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पोर्ट ब्लेयर। भारतीय डाक विभाग ने राष्ट्रमंडल खेल-2010 को आकर्षक और यादगार बनाने के लिए टेनिस, तीरंदाजी, हॉकी और एथलेटिक्स पर चार डाक-टिकटों का एक विशेष सेट जारी किया है। अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के निदेशक डाक सेवाएं कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि उद्घाटन दिवस 3 अक्टूबर को जारी की गई 5 रूपये प्रति डाक टिकट मूल्य वाली ये डाक टिकटें इंडिया सिक्योरिटी प्रेस हैदराबाद में वेट-आफसेट तकनीक से मुद्रित हैं और कुल 4 लाख प्रत्येक डाक टिकट जारी किए गए हैं। डाक टिकट के साथ ही प्रथम दिवस आवरण और विवरणिका भी जारी की गई है। विवरणिका में 19वें राष्ट्रमंडल खेल, 2010 के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी गई है, वहीँ प्रथम दिवस आवरण पर बैक-ग्राउंड में गुब्बारे के चित्र के साथ तीन पदक और राष्ट्रमंडल खेलों का लोगो अंकित है।
डाक निदेशक ने बताया कि इससे पूर्व भारतीय डाक विभाग शेरा, क्वींस बेटन, तालकटोरा स्टेडियम और जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम पर डाक टिकट जारी कर चुका है। दो डाक टिकट 25 जून 2010 को राष्ट्रमंडल खेलों पर जारी किये गए थे। इसी दिन क्वीन्स बेटन सभी राष्ट्रमंडल देशों में भ्रमण के बाद भारत पहुंची। इन डाक टिकटों पर क्वीन्स बेटन एवं दूसरे डाक टिकट में दिल्ली के इंडिया गेट की पृष्ठभूमि में गौरवान्वित शेरा को बेटन पकड़े हुए चित्रित किया गया है। क्रमशः 20 और 5 रूपये में जारी ये डाक टिकट इंडिया सिक्योरिटी प्रेस नासिक में फोटोग्रेव्यार तकनीक से मुद्रित हैं और कुल 8 लाख डाक टिकट जारी किए गए। इन डाक टिकटों के साथ-साथ मिनिएचर शीट भी जारी की गई, जिसकी कीमत 25 रूपये है। इसके बाद तालकटोरा स्टेडियम और जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम पर 1 अगस्त, 2010 को 5-5 रूपये के डाक टिकट जारी किये गए, जो कि प्रति डाक टिकट 4-4 लाख जारी किये गए हैं। ये भी इंडिया सिक्योरिटी प्रेस नासिक में वेट-आफसेट तकनीक पर मुद्रित हैं। इन डाक टिकटों के साथ भी मिनिएचर शीट जारी की गई।
डाक-टिकटों कि खूबियों के बारे में कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि सामान्यतः डाक टिकट एक छोटा सा कागज का टुकड़ा दिखता है, पर इसका महत्व और कीमत दोनों ही इससे काफी ज्यादा है। डाक टिकट वास्तव में एक नन्हा राजदूत है, जो विभिन्न देशों का भ्रमण करता है एवं उन्हें अपनी सभ्यता, संस्कृति और विरासत से अवगत कराता है। यही कारण है कि राष्ट्रमंडल खेलों पर जारी इन डाक-टिकटों का लोगों में बखूबी क्रेज है और विदेशी खिलाड़ी इन्हें स्मृति-चिन्ह के रूप में अपने देश ले जाना चाहते हैं। आज इनकी कीमत भले ही पांच या 20 रुपए है लेकिन भविष्य में ये बहुमूल्य हो जाएंगे। डाक टिकट संग्रह का शौक रखने वाले लोग तो इन्हें भारी संख्या में खरीद रहे हैं। आने वाले दिनों में वाकई यह एक अमूल्य और ऐतिहासिक धरोहर होगी।