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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने जातिवार जनगणना का पक्ष लिया है और कहा है कि भारत वर्ष के वंचित लोग एक लम्बे अरसे से जातिवार जनगणना की मांग करते चले आ रहे हैं उनके चेहरे पर उस समय प्रसन्नता झलक उठी थी जब लोकसभा में अधिकांश सदस्यों के रूख को भांपते हुये प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जातिवार जनगणना कराने का आश्वासन दिया था। उन्होंने कहा कि इससे देश की सरकार के खजाने पर एक पैसे का भी अतिरिक्त भार नहीं पड़ेगा। केवल फार्म में एक कालम जाति/वर्ग का बढ़ाना होगा।
मुलायम सिंह यादव ने संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि केन्द्र सरकार के कार्मिक मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार देश में कुल सरकारी सेवाओं में दलितों, पिछड़ों एवं मुसलमानों की हिस्सेदारी लगभग 21 प्रतिशत है जबकि शेष लोगों के पास 79 प्रतिशत नौकरियां हैं। इसका सीधा अर्थ है कि देश की आबादी के 86 प्रतिशत लोगों के पास केवल 21 प्रतिशत ही नौकरियां हैं जबकि 14 प्रतिशत लोगों के पास 79 प्रतिशत नौकरियां। जातिवार जनगणना की आवश्यकता इसलिये है कि पिछड़ों एवं दलितों को आरक्षण मिला हुआ है संवैधानिक तरीके से तो कालाकालेकर से लेकर मंडल आयोग और सर्वोच्च न्यायालय तक सभी ने जातियों की संख्या सुनिश्चित करने की मंशा जतायी है।
उन्होंने कहा कि जातिवार जनगणना से यह भी साफ हो जाएगा कि देश की एक बड़ी आबादी जिनकी संख्या स्वयं में कम हो सकती है किन्तु समूह में बहुत है, उन छोटी-छोटी जातियों राजभर, निषाद, प्रजापति, मल्लाह, कहार, कश्यप, कुम्हार, धींवर, बिन्द, भर, केवट, वाथम, मछुआ, मांझी, तुरहा, गोंड़ को 62 वर्ष में क्या मिला? जातिवार जनगणना का विरोध वो लोग कर रहे हैं, जो देश की 80 प्रतिशत नौकरियों पर एवं 95 प्रतिशत पूंजी पर कुन्डली मार कर बैठे हैं। गैर सरकारी क्षेत्रों में तो हालत और भी खराब है। केवल 5 प्रतिशत लोग प्रेस एवं उद्योगों पर कब्जा किये हैं और यही वजह है कि अपने स्वार्थ में प्रचार प्रसार एवं लेखन के जरिये सारे देश में जातिवार जनगणना का विरोध कर रहे हैं। मुलायम ने कहा कि मुझसे प्रश्न किया जाता है कि समाजवादी होकर जाति की बात क्यों करते हैं? समाजवाद का सीधा अर्थ है सबकी सम्पन्नता।
मुलायम ने कहा कि हम चाहते हैं कि जिनके पास रहने को घर नहीं है, तन ढकने को कपड़े नहीं हैं आधे पेट रहते हैं और परिवार सहित आत्महत्या करने को विवश हैं, सरकार का ध्यान उधर भी जाए, उन्हें भी सही मायने में आजादी मिले। जातिवार जनगणना से देश के सभी लोगों की वास्तविक स्थिति स्पष्ट हो जाएगी और लुटेरों और कमेरों की संख्या का ज्ञान सारी दुनिया को हो जायेगा। उन्होंने एक तर्क के साथ फिर प्रश्न किया कि जब एक तरफ देश में मकान, तालाब, पेड़-पौधों एवं जानवरों तक की गिनती हो रही है तो जातिवार जनगणना के नाम पर कुछ लोगों के पेट में दर्द क्यों होने लगता है? अगर निहित स्वार्थो के चलते ग्रुप आफ मिनिस्टर्स ने जातिवार जनगणना के खिलाफ रिपोर्ट दी तो समाजवादी पार्टी देश की सभी वंचित जातियों को साथ लेकर आन्दोलन करने से पीछे नहीं हटेगी।