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लखनऊ। मजहबी असहिष्णुता की प्रवृत्ति ने विश्व के सामने बड़ा संकट उत्पन्न किया है, इसका समाधान केवल उदारवादी चिंतन के आधार हो सकता है। हिन्दुत्व ऐसी ही जीवन पद्धति है, जिसमें सभी मतावम्बियों के प्रति सम्मान, सौहार्द की भावना है। इसमें विश्व शांति का भाव है लेकिन इसके लिए भारत के लोगो, खासतौर पर छात्रों को भारतीय जीवन पद्धति पर गर्व के साथ अमल करना होगा। यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य मधुभाई कुलकर्णी ने निराला नगर के माधव सभागार में छात्र परिचय सम्मेलन के समापन सत्र में कही।उन्होंने कहा कि वैचारिक दृष्टि से भारत आज भी विश्व का सर्वाधिक शक्तिशाली देश है, जब तक राष्ट्र संगठित रूप से इस विचारधारा के अनुरूप आचरण करता रहा, तब तक वह विश्वगुरू के पद पर आसीन रहा। आज उसी गौरवशाली युग से प्रेरणा लेकर भारत को परमवैभव के पद पर पहुंचाना है, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इसी कार्य में लगा हुआ है। इसके पहले वरिष्ठ पत्रकार अशोक बेरी ने परिचय वर्ग में राष्ट्रहित को सर्वोच्च मानने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि केवल अपने हित का चिंतन करने वाले समाज और राष्ट्र का अहित करते हैं। परहित को धर्म का हिस्सा माना गया। न्यायिक फैसलों में भी हिन्दुत्व को जीवन पद्धति माना गया। यह श्रेष्ठ जीवन पद्धति है। इसमें समाज और राष्ट्र के प्रति समर्पण की भावना होती है। उन्होंने ऋषि परम्परा के अनुरूप समाज निर्माण की आवश्यकता बताई।परिचय सत्र की अध्यक्षता करते हुए डॉ राहुल मिश्र ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना व्यक्ति और चरित्र निर्माण के लिए ही की गई थी। इसके माध्यम से व्यक्ति में राष्ट्रवाद जागृत होता है जो कार्य राष्ट्र के लिये ठीक है, उसी पर अमल की प्रेरणा मिलती है। इससे नागरिक अनुशासन भी जागृत होता है। उन्होंने कहा कि यूनान और इजिप्ट की सभ्यताएं आतंकी थपेड़ों को नहीं झेल सकीं और समाप्त हो गई। इजिप्ट में आज भी मंदिर, मूर्तियों के अवशेष हैं, लेकिन यहां के निवासी ही उस तरफ रूख नहीं करते, क्योंकि उनके पूर्वजों ने दबाव में आकर अपनी सभ्यता, संस्कृति छोड़ दी थी। यूनानी सभ्यता भी महत्व खो चुकी है।उन्होंने कहा कि विदेशी आक्रमणकारियों ने भारत में भी सभ्यता, संस्कृति को समाप्त करने में कोई कसर नहीं छोड़ी और हमारे पूर्वज विचलित नहीं हुए। इसी कारण आज हिन्दू सभ्यता संस्कृति न केवल जीवित है, बल्कि विश्व में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। परिचय वर्ग का संयोजन नगर प्रचारक शतरूद्र प्रताप ने किया और कहा कि संघ को समझने के लिए संघ के करीब आना होगा। इस अवसर पर कृपाशंकर, नवल किशोर, अमरनाथ, जयकृष्ण सिन्हा, प्रशांत भाटिया, डॉ दिलीप अग्निहोत्री भी उपस्थित थे।