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लखनऊ।राज्य सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेकर सेवानिवृत्त वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी मोहम्मद अनीस अंसारी को उत्तर प्रदेश उर्दू, अरबी, फारसी विश्वविद्यालय का अन्तरिम कुलपति नियुक्त किया है। अंसारी का कार्यकाल तीन वर्ष का होगा। अंसारी विभिन्न प्रशासनिक पदों पर कार्य करते हुए कृषि उत्पादन आयुक्त के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं।
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने उर्दू, अरबी, फारसी विश्वविद्यालय की स्थापना का निर्णय लिया था। मुख्यमंत्री ने विश्वविद्यालय का शिलान्यास 15 जनवरी, 2010 को अपने जन्मदिन के अवसर पर किया था। यह विश्वविद्यालय देश-विदेश के छात्रों को उर्दू, अरबी तथा फारसी भाषाओं में उच्च स्तरीय शोध एवं शिक्षा की सुविधा प्रदान करेगा। विश्वविद्यालय लखनऊ-हरदोई रोड पर 181.72 करोड़ रूपये की लागत से 11.182 हेक्टेयर में बनाया जा रहा है। अरबी-फारसी संस्कृति से मेल रखते हुए अलंकृत डिजाइन पर आधारित इस विश्वविद्यालय में पांच मंजिला प्रशासनिक भवन, छः मंजिला शैक्षणिक भवन, गेस्ट हाउस, कम्युनिटी सेण्टर, छात्रावास, बैंक, पोस्ट ऑफिस, कैन्टीन, शापिंग सेण्टर आदि निर्मित किये जायेंगे।
अनीस अंसारी के लेख मशहूर उर्दू तथा अंग्रेजी पत्र/पत्रिकाओं इकनोमिक एण्ड पोलिटिकल वीकली, नया दौर, कौमी आवाज, इर्तिका आदि में प्रकाशित हो चुके हैं। उन्होंने कई पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया है। उर्दू अदब में योगदान के लिए उन्हें फिराक गोरखपुरी अवार्ड, उप्र उर्दू अकादमी अवार्ड, इम्तियाज-ए-मीर अवार्ड, जयशंकर प्रसाद पुरस्कार, मौलाना मोहम्मद अली जौहर अवार्ड तथा उर्दू अदब अवार्ड सहित 17 महत्वपूर्ण सम्मानों से नवाजा जा चुका है।
अंसारी 1973 बैच के आईएएस अधिकारी रहे हैं। उन्होंने प्रमुख सचिव श्रम, पंचायती राज, नियोजन, ग्राम्य विकास, ऊर्जा, पर्यटन जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया हैं। सामाजिक, सांस्कृतिक एवं साहित्यिक क्षेत्र में उनका उल्लेखनीय योगदान रहा है। उन्होंने उच्चशिक्षा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से प्राप्त की है और 1969 से 1972 तक उन्होंने वहां संवैधानिक एवं प्रशासनिक विधि के शिक्षक के रूप में भी कार्य किया।
अंसारी एक शायर भी हैं। उनके उर्दू तथा देवनागरी लिपि के आठ संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। इन संग्रहों के नाम इस प्रकार है शहरे-सराब (1981), सूरज का सफर (1982), जंग और मोहब्बत के दरम्यान (1986), अगले मौसम की खुशबू (1995), जिन्दगी वस्ल है (1997), तीसरे दिन का सूरज (2001), दर्द अभी महफूज नहीं (2008) और तेरे वास्ते रोता हूँ जमीन (2009)।