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पोर्ट ब्लेयर। भारत के सुदूर दक्षिणी अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में निदेशक डाक सेवा एवं वरिष्ठ साहित्यकार कृष्ण कुमार यादव ने कहा है कि हिंदी ने बदलती परिस्थितियों में अपने को काफी परिवर्तित किया है। विज्ञान-प्रौद्योगिकी से लेकर तमाम विषयों पर हिंदी की किताबें अब उपलब्ध हैं, पत्र-पत्रिकाओं का प्रचलन बढ़ा है, इंटरनेट पर हिंदी की बेबसाइटों और ब्लॉग में बढ़ोत्तरी हो रही है, सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की कई कम्पनियों ने हिंदी भाषा में परियोजनाएं आरम्भ की हैं। इससे हिंदी भाषा को एक नवीन प्रतिष्ठा मिली है। निदेशक डाक सेवा कार्यालय में हिंदी-दिवस का आयोजन किया गया जिसमें उन्होंने हिंदी के विकास पर प्रकाश डाला। कृष्ण कुमार यादव का यह उद्बोधन इसलिए भी ज्यादा महत्वपूर्ण है कि वे स्वयं एक वरिष्ठ साहित्यकार हैं और उनके परिवार में भी साहित्य रचना होती आई है।
निदेशक डाक सेवाएं कृष्ण कुमार यादव ने सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण और पारंपरिक द्वीप प्रज्वलित कर हिंदी दिवस कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। कार्यक्रम के आरंभ में स्वागत भाषण में सहायक डाक अधीक्षक रंजीत आदक ने इस बात पर प्रसन्नता जाहिर कि निदेशक डाक सेवाएं कृष्ण कुमार यादव स्वयं हिंदी के सम्मानित लेखक और साहित्यकार हैं, ऐसे में द्वीप-समूह में राजभाषा हिंदी के प्रति लोगों को प्रवृत्त करने में उनका पूरा मार्गदर्शन मिल रहा है। भारतीय संविधान सभा ने 14 सितंबर 1949 को सर्वसम्मति से हिंदी को संघ की राजभाषा घोषित किया गया था, तब से हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है, यह अपनी मातृभाषा है, इसलिए इसका सम्मान करना चाहिए और बहुतायत में इसका प्रयोग करना चाहिए।
कृष्ण कुमार यादव ने अंडमान-निकोबार में हिंदी के बढ़ते कदमों को भी रेखांकित किया और कहा कि हमें हिंदी से जुड़े आयोजनों को उनकी मूल भावना के साथ स्वीकार करना चाहिए। स्वयं डाक-विभाग में साहित्य सृजन की एक दीर्घ परम्परा रही है और यही कारण है कि तमाम मशहूर साहित्यकार इस विशाल विभाग की गोद में अपनी काया का सम्मानजनक विस्तार पाने में सफल रहे हैं। इनमें प्रसिद्ध साहित्यकार और ‘नील दर्पण‘ पुस्तक के लेखक दीनबन्धु मित्र, ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित लोकप्रिय तमिल उपन्यासकार पीवी अखिलंदम, राजनगर उपन्यास के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित अमिय भूषण मजूमदार, फिल्म निर्माता लेखक पद्मश्री राजेन्द्र सिंह बेदी, ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता मशहूर लेखिका महाश्वेता देवी, सुविख्यात उर्दू समीक्षक शम्सुर्रहमान फारूकी, शायर कृष्ण बिहारी नूर जैसे तमाम मूर्धन्य नाम डाक विभाग से जुड़े हैं। उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचन्द के पिता अजायबलाल भी डाक विभाग में ही क्लर्क रहे।
पोर्टब्लेयर प्रधान डाकघर के पोस्टमास्टर एम गणपति ने कहा कि आज हिंदी भारत ही नहीं बल्कि विश्व भर में अपनी पताका फहरा रही है और इस क्षेत्र में सभी से रचनात्मक कदमों की आशा की जाती है। वक्ताओं का कहना था कि देश का डाक विभाग रचनाकारों से समृद्धशाली है और यह गर्व से कहा जा सकता है कि डाक सेवाओं और साहित्य का बड़ा ही घनिष्ठ रिश्ता है जिसे सहज महसूस किया जा सकता है। इस अवसर पर डाकघर के कर्मचारियों में हिंदी के प्रति सुरुचि जाग्रति करने के लिए निबंध लेखन, पत्र लेखन, हिंदी टंकण, श्रुतलेख, भाषण और परिचर्चा जैसे विभिन्न कार्यक्रम भी आयोजित किये गए। कार्यक्रम में जन सम्पर्क निरीक्षक पी नीलाचलम, कुच्वा मिंज, शांता देब, निर्मला, एम सुप्रभा, पी देवदासु, मिहिर कुमार पाल सहित तमाम डाक अधिकारी, कर्मचारी उपस्थिति रहे थे। कार्यक्रम का संचालन हिंदी अनुभाग के कुच्वा मिंज ने किया।