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दून स्कूल लड़कियों के लिए भी हो-राष्ट्रपति

जिन्दगी को मैराथन दौड़ की तरह लें-भूटान नरेश

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दून स्कूल स्थापना दिवस-doon school foundation day

देहरादून। राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने शनिवार को दून स्कूल में 75वें स्थापना दिवस समारोह में भाग लिया। इस अवसर पर अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि इस प्रतिष्ठित स्कूल को बालिकाओं के लिए भी खोल दिया जाना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा कि आधुनिक युग में महिलाएं समाज के सभी क्षेत्रों में तेजी से आगे बढ़ रही हैं और इस गति से सामंजस्य स्थापित करते हुए दून स्कूल में बालिकाओं को भी शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा प्रणाली में देश के युवाओं के सर्वांगीण विकास पर ध्यान दिया जाना चाहिए। शैक्षिक पाठ्यक्रम को इस प्रकार तैयार करना होगा, जिससे विद्यार्थियों की दुनिया के बारे में समझ विकसित हो सके। शिक्षा प्रणाली में मूल्यों का समावेश होना चाहिए। शांति, सौहार्द और सहिष्णुता की भावना स्कूलों में विकसित की जानी चाहिए। उन्होंने दून स्कूल की ग्राम विकास परियोजनाओं में सहभागिता की प्रशंसा करते हुए कहा कि समाज सेवा पर इस प्रकार ध्यान देने से व्यक्ति दूसरों की जरूरतों और भावनाओं के प्रति संवेदनशील बनता है।
समारोह के विशिष्ट अतिथि भूटान नरेश जिग्मे खेसर नमग्यल वांगचुक ने बेहद सधे, शालीन और कुछ दार्शनिक अंदाज में स्कूली बच्चों को सम्बोधित किया। वांगचुक ने कहा कि जिन्दगी को एक मैराथन दौड़ की भांति लेना चाहिए न कि 100 मीटर की फर्राटा दौड़ की तरह जिसमें कुछ ही समय में अपनी सारी ऊर्जा खर्च हो जाए। वांगचुक ने कहा कि विद्यार्थियों को महाविद्यालय के साथ-साथ आने वाले जीवन के लिए भी तैयार हो जाना चाहिए। सफलता के मायने शक्ति और धन संग्रह नहीं है वरन सफलता का अर्थ सुखी जीवन, अच्छा स्वास्थ्य, अच्छे दोस्त, मजबूत पारिवारिक एवं सामाजिक सम्बन्धों आदि से होना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी भी राष्ट्र का भविष्य उसकी युवा पीढ़ी पर निर्भर करता है।
उत्तराखंड की राज्यपाल मार्ग्रेट अल्वा ने कहा कि दून स्कूल ने सामाजिक और सामुदायिक सेवाओं में श्रेष्ठता की महान परम्परा स्थापित की है। राज्यपाल ने कहा कि बालिकाएं लगभग हर क्षेत्र में लड़कों से आगे निकल रही हैं इसलिए दून स्कूल को भी लड़कियों को प्रवेश न देने की अपनी नीति में बदलाव लाना चाहिए। उन्होंने कहा शैक्षिक परिदृश्य और योजनाओं में समता-समानता और एकता के मूल्यों का समावेश होना चाहिए।
मुख्यमंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने दून स्कूल के विद्यार्थियों, उनके अभिभावकों और स्कूल के संचालकों को विद्यालय के 75 सफल वर्ष पूरे होने पर बधाई देते हुए कहा कि इस विद्यालय ने समाज के सभी क्षेत्रों में एक से बढ़कर एक नायक दिये हैं। उत्तराखण्ड के लिये यह हर्ष का विषय है कि देश को विभिन्न क्षेत्रों में नेतृत्व प्रदान करने वाले विभिन्न लोगों का यहां की धरती से गहरा लगाव रहता है। उन्होंने कहा कि राज्य शिक्षा के क्षेत्र में भी तेजी से आगे बढ़ रहा है। उत्तराखण्ड अपने आप में ऐसा विशिष्ट राज्य है, जहां लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी भी है तो भारतीय सैन्य अकादमी भी है। यहां आईआईटी, आईआईएम, एम्स और एनआईटी जैसे महत्वपूर्ण संस्थान भी हैं। उन्होंने कहा कि स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में दून स्कूल की परम्परा अब कई बेहतरीन स्कूलों की श्रृंखला के रूप में राज्य में स्थापित हो चुकी है। यह राज्य स्कूली शिक्षा के लिए देश-विदेश के लोगों के लिए पहली पसंद बन गया है।
दून स्कूल बोर्ड आफ गवर्नर्स के चेयरमैन अनलजीत सिंह और हेड मास्टर डॉ मैकलॉनिन ने भी उपस्थित जनों और छात्रों को सम्बोधित किया। स्कूल कैप्टन ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया। इस अवसर पर केन्द्रीय मंत्री कपिल सिब्बल और कमलनाथ सहित बड़ी संख्या में गणमान्य अतिथिगण उपस्थित थे। इससे पूर्व राज्यपाल मार्ग्रेट अल्वा और मुख्यमंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने जौली ग्रांट एयरपोर्ट पर राष्ट्रपति का स्वागत किया। मुख्य सचिव सुभाष कुमार ने भूटान नरेश जिग्मे खेसर नमग्यल वांगचुक का एयरपोर्ट पर स्वागत किया।

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