स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के सिंचाई मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने 'केन बेतवा लिंक नहर परियोजना' के समयब़द्ध और सफलतापूर्वक क्रियान्वयन के लिए केन्द्र सरकार एवं उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के त्रिपक्षीय स्वतंत्र बोर्ड की स्थापना करने पर जोर दिया है जिससे कि दोनो प्रदेशों को अपनी बात रखने का मौका मिले। उन्होंने कहा कि यह बोर्ड इस परियोजना के नियोजन, क्रियान्वयन, संचालन एवं अनुश्रवण आदि के लिए उत्तरदायी हो। सिद्दीकी ने यह बात राष्ट्रीय वर्षा सिंचित क्षेत्र प्राधिकरण नई दिल्ली के चीफ एक्जीक्यूटिव आफिसर डा जेएस सामरा और प्राधिकरण के सदस्य केएस रामचन्द्र से मुलाकात के दौरान कही। इन अधिकारियों ने सिंचाई मंत्री को उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश के क्षेत्र में प्रस्तावित 'केन बेतवा लिंक नहर परियोजना' के महत्वपूर्ण बिन्दुओं के बारे में अवगत कराया और यह भी बताया कि दोनों प्रदेशों के अधिकारियों के बीच बैठक भी सम्पन्न हो चुकी है।सिंचाई मंत्री ने कहा कि चूंकि केन बेतवा लिंक नहर परियोजना मूलतः बुन्देलखण्ड क्षेत्र को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के सम्बन्ध में है, इसलिए ऐसी स्थिति में इस योजना पर आगे विचार करने से पहले यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि उत्तर प्रदेश और विशेष रूप से बुन्देलखण्ड क्षेत्र के लोगों को वर्तमान में उपलब्ध हो रहे पानी की उतनी मात्रा में उपलब्धता सुनिश्चित हो, किसानों के खेतों को पर्याप्त मात्रा में पानी सुनिश्चित हो और बेतवा नदी से राजघाट बांध को मिलने वाले पानी में कोई कमी न आने पाये। उन्होंने कहा कि इसके लिए वर्तमान में केन नदी पर निर्मित बरियारपुर बियर जो करीब 103 वर्ष पुराना है और ज़र्ज़र स्थिति में है, का या तो सर्वोच्च प्राथमिकता पर सुदृढ़ीकरण किया जाए या फिर उसके डाउन स्ट्रीम में नया बियर बनाया जाए जिससे भविष्य में पुरानी बियर के क्षतिग्रस्त होने से दोनों प्रदेश में सिंचाई बाधित न हो।नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने यह भी कहा कि यह परियोजना केन बेतवा लिंक नहर परियोजना तक ही सीमित रहे, जिसमें बरियारपुर बियर, दौधन डैम, पावर प्लान्ट, लिंक नहर, परीक्षा वीयर के निर्माण इस परियोजना के अन्तर्गत कार्य कराये जाएं एवं बरियारपुर बियर के निर्माण को शीर्ष प्राथमिकता दी जाए। बेतवा नदी में मध्यप्रदेश अंश के उपयोग के तीन प्रस्तावित बांधों को इस योजना से पृथक रखा जाए और उन्हें द्वितीय चरण के कार्यों के रूप भविष्य में विचार किया जाए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि परियोजना में निर्मित होने वाले पावर प्लान्ट से उत्पादित होने वाली विद्युत का आधा भाग उत्तर प्रदेश को दिया जाए।सिंचाई मंत्री ने इस बात पर भी बल दिया कि मध्यप्रदेश की बेतवा बेसिन में प्रस्तावित नई संरचनाओं में प्रस्तावित कार्यो में समुचित निर्धारण और प्रथम चरण योजना में प्रदेश के प्रस्तुत अभिमत के बिन्दुओं के निराकरण एवं परियोजना में सम्मिलित हो जाने के उपरान्त ही परियोजना को मंजूरी दिया जाना राज्य हित में होगा क्योंकि उत्तर प्रदेश द्वारा बेतवा जल त्याग कर अपनी बेतवा नहर प्रणाली में केन नदी का जल लिंक नहर के माध्यम से प्राप्त किया जायेगा। यह आवश्यक है कि प्रथम चरण में ऐसे कार्य प्राथमिकता पर हों जो केन जल को उत्तर प्रदेश को निर्धारित स्थल पर उपलब्ध कराएं। प्रथम चरण के अन्य कार्यो की प्राथमिकता उनके उपरान्त हो, द्वितीय चरण के अन्तर्गत अपर बेतवा बेसिन में मध्यप्रदेश की संरचनाओं का निर्माण होने पर इसका प्रभाव उत्तर प्रदेश की नहर प्रणालियों पर होगा। इसलिए प्रथम चरण के सफल क्रियान्वयन के उपरान्त ही द्वितीय चरण के क्रियान्वयन की सहमति दी जाए अन्यथा बेतवा जल द्वितीय चरण की योजनाओं में उपयोग किया जाने लगेगा और उत्तर प्रदेश को केन नदी से जल उपलब्ध नहीं होगा।डा जेएस सामरा ने सिंचाई मंत्री को आश्वस्त किया कि केन बेतवा लिंक नहर परियोजना में इन बिन्दुओं पर विचार-विमर्श करके समय से निर्णय लिया जायेगा। बैठक में प्रमुख सचिव नियोजन मनजीत सिंह, प्रमुख सचिव, सिंचाई किशन सिंह अटोरिया, प्रमुख अभियन्ता, सिंचाई देवेन्द्र मोहन, प्रमुख अभियन्ता, परिकल्प एवं नियोजन सुरेश तिवारी और मुख्य अभियन्ता बेतवा परियोजना सेवालाल उपस्थित थे।