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ग्रीनपीस का पटना में अक्षय ऊर्जा गुम्बद

जेडीयू-भाजपा गठबंधन को पसंद आया

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अक्षय ऊर्जा समाधान

पटना। ग्रीनपीस ने पूरी तरह से सौर ऊर्जा से संचालित पृथ्वी के आकार वाले चार मंजिला ऊर्जा क्रांति केन्द्र का उद्घाटन किया और साथ ही ग्रीनपीस ने इस केन्द्र के माध्यम से घर-घर तक यह संदेश भी पहुंचाया कि बिहार अक्षय ऊर्जा को चुनकर अपनी भीषण बिजली संकट को खत्म कर सकता है। ग्रीनपीस ने इस मौके पर राज्य के लिए बेहतर और भरोसेमंद ऊर्जा विकल्प के समर्थन में विभिन्न राजनैतिक दलों के प्रदर्शन का खुलासा करते हुए एक रिपोर्ट कार्ड जारी किया। 'इम्पावरिंग बिहार' नाम से एक पुस्तिका भी जारी की गई जिसमें अक्षय ऊर्जा से जुड़े तमाम ऐसे लेख और फोटोग्राफ हैं जो यह साबित करते हैं कि अक्षय ऊर्जा राज्य में पहले से ही एक लाख से अधिक लोगों को बेहतर ऊर्जा सेवाएं दे रही है।
उद्घाटन समारोह में मौजूद ग्रीनपीस इंडिया के प्रबंध निदेशक समित आईच ने कहा कि यह ऊर्जा क्रांति केन्द्र, बिहार में लोगों और नीति निर्धारकों के लिए अक्षय ऊर्जा समाधान का एक अच्छा उदाहरण है। राज्य पहले से ही विकेन्द्रीकृत ऊर्जा समाधानों की दिशा में आगे बढ़ रहा है, यदि इस मुहिम को राजनैतिक समर्थन मिल जाए तो बिहार भविष्य की ऊर्जा आधारभूत संरचना बनाने में देश का नेतृत्व कर सकता है।
ऊर्जा क्रांति केन्द्र, पृथ्वी के आकार की एक आकर्षक संरचना है जो सोलर फोटोवोल्टिक पैनल के माध्यम से पैदा की गयी दो किलोवाट सौर ऊर्जा से संचालित होती है। इसी प्रकार सौर ऊर्जा, भारत के हर शहरी घर को आसानी से बिजली उपलब्ध करा सकती है जहां औसतन तीन किलोवाट बिजली की खपत होती है। ऊर्जा क्रांति केन्द्र यह भी प्रदर्शित कर रहा है कि ऊर्जा वहीं या आसपास पैदा की जा सकती है, जहां उसका इस्तेमाल होना है। इसके लिए लंबी दूरी तय करके जटिल केन्द्रीयकृत व्यवस्था के माध्यम से अंतिम उपभोक्ता तक बिजली पहुंचाना ज़रुरी नहीं है।
पुरानी परंपरागत और केन्द्रीकृत व्यवस्था के अंतर्गत तो बिहार जबरदस्त बिजली संकट से जूझ रहा है। प्रति व्यक्ति बिजली खपत यहां सबसे कम 93 यूनिट है जबकि प्रति व्यक्ति बिजली खपत का राष्ट्रीय औसत 715 यूनिट है। एसोसिएटेड चैम्बर्स ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के हाल के एक अध्ययन के अनुसार राज्य में सबसे अधिक पीक डेफिसिट 33.7 फीसदी है, यह ज्यादातर दूसरे राज्यों और सेन्ट्रल ग्रिड से मिलने वाली ऊर्जा पर निर्भर है, क्योंकि सन 2000 में राज्य के विभाजन के बाद ज्यादातर पावर प्लांट्स और कोयले के भंडार झारखंड के खाते में चले गये।
रिपोर्ट कार्ड जारी करते हुए ग्रीनपीस के अभियानकर्ता रमापति कुमार ने कहा यह देखकर खुशी है कि दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सभी ने अक्षय ऊर्जा को स्पष्ट समर्थन दिया है। जद (यू)-भाजपा गठबंधन ने अपने घोषणा पत्र में अक्षय ऊर्जा पर अपना नजरिया सबसे अच्छे ढंग से स्पष्ट किया है। ग्रीनपीस ने राजनैतिक दलों के घोषणा पत्र में अक्षय ऊर्जा पर लिखे गये अंशों और राज्य में आवश्यक ढांचे के निर्माण के लिए अक्षय ऊर्जा में पूंजीनिवेश सुनिश्चित करने के आश्वासन के आधार पर भारतीय जनता पार्टी के घोषणा पत्र को चार स्टार, जनता दल (यूनाईटेड) को साढ़े तीन और राष्ट्रीय जनता दल को तीन स्टार दिये हैं।
ऊर्जा क्रांति केन्द्र की स्थापना के साथ ग्रीनपीस यह भी प्रमाणित करने की कोशिश कर रहा है कि बिहार में अक्षय ऊर्जा संसाधन प्रचुर मात्रा में मौजूद हैं जो न केवल राज्य की बिजली कमी को पूरा कर सकते हैं बल्कि बिहार को ऊर्जा के क्षेत्र में सुरक्षित और बेहतर भविष्य की राह दिखा सकते हैं। पटना में यह केन्द्र 10 दिन तक स्थापित रहेगा। अक्षय ऊर्जा समाधानों के माध्यम से बिहार को ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर राज्य बनाने की संभावनाओं को लेकर लोगों और जनप्रतिनिधियों को प्रेरित करने के लिए यह केन्द्र 20 अक्टूबर से 29 अक्टूबर तक चलेगा। उद्घाटन समारोह में प्रसिद्ध गांधीवादी विचारक और गांधी संग्रहालय के प्रमुख डा रज़ी अहमद समेत तमाम गण्यमान्य नागरिक भी मौजूद थे।

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