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नई दिल्ली। नेशनल पैंथर्स पार्टी के चेयरमैन एवं राष्ट्रीय एकता परिषद के सदस्य प्रो भीमसिंह ने राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटिल को अपनी पुस्तक, 'शांति मिशन, मोटरसाइकिल पर विश्व-यात्रा' का हिन्दी संस्करण भेंट किया।
भीमसिंह ने शांति मिशन पर अपनी यात्रा भारत से लंदन, लंदन से सोवियत संघ सहित पूर्वी यूरोपीय देशों और बाद में लंदन से अफ्रीका तक की, जिसका विश्व प्रेस और मीडिया ने प्रचार-प्रसार किया। उन्होंने हर जगह तमाम देशों में पूर्ण निरस्त्रीकरण, देशों में आपसी समझ और महात्मा बुद्ध के संदेश अंहिसा का प्रचार किया। भीमसिंह के साथ उनके साथी जगदीश्वर साम्याल थे, जिन्होंने 11 महीने बाद लंदन पहुंचकर उनका साथ छोड़ दिया। इस यात्रा के दौरान भीमसिंह ने लंदन विश्वविद्यालय से विशेष योग्यता के साथ एलएलएम और बार-एट-ला की डिग्री प्राप्त की और फिर सहारा रेगिस्तान (पश्चिमी सहारा) की ओर जनवरी 1971 में मोटरसाइकिल पर निकल पड़े। इस प्रकार वे इस यात्रा को करने वाले विश्व के प्रथम व्यक्ति बन गए। यह यात्रा बहुत जोखिम भरी थी।
इसके बाद अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के देशों और मास्को तथा साइबेरियाई रेल की 15 दिन लम्बी यात्रा की, जहां का तापमान 10 से 50 डिग्री शून्य से नीचे रहता है। उन्होंने हिरोशिमा और नाकासाकी की यात्रा भी की, जहां अमेरिका ने दूसरे विश्व युद्ध में अगस्त, 1945 में बम-वर्षा की थी। प्रोफेसर भीमसिंह ने राष्ट्रपति को बताया कि उन्हें इस पुस्तक के हिन्दी-उर्दू संस्करण तैयार करने में पांच साल लग गए। राष्ट्रपति ने उनसे जानना चाहा कि वे ऐसी पुस्तकें लिखने का समय कैसे निकालते हैं? प्रोफेसर भीमसिंह ने जवाब दिया, 'मैं दिन का गुलाम हूं, लेकिन रातें तो मेरी अपनी होती हैं और मैं अपने एकांत के क्षण आने वाली पीढ़ियों को शांति का संदेश देने में लगाता हूं।' राष्ट्रपति ने इस बात पर खुशी जाहिर की कि इस यात्रा-वृतांत का अरबी, फ्रांसीसी, स्पेनिश में अनुवाद हो रहा है।