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अयोध्या मामले का बात-चीत से निपटारा अब संदिग्ध

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लखनऊ। अयोध्या के मालिकाना हक सम्बन्धी मुकदमे में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले पर विचार के लिये आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की कार्य समिति की बैठक से ऐन पहले निर्मोही अखाड़ा ने शनिवार को साफ कर दिया कि वह अदालत के निर्णय को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देगा उधर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी सुप्रीम कोर्ट में जाने का ऐलान कर दिया है। इसके बाद अयोध्या का राम जन्म भूमि मामला फिर से कोर्ट में जा रहा है। इससे लगता है कि अब इसका समाधान केवल संसद ही कर पाएगी क्योंकि दोनों पक्षों ने एक प्रकार से अदालत के फैसले को किनारे कर दिया है।
निर्मोही अखाड़ा के महंत भास्कर दास ने बताया कि उच्च न्यायालय ने अपने आदेश के तहत हमें जो जमीन दी है, वह तो पहले से ही अखाड़े के कब्जे में है। जमीन के जिस अन्य हिस्से के लिये हमने मुकदमा दायर किया था, उसका निपटारा होना अभी बाकी है। ऐसे हालात में हमारे पास उच्चतम न्यायालय की शरण में जाने के अलावा और कोई चारा नहीं बचता। इस मामले में मोहम्मद हाशिम अंसारी सहित कुछ लोगों ने सुलह के प्रयास किए थे लेकिन अब ये प्रयास निरर्थक ही कहे जाएंगे। वैसे भी इन साठ वर्षों में बात-चीत के अनेक प्रयास हुए हैं जोकि नाकाम हुए हैं। इससे बड़ी कोई बात नहीं हो सकती कि दोनों पक्षकारों में अदालत के फैसले का सम्मान नहीं हुआ और जो लोग अदालत का फैसला मानने की बात कहते आ रहे थे वे फैसला आते ही अपनी बात से पलट गए और मामले को सुलझाने के बजाय उसे तनावपूर्ण बनाने में लगे हुए हैं।
भाजपा नेता विनय कटियार से शुक्रवार को करीब एक घंटे तक बंद कमरे में बातचीत कर चुके महंत भास्कर दास ने कहा कि सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड भी उच्चतम न्यायालय में अपील करने की पहले ही घोषणा कर चुका है। उन्होंने कहा कि मुसलमानों को यह स्पष्ट करना चाहिये कि वे किस जगह पर मस्जिद बनाना चाहते हैं। अगर मुसलमान पंचकोसी परिक्रमा की परिधि से बाहर मस्जिद बनाना चाहते हैं तो हम उन्हें जमीन देने के लिये तैयार हैं। राम जन्मभूमि पर मस्जिद बनाने का समझौता किसी भी सूरत में नहीं किया जाएगा।

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