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नई दिल्ली। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने बुधवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात कर राज्य के लिये रुपये 21200 करोड़ के राहत पैकेज की मांग की। निशंक ने प्रधानमंत्री को बताया कि उत्तराखण्ड में दैवीय आपदा से पर्वतीय क्षेत्रों में पेयजल, बिजली, सिंचाई, सड़क सहित आधारभूत संरचना को भारी नुकसान हुआ है, जिनके पुनर्निर्माण के लिये केन्द्र सरकार से बड़ी मात्रा में तत्काल मदद की आवश्यकता है।सात रेसकोर्स में प्रधानमंत्री से भेंट कर मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्रीय राहत निधि के वर्तमान मानक बहुत कम और अव्यवहारिक हैं। पर्वतीय क्षेत्र की विषम परिस्थितियों को देखते हुए इन मानकों में बदलाव किया जाना आवश्यक है। मुख्यमंत्री ने भीषण आपदा से निपटने के लिए तात्कालिक रूप से रुपये 500 करोड़ की सहायता देने के लिए केंद्र सरकार का आभार प्रकट किया। उनका कहना था कि प्रदेश को सामान्य स्थिति में आने में लम्बा समय लगेगा, अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं पर परिवहन और सड़क व्यवस्था को चुस्त-दुरूस्त करने के लिए बड़े स्तर पर प्रयास किये जाने हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत सरकार के केंद्रीय दल ने सभी 13 जिलों का भ्रमण कर नुकसान का जायजा ले लिया है। उनके शासन ने भी डिजास्टर रिलीफ मेमोरेण्डम सौंप दिया है। केंद्रीय दल भी आपदा की तीक्ष्णता और भयावहता से आश्चर्यचकित रहा है। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से राज्य में खतरनाक स्थिति में पहुंच चुके 250 गांवों के पुनर्वास के लिए वनभूमि उपलब्ध करवाए जाने की मांग और टिहरी बांध परियोजना में 25 फीसदी हिस्सा उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड को दिलवाए जाने का अनुरोध भी किया। प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री को केंद्र सरकार के पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया।
इससे पूर्व मुख्यमंत्री ने नार्थ ब्लॉक में केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदम्बरम से भेंट की और उनके सामने अपने राज्य की समस्याएं रखीं। मुख्यमंत्री ने मांग की कि कुम्भ मेले में केंद्रीय बलों की नियुक्ति के एवज में लगभग 100 करोड़ रुपये का जो भुगतान किया जाना है, राज्य की विषम आर्थिक स्थिति और प्राकृतिक आपदा को देखते हुए वह भुगतान केंद्र सरकार अपने स्तर से करे। केंद्रीय गृह मंत्री ने इस पर समुचित कार्यवाही का आश्वासन दिया। प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री से मुलाकात के दौरान राज्य के आपदा राहत मंत्री खजानदास और मुख्य सचिव सुभाष कुमार, प्रमुख स्थानिक आयुक्त अनूप बधावन और सचिव आपदा प्रबंधन डॉ राकेश कुमार भी मौजूद थे।