स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय विकास परिषद की बैठक में भाग नही लिया। उनके स्थान पर राज्य के वित्त मंत्री लालजी वर्मा बैठक में गए और उन्होंने मुख्यमंत्री की ओर से लिखा हुआ भाषण पढ़ा। बैठक में लालजी वर्मा ने कहा है कि विकास से वंचित गरीब एवं दबे कुचले वर्गों को विकास की मुख्य धारा में लाने तथा सामाजिक और क्षेत्रीय असंतुलन दूर करने के लिए केन्द्र सरकार को बिना किसी भेदभाव के आगे आना चाहिए। उन्होंने केन्द्र सरकार के स्तर पर लम्बित विभिन्न परियोजनाओं का जिक्र किया और उनकी शीघ्र स्वीकृति एवं अन्य मदों में केन्द्र सरकार द्वारा देय धनराशि को शीघ्र अवमुक्त करने की मांग की है। उन्होंने उम्मीद जाहिर की है कि केन्द्र सरकार, उत्तर प्रदेश को हरसंभव सहयोग करेगी।
ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना की मध्यावधि समीक्षा के आधार पर उभर कर आयी स्थिति और अन्य महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर लालजी वर्मा ने कहा है कि मध्यावधि समीक्षा से यह तथ्य उभरकर सामने आ रहे हैं कि पिछड़े राज्यों और समाज के सभी वर्गों को अभी तक समानता का अवसर नहीं मिल पाया है, इसलिए सभी वर्गों के लोगों की समृद्धि और उन्नति के समान अवसर दिये जाने हेतु बगैर किसी राजनीतिक द्वेष-भाव के कार्रवाई की जानी चाहिए। लालजी वर्मा ने इस महत्वपूर्ण बैठक के लिए प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि 11वीं पंचवर्षीय योजना की मध्यावधि समीक्षा के आधार पर विकास को नई दिशा देने के मुद्दे पर सभी लोगों को गम्भीरता से विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि 11वीं पंचवर्षीय योजना के लिए फास्टर एण्ड इन्क्लूसिव ग्रोथ की परिकल्पना की गयी थी, ताकि सभी वर्गों और क्षेत्रों का समग्र विकास हो सके। मध्यावधि समीक्षा से यह तथ्य उभरकर आ रहा है कि पिछड़े राज्यों तथा समाज के सभी वर्गों को समानता का अवसर अभी नहीं मिल पाया है।
बैठक के लिए पहले से तैयार भाषण में एक तरफ इस बैठक को एक तरफ इस बैठक को अत्यंत महत्वपूर्ण स्वीकार किया गया है दूसरी तरफ इसमें मायावती ने भाग नही लिया यह बात किसी के गले नही उतरी है। राजनीतिक द्वेषभाव से अलग हट कर विकास के अवसर दिए जाने की बात करने वाली मायावती ने स्वयं ही इस भावना का उल्लंघन किया है। मायावती को इस बैठक में बसपा का प्रतिनिधित्व नही बल्कि उत्तर प्रदेश सरकार का प्रतिनिधित्व करने जाना था, उन्होंने ऐसा न करके उत्तर प्रदेश की जनता के विश्वास को लज्जित करने की एक शर्मनाक कोशिश की है। कहा जा रहा है कि मायावती को केंद्र सरकार पर दोषारोपण करने का कोई अधिकार नही है क्योंकि जब वे अपने राज्य के विकास से संबंधित महत्वपूर्ण बैठक के लिए समय नही निकाल सकती हैं तो उन्हें अनर्गल आरोप नही लगाने चाहिएं। राज्य के वित्तमंत्री लालजी वर्मा ने मुख्यमंत्री की ओर से भाषण पढ़ा है उसमें परिषद की बैठक में आरोप-प्रत्यारोप का वातावरण बना। इस बैठक में सभी राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल हुए जिन्होंने अपने राज्य की समस्याओं को प्रधानमंत्री के सामने रखा। ऐसी बैठकों का आयोजन ही इसलिए होता है कि राज्य के मुख्यमंत्री सभी के सामने अपनी बात कहें। इसमें प्रत्येक मुख्यमंत्री को बोलने का पूरा अवसर मिलता है और आरोप लगाने की गुंजाइश खत्म हो जाती है।
मुख्यमंत्री मायावती का भाषण भी इस प्रकार का था कि जैसे वे मुख्यमंत्री न होकर बल्कि देश की प्रधानमंत्री हों। लालजी वर्मा ने भाषण पढ़ते हुए कहा कि क्षेत्रीय विषमताओं के स्थायी समाधान को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। राज्यों की बीच और प्रदेशों के अन्दर व्याप्त असंतुलन के दूरगामी परिणाम हो सकते हैं। उच्च विकास दर के बावजूद गरीब और किसानों की स्थिति बदहाल है। किसानों को उनकी उपज का वाजिब मूल्य नहीं मिल पा रहा है। ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में पूरे देश के लिए कृषि की निर्धारित विकास की दर से काफी पीछे है। देश में कृषि के विकास की अपार संभावनाएं हैं। इन सम्भावनाओं को मूर्त रूप देने के लिए केन्द्र को आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि दूसरे चरण की हरित क्रांति लाने के लिए मौजूदा विनियोग के स्तर को बढ़ाना होगा। मनरेगा योजना का उल्लेख करते हुए कहा कि इस योजना में 100 दिन का रोजगार दिये जाने तक सीमित रखना उचित नहीं है। लोगों की आय के स्थायी स्रोत सृजित किये बिना बेरोजगारी की समस्या का समाधान संभव नहीं है। उन्होंने पंचायतों को स्वावलंबी बनाने के लिए सभी तरह के अधिकार दिये जाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम नामक योजना में केवल 10 लाख रूपये प्रति ग्राम की दर से दी जाने वाली धनराशि से गांवों का भला नहीं हो सकता। लालजी वर्मा ने पुलिस बलों को आधुनिकतम अस्त्र-शस्त्रों से सुसज्जित करने तथा सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराने के लिए राज्यों को विशेष प्रोत्साहन दिये जाने की मांग की। इस बैठक में राज्य सरकार की ओर से मुख्य सचिव अतुल कुमार गुप्ता, अवस्थापना विकास आयुक्त एवं प्रमुख सचिव वित्त अनूप मिश्र तथा प्रमुख सचिव नियोजन मंजीत सिंह ने भी भाग लिया।