई आपत्तिजनक वस्तुओं की बरामदगी होने से यह स्पष्ट हो गया है कि मुख्तार अंसारी एवं उनके भाई अफज़ाल अंसारी अब भी आपराधिक गतिविधियों में लिप्त हैं। इस प्रकार ये लोग पार्टी को दिये गये अपने भरोसे पर कायम नहीं रह सके।
मुख्यमंत्री ने इनके अपराधिक आचरण पर कड़ा रूख अपनाते हुए दोनों को तत्काल प्रभाव से पार्टी से निष्कासित करने के निर्देश दिये जिसके फलस्वरूप उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया है। मायावती ने यह भी निर्देश दिये कि पार्टी को अन्य दलों के ऐसे विधायकों और नेताओं या कार्यकर्ताओं के समर्थन की कोई आवश्यकता नहीं है जिनकी सांठ-गांठ आपराधिक तत्वों से है।