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मुलायम के माफीनामे पर राजनीति गर्मायी

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मुलायम सिंह यादव-mulayam singh yadav

लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने देश के मुसलमानों से वादा किया है कि वे कभी भी सांप्रदायिक शक्तियों के साथ नहीं खड़े होंगे। मुलायम ने मुसलमानों से माफी मांगते हुए कहा है कि उन्होंने गत लोकसभा चुनाव में कुछ गलत तत्वों इसलिए सहारा लिया था कि उन्हें चुनाव में सांप्रदायिक शक्तियों को परास्त करना था। मुलायम सिंह यादव के इस माफीनामे पर राजनीतिक दलों से जबरदस्त प्रतिक्रियाएं आ रही हैं जिन्हें सपा के मुसलमानों में गिरते हुए ग्राफ से जोड़ा जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने इस माफी पर मुलायम सिंह यादव की खिल्ली उड़ाई है। हालांकि मुसलमानों में मुलायम सिंह यादव को लेकर कोई राजनीतिक आशंका नहीं दिखाई देती है फिर भी उनके माफीनामे को राजनीतिक क्षेत्रों में कई तरह से और आश्चर्य से लिया जा रहा है।
मुलायम सिंह यादव ने मुसलमानों को संबोधित अपने माफीनामे में कहा है कि 'मेरा जीवन सांप्रदायिक शक्तियों के विरूद्ध संघर्ष करने की खुली किताब रहा है, मैने सदैव सांप्रदायिक ताकतों को नाकाम करने में पूरी निष्ठा से अपना कर्तव्य निभाया है, सन् 1990 में उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री रहते हुए अपने संवैधानिक दायित्व का पालन करते हुए मैंने बाबरी मस्ज़िद को बचाने का काम किया किंतु 6 दिसंबर, 1992 को उत्तर प्रदेश में तत्कालीन मुख्यमंत्री के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार रहते हुए बाबरी मस्ज़िद का विध्वंस कर दिया गया, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में मस्ज़िद गिराने के जिम्मेदार तत्कालीन मुख्यमंत्री को दोषी मानते हुए अदालत उठने तक की सजा भी दी, गत् लोक सभा चुनाव में सांप्रदायिक शक्तियों की सरकार को केंद्र में सत्तारूढ़ होने से रोकने में मुझे कुछ गलत तत्वों का साथ लेना पड़ा जिससे भ्रमित होकर सभी धर्मनिरपेक्ष विशेषकर अपने मुसलमान भाईयों को मानसिक कष्ट हुआ और उनकी भावनाओं को ठेस पहुंची, मैं इसे अपनी गलती स्वीकार करता हूं और इसलिए मस्ज़िद गिराने के जिम्मेदार लोगों को भविष्य में कभी साथ न लोने की सार्वजनिक घोषणा भी कर चुका हूं, मैं इस घटना के लिए देश के सभी विशेषकर अपने मुसलमान भाईयों से माफी मांगता हूं और उन्हें आश्वस्त करना चाहता हूं कि भविष्य में उनके हितों को सर्वोपरि मानते हुए उनके सम्मान की रक्षा के लिए पूरी निष्ठा से कार्य करता रहूंगा।'
मुलायम जनता से माफी मांगे-भाजपा
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही ने सपा प्रमुख मुलायम सिंह की माफी को सत्तावाद और कोरा अवसरवाद बताया और कहा कि सपा अध्यक्ष को भारत माता को डायन कहने वाले लोगों की दोस्ती की लिये माफी मांगनी चाहिए थी। उन्हें अयोध्या में निहत्थे रामभक्तों-कारसेवकों पर गोली चलवाने और निर्दोषों की हत्या कराने के लिये प्रदेश और देश की जनता से माफी मांगनी चाहिए। उन्हें सिमी जैसे आतंकी संगठन के प्रमुख शाहिद बद्र से मुकदमा उठाने के लिये भी प्रदेश की जनता से माफी मांगनी चाहिए, लेकिन सपा प्रमुख मुस्लिम वोट बैंक के लिये लगातार कट्टरपंथी तत्वों से ही माफी मांग रहे हैं। शाही ने कहा कि कांग्रेस, सपा और बसपा के बीच मुस्लिम वोट बैंक हासिल करने की गलाकाट प्रतिस्पर्धा है। तीनों दल अपनी जनविरोधी कार्यशैली के चलते राज्य में अलोकप्रिय हो गये हैं। तीनों दल मुस्लिम वोट बैंक हासिल करने के लिये ही तरह-तरह के जुगाड़ कर रहे हैं। उन्होंने भाजपा और सभी हिन्दू संगठनों को साम्प्रदायिक बताने वाले दलों पर भी चोट करते हुए कहा कि ये तीनों दल एक सम्प्रदाय के थोक वोट के लिये ही कभी माफी मांगते हैं, कभी खेद व्यक्त करते हैं और तुष्टीकरण की नीतियां चलाते हैं।
माया ने मुलायम के बयान को शोशेबाजी कहा
उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने अयोध्या में विवादित ढांचे के विध्वंस के लिये मुख्य तौर पर जिम्मेदार लोगों को संरक्षण देने और उन्हें पार्टी में शामिल करने के लिए आज सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के मुसलमानों से माफी मांगने सम्बन्धी दिये बयान को हास्यास्पद एवं राजनीतिक शोशेबाजी बताया है और कहा कि ऐसे नेता जिनके दिल में कुछ और जुबान पर कुछ और होता है उन पर किसी को कभी भी विश्वास नहीं करना चाहिए।
यहां जारी एक बयान में बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने कहा कि मुलायम सिंह यादव का साम्प्रदायिक ताकतों से भीतरी और बाहरी तौर पर हाथ मिलाने का लम्बा इतिहास रहा है, सभी जानते हैं कि सन 1977 में इन्हीं साम्प्रदायिक ताकतों के गठबन्धन से बनी जनता पार्टी की सरकार में मुलायम सिंह यादव पहली बार मन्त्री बने थे और तब कल्याण सिंह मुलायम सिंह यादव के मन्त्रिमण्डलीय सहयोगी थे। इतना ही नहीं, वर्ष 1989 में जब मुलायम सिंह यादव पहली बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तब भी साम्प्रदायिक ताकतों की मदद एवं सहयोग से ही उन्होंने सरकार बनायी थी। वर्ष 2003 में भी यही हुआ था, जब यादव पुनः मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने पुराने रिश्तों को निभाते हुए पहले ही दिन कल्याण सिंह के सुपुत्र को मंत्री के रूप में शपथ दिलायी थी, आज वे राजनीतिक अवसरवादिता के चलते उन्हीं कल्याण सिंह को 'गलत तत्व' कह रहे हैं तो इससे क्या उनके ऊपर लगा साम्प्रदायिकता का दाग मिट जायेगा?
मायावती ने कहा कि यह भी सर्वविदित है कि मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री रहते हुए ही पूरे प्रदेश को साम्प्रदायिकता की आग में झोंका गया तथा भीषण साम्प्रदायिक दंगे हुए। अपने राजनीतिक हितों को साधने और भारतीय जनता पार्टी को मजबूत करने की दृष्टि से ही वर्ष 1990 से हिन्दू एवं मुसलमानों को बांटने का जो खेल प्रारम्भ किया, उसी के चलते आगे चलकर साम्प्रदायिक ताकतें न केवल प्रदेश में बल्कि पूरे देश में सत्ता पर काबिज हो सकीं। इस तरह प्रदेश और देश में साम्प्रदायिक ताकतों को सत्ता में लाने के लिए मुलायम सिंह यादव और उनकी पार्टी ही पूरी तरह से जिम्मेदार है, इस वास्तविकता को भला कैसे भुलाया जा सकता है। मायावती ने कहा कि मुलायम सिंह यादव का बयान 'राजनीतिक अवसरवाद' की पराकाष्ठा है।
मायावती ने मुलायम सिंह यादव पर सांप्रदायिक शक्तियों को बढ़ाने का आरोप तो लगाया है लेकिन उनके पास ये जवाब नही है कि वे इन्ही सांप्रदायिक शक्तियों के सहयोग से तीन बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी और अभी भी वे इसी बयान में अयोध्या के मंदिर-मस्ज़िद विवाद को विवादित ढांचा बता रहीं हैं, उन्होंने अनेक बार भाजपा नेताओं से सर-ए-आम हाथ मिलाया है और गुजरात में नरेंद्र मोदी के समर्थन में चुनावी सभाएं की हैं। मायावती का यह बयान खुद उन्हीं को बेनकाब करता है। यह तो एक अलग मामला है कि मुसलमान आने वाले चुनाव में किसका साथ देंगे लेकिन मायावती भी मुसलमान वोटों को हासिल करने के लिए सर्वसमाज में आग लगाने में कोई कसर नही छोड़ रहीं हैं।
सपा से निकाले गए मोहम्मद आजम खां का कहना है कि मुलायम के माफीनामे पर मशावरती काउंसिल में विचार होगा। उन्होंने कहा कि मुलायम का यह देर से उठाया गया कदम है उन्होंने अभी माफी मांगी है और उस पर अमल नही किया है, हो सकता है यह उनका कोई सियासी कदम हो। मुलायम ने लोकसभा चुनाव में मुसलमानों से धोखा किया था जिससे मुसलमानों के दिल को ठेस पहुंची और हमने जब कल्याण का विरोध किया तो हमें पार्टी से निकाल दिया गया।
मुलायम के माफीनामे पर भाजपा के पूर्व नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की ही प्रतिक्रिया आई है जिन्होंने बड़े आत्मविश्वास से कहा है कि मुलायम अवसरवादी हैं और वे अब कभी भी सत्ता में वापस नही आ सकते। उन्होंने कहा है कि मुसलमानों ने मेरे कारण सपा नही छोड़ी है। सपा के नेता अबु आज़मी ने कहा है कि कल्याण सिंह बीजेपी छोड़कर मुलायम के साथ आए थे, मुलायम ने तो उन लोगों पर गोली चलवाई थी जो बाबरी मस्जिद गिरा रहे थे। सपा के नेता रहे शाहिद सिद्दीकी ने मुलायम के माफीनामे का स्वागत किया है। ये वही शाहिद सिद्दीकी हैं जिन्हें मुलायम सिंह राज्यसभा में ले गए थे और बाद में मायावती के साथ चल दिए। मायावती ने भी इनको बसपा से निकाल दिया है और आजकल ये फ्रीलांसिंग राजनीति कर रहे हैं।

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