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पटना। अक्षय ऊर्जा के प्रति अपना समर्थन व्यक्त करने के लिए सैकड़ों लोग पटना के गांधी मैदान में इकट्ठा हुए। अक्षय ऊर्जा सशक्त बिहार, अक्षय ऊर्जा लाओ, नया बिहार बनाओ और बिहार का विकास अक्षय ऊर्जा के साथ के बैनर के साथ लोगों ने गांधी मैदान से एएन सिन्हा इंस्टिट्यूट स्थित ऊर्जा क्रांति केंद्र तक रैली निकाली और आधिकारिक रूप से ऊर्जा क्रांति यात्रा का समापन किया। पंद्रह जिलों में भ्रमण के दौरान ऊर्जा क्रांति यात्रा को बिहार में विकेन्द्रीकृत अक्षय ऊर्जा के लिए भारी संख्या में लोगों का समर्थन हासिल हुआ।रैली के बाद ग्रीनपीस ने यात्रा को मिले समर्थन को शपथ पत्रों के रूप में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन, राष्ट्रीय जनता दल, लोक जनशक्ति पार्टी गठबंधन और कांग्रेस जैसे दलों को सौंपा। ऊर्जा क्रांति यात्रा गांधी जयंती के अवसर पर 2 अक्टूबर 2010 को पश्चिम चंपारण में भितिहरवा स्थित गांधी आश्रम से प्रारंभ हुई थी और 1800 किलोमीटर से अधिक दूरी तय करके बिहार के 15 जिलों से गुज़री। यात्रा में कई जगह सरपंचों मुखियाओं गैर सरकारी संगठनों स्वयं सहायता समूहों और गांव के लोगों ने जबरदस्त स्वागत किया।ऊर्जा क्रांति यात्रा का उद्देश्य लोगों को विकेन्द्रीकृत अक्षय ऊर्जा की उपयोगिता के प्रति जागरूक करना था और इसके लिए उनका समर्थन प्राप्त करना। यह बेहद दुर्भाग्य की बात है कि अभी भी देश के 50 फीसदी से अधिक गांव अंधेरे में डूबे हुए हैं। गांधीजी मानते थे कि देश का विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक उसके गांवों का विकास नहीं होता। ग्रीनपीस भी मानता है कि बिना विकेन्द्रीकृत अक्षय ऊर्जा के गांवों का विकास नहीं हो सकता-ग्रीनपीस इंडिया के अभियानकर्ता ब्रिकेश सिंह ने कहा। ब्रिकेश सिंह ने आगे कहा कि इस यात्रा के माध्यम से ग्रीनपीस ने यह साबित कर दिया है कि विकेन्द्रीकृत अक्षय ऊर्जा सबके लिए सुगम है और बिहार में छाये बिजली के संकट को खत्म करने का समाधान है।सही मायने में यह यात्रा ग्रीनपीस विकेन्द्रीकृत अक्षय ऊर्जा की अपार संभावनाओं के आधार पर बिहार में विकास का रास्ता तय करने के लिए एक राजनैतिक सहमति बनाने में सफल हुई है। विकेन्द्रीकृत अक्षय ऊर्जा ही अब ऐसा साधन है जो राज्य को साफ सुथरी और भरोसेमंद बिजली मुहैया करा सकता है। इसीलिए विकेन्द्रीकृत अक्षय ऊर्जा को जनता दल यूनाइटेड भारतीय जनता पार्टी, आरजेडी, एलजेपी गठबंधन जैसे प्रमुख राजनैतिक घटकों ने भी इस बार अपने घोषणा पत्र में प्रमुख जगह प्रदान की है।ऊर्जा क्रांति यात्रा के साथ-साथ आज से ऊर्जा क्रांति केन्द्र का भी समापन हो गया। देश में अपने तरह का पहला केन्द्र 12 मीटर ऊंचा और पृथ्वी के आकार का है जो पूरी तरह विकेन्द्रीकृत अक्षय ऊर्जा से संचालित है। इस ऊर्जा माडल के माध्यम से डीआरई की सुगमता को प्रदर्शित करने की कोशिश की गयी थी। इस केन्द्र को ग्रीनपीस ने 20 अक्टूबर को पटना में स्थापित किया था। केन्द्र जनता को यह संदेश देने में पूरी तरह सफल रहा कि विकेन्द्रीकृत अक्षय ऊर्जा यानी डीआरई को अपनाना न केवल आसान है बल्कि बिहार के ऊर्जा संकट को खत्म करने की मुख्य कुंजी भी है।