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पोर्टब्लेयर। महान कवि रवींद्रनाथ टैगोर की 150वीं जन्मशती पर अंडमान-निकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्टब्लेयर में वर्ष भर चलने वाले भव्य समारोह का आगाज हुआ। अंडमान पीपुल थिएटर एसोसिएशन (आप्टा) के 'कवि गुरू नमन' का उद्घाटन एम्फी थिएटर के खुले रंगमंच पर अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के डाक निदेशक एवं साहित्यकार कृष्ण कुमार यादव ने एक भव्य समारोह में किया।
डाक निदेशक एवं साहित्यकार कृष्ण कुमार यादव ने इस अवसर पर कहा कि रवींद्रनाथ टैगोर जैसा व्यक्तित्व किसी समाज या किसी देश की सीमाओं में नहीं बांधा जा सकता, ऐसे व्यक्तित्व समूची मानवता के थाती होते हैं। रवींद्रनाथ टैगोर न सिर्फ कवि, साहित्यकार, संगीतकार, चित्रकार इत्यादि थे बल्कि वे मानवतावाद के अग्रणी पोषक भी थे। एक जमींदार घराने से होते हुए भी उन्होंने ग्रामीण किसानों के लिए कार्य किया। वह पहले कवि थे, जिन्होंने प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार से सम्मानित होकर भारत को पहला नोबेल तो दिलवाया ही, पराधीन भारत के आहत स्वाभिमान को एक बार फिर सिर उठाने का अवसर दिया।
कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि मात्र सात साल की उम्र में लिखना आरम्भ करने वाले रवींद्रनाथ टैगोर ने 1920 में भावनगर, गुजरात में आयोजित छठे गुजराती साहित्य परिषद में गांधीजी के आग्रह पर बतौर अध्यक्ष अपना पहला भाषण हिन्दी में दिया। विश्व के किसी भी लेखक की तुलना में रवींद्रनाथ टैगोर वह पहले साहित्यकार थे, जिन्होंने भारतीय साहित्य की गरिमा को अपनी महान रचनाओं के, माध्यम से विश्व-मंच के व्यापक पटल पर सम्मानजनक तरीके से स्थापित किया। केके यादव ने आप्टा को ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने के लिए बधाई दी और युवाओं से आग्रह किया कि वे अपनी संस्कृति को कभी न भूलें।
वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्य अकादमी, नई दिल्ली के सदस्य गोविंद राजू ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। उन्होंने सभी भाषा-भाषियों से अनुरोध किया कि वे भी टैगोर के जन्मशती कार्यक्रम को मनाएं। द्वीपों के जाने-माने बंगला साहित्य के रचनाकार और 'वाक-प्रतिमा' के संपादक इस अवसर पर विशिष्ट सम्माननीय अतिथि थे। उन्होंने कवि गुरू रवींद्रनाथ टैगोर के संक्षिप्त जीवन दर्शन का परिचय दिया। साथ ही उनकी कुछ चुनिंदा रचनाओं का बोध कराया। कार्यक्रम में रवीन्द्र संगीत, कहानी, कविता, गीतांजलि पर प्रकाश की पेंटिंग और रक्त कोरणी 'लाल कनेर' नाटक के अंश प्रस्तुत किए गए। इसे अंडमान पीपुल थिएटर एसोसिएशन 'आप्टा' के निदेशक नरेश चन्द्र लाल ने प्रस्तुत की। निमोय चन्द्र बनर्जी ने धन्यवाद ज्ञापन किया।