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रिलायंस कम्युनिकेशन ने करोड़ों रुपये के शेयर हड़पे

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कानपुर। रिलांयस कम्युनिकेशन लिमिटेड ने गुपचुप तरीके से शेयर धारकों के ढाई हज़ार करोड़ रूपए एक डमी कंपनी फ्लैग प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड में स्थानातंरित कर दिए। अमिताभ बच्चन और अमर सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार की एफआईआर कराने वाले एसके त्रिपाठी ने कानपुर के चकेरी थाने पर रिलांयस कम्युनिकेशन लिमिटेड के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज कराने के‍ लिए तहरीर दी थी लेकिन पुलिस ने इस तहरीर को दबा दिया। पंद्रह मई को दी गई इस तहरीर पर जब रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई तो एसके त्रिपाठी ने चीफ मेट्रोपोलियन मजिस्ट्रेट के यहां ये एफआईआर दर्ज कराने के लिए प्रार्थना पत्र दिया। न्यायालय के आदेश पर 12 जुलाई 2010 को एफआईआर दर्ज हो सकी, लेकिन कार्रवाई आज तक नहीं हुई क्योंकि मामला देश के बड़े औद्योगिक घराने से जुड़ा है। यह मामला अत्यंत गंभीर प्रकृति का बताया जा रहा है जिसमें शेयर धारकों का पैसा दूसरी कंपनी में स्थानांतरित करने के लिए जिन नियमों का पालन किया जाना चाहिए था, उन्हें ताक पर रख दिया गया। मामले की जानकारी होने पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने रिलांयस कम्युनिकेशन पर 125 करोड़ का जुर्माना ठोंका, वित्त मंत्रालय ने जांच के आदेश दिए मगर न जांच हुई और न ही रिलांयस कम्युनिकेशन ने जुर्माना ही भरा।
मामले की छानबीन में पता चला कि रिलायंस कम्युनिकेशन ने बिना भारत सरकार, सेबी, आरबीआई, कारपोरेट मंत्रालय की अनुमति के शेयर धारकों के ढाई हज़ार करोड़ रुपये सिंगापुर आधारित एक डमी कंपनी फ्लैग प्रोजेक्ट लिमिटेड को स्थानांतरित कर दिए जबकि शेयर धारकों का पैसा स्थानांतरित करने से पहले सरकार से लिखित अनुमति लेनी पड़ती है। जिस कंपनी को यह रकम स्थानांतरित की गई है उसके एकमात्र निदेशक थे शिव कुमार सरवन। सिंगापुर के कारपोरेट सेक्टर ने जब इस पर सवाल उठाया कि आखिर फ्लैग कंपनी में इतना पैसा कहां से आ रहा है? तो इस पर गुपचुप तरीके से रिलायंस कम्युनिकेशन लिमिटेड के छह लोगों हर्षित शुक्ला, हर्ष कुमार, रत्नाकर नारायण शेट्टी, जे रामचंद्रन, एसपी तलवार और दीपक सूरी को फ्लैग कंपनी का निदेशक बना दिया गया। इस पर बाद में रिलायंस कम्युनिकेशन ने तर्क दिया कि सभी छह लोगों को स्वतंत्र रूप से डायरेक्टर बनाया गया है।
इस बड़े घोटाले की जानकारी के बाद आरबीआई ने रिलायंस कम्युनिकेशन पर 125 करोड़ का जुर्माना भी ठोंका। वित्त मंत्रालय ने जांच के आदेश दिए, लेकिन नतीजा सिफर रहा। एसके त्रिपाठी का कहना है कि उन्हें भरोसा है कि रिलायंस कम्युनिकेशन के खिलाफ कार्रवाई जरूर होगी और वह भी इसके लिए संघर्ष करते रहेंगे।

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