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नई दिल्ली। गैर मान्यता प्राप्त शैक्षणिक संस्थाओं को अगर मान्यता नहीं मिलती है तो उन्हें अपने विद्यार्थियों की फीस वापस करनी होगी। यह फैसला देश की सबसे बड़ी अदालत ने सुनाया है। सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले से जुड़े दिल्ली राज्य उपभोक्ता आयोग के फैसले को सही ठहराया है जिसमें गैर मान्यता प्राप्त महाविद्यालय को मान्यता न मिलने की स्थिति में एक छात्रा की फीस लौटाने का आदेश दिया गया था।
सर्वोच्च न्यायालय में दायर विनायक मिशन डेंटल महाविद्यालय की एक छात्रा की अपील पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर और मार्कण्डेय काटजू की युगल बैंच ने दिल्ली राज्य उपभोक्ता आयोग के फैसले को सही ठहराया है। न्यायालय छात्रा की इस दलील से पूरी तरह सहमत था कि महाविद्यालय को मान्यता न मिल पाने से उसका एक साल खराब हो गया।
सर्वोच्च न्यायालय की युगल पीठ ने अपने फैसले में विनायक मिशन डेंटल महाविद्यालय की छात्रा को फीस की पूरी राशि 5 लाख 15 हजार रुपए 12 फीसदी सालाना ब्याज के साथ लौटाने के आदेश जारी कर दिए हैं। न्यायालय ने आयोग के उस फैसले को उलट दिया है जिसमें आयोग ने महाविद्यालय पर ढाई लाख रूपए का जुर्माना ठोंका था।