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श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी सैयद अली शाह गिलानी ने बातचीत की प्रक्रिया दोबारा शुरू करने के लिए केंद्र सरकार के वार्ताकारों की नियुक्ति को निरर्थक कदम बताया है। यद्यपि, हुर्रियत के उदारवादी धड़े के अलगाववादी मीरवाइज उमर फारुख और जम्मू एवं कश्मीर लिबरेशन फ्रंट 'जेकेएलएफ' के अलगाववादी यासीन मलिक ने कहा है कि वह हां या ना कहने से पहले विभिन्न विकल्पों पर विचार करेंगे। हुर्रियत के कट्टरपंथी अलगाववादी सैयद अली शाह गिलानी ने मीडिया से कहा कि कश्मीर के हालात पर भारत सरकार गूंगे और बहरे की तरह व्यवहार कर रही है।जम्मू कश्मीर में शान्ति व्यवस्था कायम कर माहौल सामान्य बनाने के उद्देश्य से केन्द्र सरकार ने महत्वपूर्ण पहल करते हए पत्रकार दिलीप पडगांवकर सहित तीन वार्ताकारों के नामों की घोषणा की जो राज्य में पृथकतावादियों सहित सभी वर्गों से बातचीत कर कश्मीर की समस्या हल खोजेंगे। केन्द्रीय गृहमंत्री पी चिदम्बरम ने कहा कि तीनों वार्ताकारों की बहुत अच्छी साख है और जितना जल्दी होगा वे अपना काम शुरू करेंगे। उन्होंने कहा बाद में हम एक और वार्ताकार जोड़ सकते हैं इसलिए अनुमान लगाया जा रहा है कि चौथा वार्ताकार कोई राजनीतिज्ञ होगा।कश्मीर में शान्ति व्यवस्था कायम करने के लिये वार्ताकारों की नियुक्ति का निर्णय 25 सितम्बर को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय मंत्रिमण्डल की सुरक्षा संबंधी बैठक में लिया गया था। इन वार्ताकारों का काम सभी वर्गों से बातचीत कर राज्य में शान्ति कायम करने का हल खोजना होगा। वार्ताकार जम्मू-लद्दाख और कश्मीर तीनों पर लोगों की राय लेंगे। जामिया मिलिया इस्लामिया के नेल्सन मैंडेला इंस्टीट्यूट आफ पीस की अध्यक्ष प्रोफेसर राधा कुमार, हुरिर्यत अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारुक और कट्टरपंथी अलगाववादी सैयद अली शाह गिलानी से बातचीत भी कर रही हैं। हाल ही में वह कश्मीर घाटी में गईं थीं और गिलानी से भी मिली थीं जो श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर चिकित्सा विज्ञान संस्थान में अपना इलाज करा रहे थे। पडगांवकर कश्मीर समिति के सदस्य थे जिसके अध्यक्ष प्रसिद्ध वकील राम जेठमलानी थे। अंसारी हमदर्द विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और निदेशक शिक्षाविद और अर्थशास्त्री हैं और इस समय सूचना आयुक्त हैं।बुधवार को केंद्र सरकार ने वरिष्ठ पत्रकार दिलीप पडगांवकर, सूचना आयुक्त एमएम अंसारी और शिक्षाविद् राधा कुमार को जम्मू एवं कश्मीर में बातचीत की प्रक्रिया दोबारा शुरू करने के लिए वार्ताकार नियुक्त किया है। कश्मीर के पाकिस्तान में विलय के समर्थक गिलानी ने कहा कि नई दिल्ली के साथ कोई भी बातचीत तभी संभव है जब केंद्र सरकार कश्मीर को अंतर्राष्ट्रीय विवाद मानने के साथ पांच सूत्रीय प्रस्ताव को स्वीकार करे।गिलानी का कहना है कि उन्होंने भारत सरकार को पांच सूत्रीय फार्मूला दिया है। मीरवाइज कह रहे हैं कि उनके नेतृत्व वाले समूह की बैठक गुरुवार को बुलाई गई है जिसमें सरकार के इस कदम पर प्रतिक्रिया करने का फैसला किया जाएगा। स्वतंत्र जम्मू एवं कश्मीर राज्य की मांग का समर्थन करने वाले यासीन मलिक ने कहा कि हम किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले विकल्पों पर विचार करेंगे।