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गंभीर बीमारियों की चपेट में है उत्तर प्रदेश

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लखनऊ। राजधानी सहित पूरा प्रदेश डेंगू और विचित्र बुखार की चपेट में है। राज्य के सरकारी अस्पतालों में इलाज की व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। इमर्जेन्सी में बेड खाली नहीं हैं। गंभीर रूप से बीमार मरीज जमीन पर लिटाए जा रहे हैं। तमाम मरीज वापस लौटा दिए जाते हैं क्योंकि उनके इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है। डेंगू, चिकन गुनिया, इंसेफलाइटिस, वायरल इन सब बीमारियों ने महामारी का रूप ले लिया है और मायावती सरकार उदासीन है।

समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि क्या सरकार को नहीं मालूम कि उत्तर प्रदेश गंभीर और जानलेवा बीमारियों की चपेट में है। समुचित इलाज के अभाव में अब तक हजार से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। जनता में चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ है। अस्पतालों में डाक्टर, स्टाफ और दवाओं की कमी है। मरीज बिना इलाज के लौटाए जा रहे हैं और मुख्यमंत्री और उनकी सरकार बेपरवाह है। इंसान के जान की कीमत बसपा राज में कुछ भी नहीं है। मुख्यमंत्री मायावती को सिर्फ प्लाट, कोठी, उपहार और लूट के धन की कीमत से ही वास्ता रहता है। चिकित्सा सुविधा के मद का पैसा पत्थरों के कमीशन में खर्च कर दिया गया है। जनता अब इस जन विरोधी सरकार को ज्यादा बर्दाश्त नहीं करेगी।

उपलब्ध जानकारी के अनुसार कानपुर देहात में रहस्यमय की बीमारी से इन 45 दिनों में काफी मौतें हो चुकी हैं। बदायूं और शाहजहांपुर में सैकड़ों रोगी निजी अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं। अकेले बदायूं की तहसील उझानी में चार सौ से ज्यादा डेंगू के सम्भावित मरीज बताए जाते हैं। गाजियाबाद में बुखार पीड़ितों की मौत से लोग दहशत में हें। कन्नौज में बाढ़ के बाद बीमारी का दंश भोग रहे निवासी असहाय हैं। अलीगढ़, गोरखपुर में भी स्थिति गंभीर है।

सरकारी अस्पतालों में पर्याप्त सुविधाओं के अभाव से संकट और गहराता जा रहा है। निजी नर्सिगं होम में इलाज सबके बस की बात नहीं है। बरसात के बाद संभावित बीमारियों का ध्यान न रखने के कारण भारी तादाद में लोग बीमारियों की चपेट में हैं। बरसात और बाढ़ के बाद तेजी से संक्रमण होने से बीमारियां खूब फैलती हैं। सरकार इलाज के लिए ज्यादा बजट देने के बजाए इस मामले को दबाने में लगी है। राजधानी तक में मच्छर मारने की व्यवस्था नहीं हो पाई है तो बाकी जनपदो के बारे में कहना ही क्या? सच तो यह है कि मुख्यमंत्री के कारनामों से राज्य बीमार प्रदेश बन गया है। इस अक्षम्य लापरवाही के लिए सरकार की जितनी निन्दा की जाए कम है। समाजवादी पार्टी ने मांग की है कि रोग प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य दल भेजे जाएं, स्वास्थ्य शिविर लगाए जाएं, परीक्षण के नाम पर डाक्टरों की लूट बंद हो, डीडीटी जैसे छिड़काव और विशेष सफाई अभियान चलाए जाएं।

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