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मुलायम भक्त शारदानंद अंचल नहीं रहे

'अतीत से जुड़े रहना अच्छा लगता है' कहा करते थे 'अंचल'

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शारदानंद अंचल-shardanand anchal

बलिया/लखनऊ। मुलायम सिंह यादव आज बहुत ही दुखी होंगे। बलिया की राजनीति में अपने दम पर राजनीतिक सफलताओं का परचम लहराने वाले, बड़ी सी बड़ी शक्ति से टक्कर लेने वाले, आम आदमी के दिल पर राज करने वाले और किसी के भी सुख-दुख में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेने वाले एक प्रखर समाजवादी नेता और मुलायम सिंह यादव के समाजवादी आंदोलन के प्रचंड सहयोगी और उनके अन्नय भक्त हंसमुख शारदानंद अंचल नहीं रहे। करीब 65 वर्ष की उम्र में रविवार को मऊ के एक कार्यकर्ता सम्मेलन में जाते हुये रास्ते में दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गयी।

बलियाकी राजनीति में शारदानंद अंचल का पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर से हमेशा छत्तीस का आकड़ा रहा है। चंद्रशेखर बलिया में यदि किसी से राजनीतिक रूप से असहज रहा करते थे तो वह केवल शारदानंद अंचल ही थे। अंचल सदैव मुलायम सिंह यादव के अत्यंत प्रिय रहे हैं मगर यह भी एक कड़वा सच है कि मुलायम ने हमेशा चंद्रशेखर से अपने संबंध सामान्य रखने के लिए शारदानंद अंचल को बलिया में महत्वहीन ही बनाए रखा। उन्हें मंत्रिमंडल में लिया तो केवल राज्यमंत्री बनाया और अगली बार अपनी सरकार में किसी तरह से राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार के रूप में ही शामिल किया जबकि शारदानंद अंचल अपने और अपने क्षेत्र के महत्व को देखते हुए हमेशा कैबिनेट मंत्री पद के दावेदार रहे हैं।

समाजवादी पार्टी से जुड़े रहने और मुलायम सिंह यादव के उनका नेता होने के कारण मुलायम सिंह यादव के लिए अंचल ने अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को हमेशा दबाया। यह टीस अंचल के अंतस में हमेशा रही है और उन्होंने अपने अत्यंत विश्वास पात्रों के बीच में यदा-कदा उसे प्रकट भी किया है। मुलायम सिंह यादव भी यह बात अच्छी तरह से जानते हैं कि उन्होंने जान-बूझकर शारदानंद अंचल की उपेक्षा की है इसके बावजूद अंचल ने कभी भी मुलायम सिंह के फैसले पर उंगली नहीं उठाई और आदेश का पूरी निष्ठा से पालन किया। राजनीति के टीकाकार कहा करते हैं‍ कि शारदानंद अंचल यदि मुलायम सिंह यादव के साथ न होकर भाजपा या कांग्रेस में होते तो वे कभी के केंद्रीय मंत्री एवं और ज्यादा लोकप्रिय राजनेता होते। लोकप्रिय तो वे अभी भी थे लेकिन अपनों के बीच में और बलिया में, मगर मुलायम सिंह यादव ने उन्हें ज्यादा लोकप्रिय नहीं होने दिया और चंद्रशेखर से अपनी निकटता को महत्वपूर्ण बनाए रखने के‍ लिए अंचल को एक किनारे रखा। चंद्रशेखर ने बलिया में अंचल के सामने बड़े कांटे खड़े किए और ऊपर से मुलायम सिंह यादव की डांट सुनी और बर्दाश्त भी की।

अंचलकहा करते थे कि उनके नेता केवल मुलायम सिंह यादव हैं और वे उनके लिए कोई भी त्याग कर सकते हैं। यह नेताजी को सोचना है कि अंचल उनके लिए क्या है। अंचल अक्सर अनौपचारिक बात-चीत में अपना दर्द भी बयान कर देते थे लेकिन उसे कभी सार्वजनिक नहीं करते थे। उन्हें कई बार मुलायम सिंह यादव का साथ छोड़ने के लिए प्रेरित किया गया लेकिन अंचल टस से मस नहीं हुए। इस बार लोकसभा चुनाव में नए परिसीमन को देखते हुए अंचल ने सपा से लोकसभा के टिकट के लिए अपनी प्रबल दावेदारी पेश की थी लेकिन यह जानते हुए कि अंचल जीत सकते हैं मुलायम ने एक दूसरे ही नेता को टिकट दे दिया जोकि हार भी गया।

चंद्रशेखर के देहांत के बाद अंचल ने कहा था कि उनकी मृत्यु के साथ ही उनकी चंद्रशेखर से प्रतिद्वंदिता समाप्त हो गई है और वह अब चंद्रशेखर के पुत्र नीरज शेखर का चुनाव लड़वाएंगे और जितवाएंगे। निश्चित रूप से अंचल ने नीरज शेखर को जिताने में अपनी पूरी ताकत झोंक रखी थी। यह अंचल का एक राजनीतिक व्यक्तित्व था कि वे निष्ठा को नहीं छोड़ेंगे और असहमति को अनुशासन के ऊपर नहीं ले जाएंगे। बलिया में उनके और भी बहुत से प्रतिद्वंदी हैं लेकिन अंचल जैसी लोकप्रियता किसी के पास नहीं थी। यकीन नहीं होगा लेकिन यह सच है कि लखनऊ में डालीबाग में अपने मकान की छत बनवाते हुए वे मजदूरों के साथ सहयोग कर रहे थे। इस पर उनका कहना था कि अतीत से जुड़े रहना अच्छा लगता है। उनसे जुड़ी राजनीतिक घटनाओं की कोई कमी नहीं है। वे एक अद्भुत राजनेता थे एक मित्र थे और दुख दर्द के सहायक थे।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने शारदा नन्द अंचल के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने एक शोक संदेश में कहा है कि उन्हें इस समाचार से गहरा सदमा पहुंचा है, अंचल उनके एक बहादुर साथी थे, जिनका बिछुड़ना व्यक्तिगत और पार्टी की अपूरणीय क्षति है। वे आजन्म समाजवादी आन्दोलन और समाजवादी विचारधारा के लिए समर्पित रहे। उन्होंने कहा कि उनका निधन ऐसे समय हुआ जब समाजवादी पार्टी को उनकी सख्त जरूरत थी। समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव यह समाचार सुनते ही वाराणसी से बलिया उनके गांव के लिए रवाना हो गये। उनके अंतिम संस्कार में अखिलेश यादव सहित सपा के कई वरिष्ठ नेता, दूसरे दलों के भी नेता और कार्यकर्ता, वकील और सामाजिक नेता शामिल हुए।
समाजवादी पार्टी के राज्य मुख्यालय लखनऊ में अंचल के आकस्मिक निधन पर नेता विरोधी दल शिवपाल सिंह यादव की अध्यक्षता में शोक सभा हुई, जिसमें दो मिनट मौन रहकर दिवंगत आत्मा की शांति और शोक संतप्त परिवार को धैर्य धारण करने की शक्ति देने की प्रार्थना की गई। सपा का झण्डा अंचल के शोक में आधा झुका दिया गया। शोक सभा में नेता विरोधी दल शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि हम सब अपने एक संघर्षशील साथी को खोकर दुःखी है। वे सामंती व्यवस्था के बेहद खिलाफ थे। समाजवादी आन्दोलन को मजबूत करने के लिए वे सदैव सक्रिय रहते थे। वे इधर सन 2012 की चुनौती को लेकर व्यग्र  रहते थे और कहते थे कि हर हाल में हमें सरकार बनाने के लिए प्रयासशील रहना चाहिए। मुलायम सिंह यादव ने अंचल को पूर्वांचल का शानदार नेता बताया और कहा कि उनके सपने को पूरा करना अब हम सबका कर्तव्य बन जाता है।
सपा के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने एक शोक प्रस्ताव में उनको याद करते हुए कहा कि अंचलजी छात्रजीवन से राजनीति में आए और उन्होंने आपात काल के विरूद्ध लड़ाई में लंबी जेल यात्रा की। अंचल ने समाजवादी पार्टी में जिले से लेकर प्रदेश स्तर तक सभी जिम्मेदारियों का पूर्ण निष्ठा से निर्वहन किया, वे पार्टी के जुझारू एवं समर्पित नेता थे। शारदानंद अंचल ने ‘क्रान्ति चेतना’ समाचार पत्र का प्रकाशन भी किया है और बलिया में 6 डिग्री कालेजों और एक दर्जन इंटर कालेजों की स्थापना की। वे चार बार (1985, 89, 93, 2002) विधायक और 1993 से 2000 तक तीन बार मंत्री रहे। उन्होंने बेसिक शिक्षा, सहकारिता, लोक निर्माण विभाग और पशुपालन विभागों का कार्यभार कुशलता से संभाला।
शोकसभा में अंबिका चौधरी, रामगोविन्द चौधरी (पूर्वमंत्री), माता प्रसाद पाण्डेय (पूर्व विधानसभा अध्यक्ष), हरिकेवल प्रसाद पूर्व सांसद ने अंचल के संस्मरणों के साथ उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। श्रद्धान्जलि देने वालों में और हैं-अरविन्द सिंह गोप, यशवंत सिंह, एसआरएस यादव,डा विश्राम सिंह, सुशील दीक्षित, धर्मानन्द तिवारी, मोहम्मद एबाद, देवेन्द्र सिंह, अशोक यादव देव, ताराचन्द यादव, रामशंकर यादव आदि। स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम की ओर से भी शारदानंद अंचल को विनम्र श्रद्धांजलि।

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