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लखनऊ। समाजवादी पार्टी ने मुख्यमंत्री मायावती को सलाह दी है कि वे अपने आपको और ज्यादा फजीहत और जनाक्रोश से बचाने के लिए तत्काल राज्यपाल को जाकर इस्तीफा दे आएं कि उनसे उत्तर प्रदेश का शासन प्रशासन नहीं संभल रहा है। सपा ने कहा है कि अब तक जितनी लूट वे कर सकती थीं कर चुकी हैं, इसमें जो उनके समर्थक-सहयोगी थे अब जनता उनको छोड़ने वाली नहीं है इसलिए उनकी संरक्षक होने के नाते भी कुर्सी पर बैठे रहना अशोभनीय और अनैतिक होगा।
अपराधियों को बसपा से बाहर का रास्ता दिखाने के मायावती के बयान की खिल्ली उड़ाते हुए सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि उत्तर प्रदेश की जनता से छल और धोखाधड़ी करने में मुख्यमंत्री मायावती का कोई सानी नहीं है। उनके तीन साल के मुख्यमंत्रित्व काल में जर्जर कानून व्यवस्था, हत्या, अपहरण, लूट महिलाओं से बलात्कार, चेन स्नैचिंग, वृद्धों-व्यापारियों की हत्या, वकीलों पर बर्बर लाठीचार्ज, वसूली, प्लाट-कोठियों पर कब्जा, इन सबसे ऊबी जनता जब सड़क पर उतरी तो मुख्यमंत्री अब अपराधियों को पार्टी से निकालने का स्टंट करने जा रही हैं। उनकी अनर्गल बयानबाजी अब जनता के गले नहीं उतरने वाली है, उन्हें अब अपराधियों को संरक्षण देने और उनके माध्यम से लूटी गयी संपत्तियों का ब्यौरा देना होगा। उन्हें यह भी बताना होगा कि एक कुख्यात अपराधी को 'गरीबों का मसीहा' उन्होंने किस आधार पर बनाया था। गोंडा के तीन बसपा नेताओं को एक दिन निकालकर दूसरे दिन वापस क्यों ले लिया? क्या इसके पीछे लेनदेन की उनकी पुरानी कहानी है?
राजेंद्र चौधरी ने कहा कि मायावती पांच सौ अपराधिक छवि के लोगों को बसपा से बाहर रास्ता दिखाने का दावा करती हैं पर हकीकत यह है कि वे पार्टी से सिर्फ उन्हें ही निकाल रही हैं, जिनसे उनके स्वार्थ नहीं सध रहे हैं। ये अपराधी बीते तीन साल से उनके संरक्षण में लूट, बलात्कार, हत्याओं का धंधा निर्भय होकर कर रहे थे। मुख्यमंत्री के इशारे पर पूरा प्रशासन तन्त्र उनके बचाव में लगा हुआ था और आज भी लगा है। ईमानदारी से वे विधायकों-मंत्रियों के बीच से अपराधियों की छंटनी शुरू करें तो इस भ्रष्ट सरकार को अल्पमत में आने में 24 घंटे भी नहीं लगेंगे। मायावती तो महज नाटकबाजी में पार्टी के छुटभइयों को बाहर कर रही हैं, क्योंकि वे जघन्य कांडों से उनके लिए लूट, वसूली और करोड़ों की माला के लिए नोट नहीं जुटा सकते हैं।
सपा प्रवक्ता का कहना है कि पुलिस रिकार्ड अगर सार्वजनिक कर दिए जाएं तो पता चलेगा कि बसपा अपराधियों की एकमात्र पसन्द रही है। इसके पदाधिकारी, विधायक, मंत्री सभी भ्रष्टाचार और अपराधों में आकंठ डूबे हैं। मिलावटखोर, जमाखोर और कालाबाजारी चांदी काट रहे हैं। इन पर कोई सरकारी एजेंसी हाथ नहीं डालती है, फलतः गरीब आदमी महंगाई की मार से पिस रहा है। पुलिस थाने बिक रहे हैं, जिसे स्वयं मुख्यमंत्री मायावती मान चुकी हैं। थाने निर्दोषों के लिए यातनागृह और अपराधियों के लिए पिकनिक स्पॉट बन गए हैं। हिरासत में मौतों के मामले में उत्तर प्रदेश इसीलिए टॉप पर है। इन स्थितियों में मायावती को राजभवन जाकर राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप देना चाहिए।