लिमटी खरे
नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले की महात्वाकांक्षी गोंदिया बालाघाट जबलपुर ब्राडगेज के बालाघाट जबलपुर मार्ग में वन विभाग की आपत्तियों के संबंध में केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री कमल नाथ ने वन विभाग को शीघ्रातिशीघ्र आपत्तियां दूर करने के लिए पत्र लिखा है। इस आशय की खबरें मीडिया में आने के बाद सिवनी वासियों के मानस पटल पर यह प्रश्न दौड़ रहा है कि आखिर उनसे ऐसी कौन सी खता हो गई कि कमल नाथ ने अपनी गोद से सिवनी वासियों को उतार फेंका है? गौरतलब है कि पूर्व में विधान सभा चुनावों के दौरान जब सिवनी से रमेश चंद जैन, प्रसन्न चंद मालू, केवलारी से ठाकुर हरवंश सिंह, लखनादौन से रणधीर सिंह आदि ने चुनाव लड़ा और केंद्रीय मंत्री कमल नाथ ने सिवनी आकर जब भी जनसभाओं को संबोधित किया तो उन्होंने हर बार अपना एक रटा रटाया डायलाग अवश्य बोला है कि वे सिवनी जिले को गोद लेते हैं, और सिवनी के विकास की जवाबदारी अब उन पर छोड़ देनी चाहिए।
भगवान शिव के इस जिले की भोली भाली जनता ने हर बार कमल नाथ की जुबान पर भरोसा कर रमेश जैन, ठाकुर हरवंश सिंह और रणधीर सिंह को जिताकर उनकी जबान पर भरोसा किया है, बावजूद इसके कि सिवनी के विकास के मार्ग न तो तब खुले और न ही अब सिवनी विकास के मार्ग पर अग्रसर दिख रहा है। इसी बीच अटल बिहारी बाजपेयी सरकार की महात्वाकांक्षी स्वर्णिम चर्तुभुज परियोजना का अंग बना उत्तर दक्षिण और पूर्व पश्चिम गलियारा। सिवनी जिले का इतना सौभाग्य अवश्य ही रहा कि इस गलियारे के नक्शे में राजनेताओं के भरसक प्रयास के बावजूद भी सिवनी जिला बरकरार रहा। कालांतर में अचानक अस्तित्व में आए एक गैर सरकारी संगठन वाईल्ड लाईफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया की नजर समूचे देश में वन क्षेत्र से गुजरने वाली सड़कों को छोड़कर सिवनी जिले के पेंच में आकर टिक गई और इस एनजीओ ने सर्वोच्च न्यायालय में जाकर पेंच से होकर गुजरने वाले इस मार्ग का काम रोके जाने हेतु याचिका दायर कर दी। कहा जा रहा है कि इस याचिका में यह भी कहा गया है कि चूंकि यह मार्ग पेंच और कान्हा के अघोषित कारीडोर से होकर गुजरता है, जिससे जानवर आते जाते हैं, इसलिए इस कारण काम रोका जाए।
दिल्ली मूल के एक एनजीओ का पेंच और कान्हा के प्रति इतना प्रेम समझ से परे ही कहा जाएगा। इस एनजीओ की नजर उत्तराखण्ड में राजा जी नेशनल पार्क की जमीन पर नहीं पड़ी, जहां सड़क न होने के बाद भी उत्तराखण्ड सरकार ने राजाजी नेशलन पार्क से जमीन की मांग की और केंद्र सरकार के वन विभाग ने उसे उपलब्ध करवा दी। इतना ही नहीं भूतल परिवहन मंत्री कमल नाथ के संसदीय क्षेत्र में प्रस्तावित नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा, नागपुर नेशनल हाईवे मार्ग भी पेंच और सतपुड़ा के अघोषित करीडोर से होकर गुजर रहा है, पर इस मार्ग के बारे में दिल्ली मूल के इस एनजीओ सहित सिवनी के नेताओं की नजरें इनायत न होना आश्चर्य का ही विषय माना जा रहा है।
बालाघाट की ब्राडगेज संघर्ष समिति के हवाले से कहा गया है कि बालाघाट जबलपुर अमान परिवर्तन कार्य में वन विभाग द्वारा ली गई आपत्तियों के बारे में जब भूतल परिवहन मंत्री कमल नाथ को अवगत कराया गया तो उनके निज सचिव राजेंद्र मिगलानी ने ब्राडगेज संघर्ष समिति को अवगत कराया कि वन विभाग की आपत्तियों के संबंध में कमल नाथ ने पत्र लिखा है कि इन आपत्तियों को जल्द ही दूर कर बालाघाट जबलपुर ब्राडगेज कार्य को जबलपुर तक तीव्रता से पूरा किया जाए।
इस मामले में सिवनी में चल रही चर्चाओं में बार-बार सिवनी एवं अन्य जिलों को गोद लेकर अपनी गोद को अनाथालय बनाने वाले कमल नाथ से पूछा जा रहा है कि क्या वे यह बताने की जहमत उठाएंगे कि आखिर सिवनी के लोगों से ऐसी कौन सी ध्रष्टता हो गई है कि सिवनी में वन विभाग और एनजीओ की आपत्तियों के बारे में अब तक उन्होंने वन विभाग को आपत्तियां दूर करने के लिए पत्र क्यों नहीं लिखा?