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लखनऊ। मायावती सरकार की लोकतंत्र की लगातार अवहेलना का माहौल बुधवार को नज़र आया। अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष पीएल पुनिया के लखनऊ आगमन पर सरकार ने उनकी कड़ी नाकेबंदी कर रखी थी। ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई अवांछित व्यक्ति शहर में आया है जिसकी जितनी हो सके उपेक्षा करनी है। पीएल पुनिया उत्तर प्रदेश के बाराबंकी लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस के सांसद भी हैं और हाल ही में अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष बनाए गए हैं। यही बात मायावती को नही सुहा रही है। पीएल पुनिया, मुख्यमंत्री मायावती के राजनीतिक मिशन और भविष्य में विधानसभा चुनाव की उनकी सफलता में एक बड़ा कांटा माने जाते हैं इसलिए मायावती सरकार ने अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष के रूप में उन्हें पहली बार लखनऊ आगमन पर सम्मान देने के बजाय उनके रास्ते में कांटे बिछाए, उनकी भारी उपेक्षा की। इसके बावजूद पीएल पुनिया ने अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों को पूरा किया। लखनऊ में उनसे कई दिग्गज दलित नेता और कार्यकर्ता मिल रहे हैं। दौरे में उनके साथ बहराईच के सांसद कमल किशोर कमांडो भी हैं।अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष पीएल पुनिया का आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड के बाद उत्तर प्रदेश का यह दौरा था जिसमें उन्हें राज्य के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक एवं संबंधित अधिकारियों के साथ एक बैठक में उत्तर प्रदेश में दलित समाज के कल्याणकारी कार्यों और उन पर अत्याचार वाले मामलों की जानकारी लेनी थी, लेकिन राज्य सरकार ने इसमें पीएल पुनिया का कोई सहयोग ही नहीं किया बल्कि इससे पहले तो यही पूरी कोशिश की कि पीएल पुनिया का उत्तर प्रदेश दौरा रद्द हो जाए। राज्य सरकार की अड़ंगेबाजी को भापकर पीएल पुनिया ने भी अपने उत्तर प्रदेश आने के कार्यक्रम में कोई बदलाव नहीं किया। वैसे भी उनका देशभर में राज्यों के दौरे का कार्यक्रम पहले से सूचीबद्ध था इसलिए उन्होंने इस कार्यक्रम को नहीं बदला। राज्य सरकार से उन्हें जो जानकारी लेनी थी वह उन्हें नहीं दी गई और दिवाली एवं पंचायत चुनावों में सरकार की व्यस्तता का बहाना बनाकर कोई जानकारी देने से मना कर दिया गया। उनको अतिथि गृह में प्रेस कांफ्रेंस तक करने में बाधा डाली गई। उनके और भी कार्यक्रमों में अघोषित रूप से व्यवधान डाला जा रहा है।पीएल पुनिया ने यूपी प्रेस क्लब में मीडिया से बात करते हुए कहा कि देश भर में दलितों पर अत्याचार के सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश में हैं जिनकी संख्या मौजूदा सरकार में ज्यादा बढ़ी है। उन्होंने कहा कि हॉलाकि उनके पास वह आंकड़े मौजूद हैं जो राज्य सरकार ने केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय को दिए हुए हैं यदि यह सरकार उन्हें भी अपनी ओर से दलितों पर अत्याचार निवारण एवं उनके कल्याण के संबंध में और जानकारी देती तो यह अधिक अच्छा होता क्योंकि वे दलितों के कल्याण के लिए बनाए संवैधानिक आयोग के अध्यक्ष हैं और यह दोनों की ही समान जिम्मेदारी है, लेकिन सरकार ने इसमें किसी प्रकार का सहयोग नहीं किया अपितु बाधाएं खड़ी करने की पूरी कोशिशे कीं। पीएल पुनिया ने कहा कि उत्तर प्रदेश में दलितों के कल्याण के लिए निर्धारित धनराशि के खर्च का कोई हिसाब नहीं है। स्पेशल कंपोनेंट प्लान में दलितों के लिए निर्धारित धनराशि से जालौन और कन्नौज में मेडिकल कॉलेज बना दिए गए। कंपोनेंट का पैसा खर्च तो किया गया लेकिन दलितों के कल्याण पर नहीं। उन्होंने कहा कि सरकार में दलितों को लेकर संवेदनशीलता का अभाव है। वे आयोग के अध्यक्ष के रूप में वह सब कर रहे हैं और करेंगे जिसका मार्ग डॉ भीमराव अम्बेडकर ने दिखाया है। उन्होंने कहा कि वे दलितों के खिलाफ अत्याचार मिटाने के लिए कटिबद्ध हैं, इसके तहत वे राज्य के हर जिले का दौरा भी करेंगे।पीएल पुनिया ने यह भी कहा कि यदि इस सरकार का दलित कल्याण के लिए अच्छा कार्य पाया जाएगा तो वह सरकार की प्रशंसा करेंगे और यदि खराब कार्य होगा तो उसे सार्वजनिक रूप से व्यक्त करेंगे। पीएल पुनिया ने कहा कि वे राज्य में दलितों से संबंधित हर एक योजना की छानबीन करेंगे और गड़बड़ी पाए जाने पर आयोग के संवैधानिक अधिकारों का भी उपयोग करेंगे। पीएल पुनिया ने कहा कि उनका उद्देश्य किसी से उलझना नहीं है बल्कि सहयोग करना और लेना है। उन्होंने बताया कि दलितों पर अत्याचार रोकने के लिए जल्दी ही विशेष अदालतों का प्रावधान किया जाने वाला है जिसमें दो महीने के भीतर वाद का निस्तारण करके न्याय दिया जाएगा। पीएल पुनिया ने कहा कि उन्हें इस बात की प्रसन्नता है कि उन्हें अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष के रूप में दलितों के कल्याण के लिए कार्य करने का अवसर दिया गया है। संवाददाताओं ने पीएल पुनिया से राज्य मायावती सरकार सहित कई प्रश्न किए जिनका पुनिया ने बड़ी सहजता से उत्तर दिया।पीएल पुनिया का राजनीति में आना बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती को कतई रास नहीं आया है। वे राज्य के वरिष्ठ नौकरशाह रहे हैं और मायावती के साथ उनके प्रमुख सचिव भी रहे हैं। उन्हें उत्तर प्रदेश के राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक हालात की बहुत करीब से जानकारी है और यह भी मालूम है कि यह सरकार किन-किन मोर्चों पर बेहद कमजोर और भ्रष्ट है इसलिए मायावती की यह बड़ी चिंता है कि पीएल पुनिया उनका भारी राजनीतिक नुकसान कर सकते हैं। राजनीतिक विश्लेषक भी मानते हैं कि पुनिया की अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष के रूप में उत्तर प्रदेश में दिलचस्पी और सक्रियता हमेशा मायावती को असहज बनाए रखेगी। इससे राज्य के दलितों में दो समानांतर शक्तियां विकसित होंगी जिससे मायावती सरकार में अपनी घोर उपेक्षा से नाराज चल रहा दलित समाज का एक बड़ा वर्ग पीएल पुनिया के साथ चल सकता है। पीएल पुनिया का अभी तो उत्तर प्रदेश का यह पहला ही दौरा है जिसमें पीएल पुनिया से असहयोग करके मायावती की चिंता तुरंत प्रकट हो गई है, जब पीएल पुनिया राज्य के जिलों का दौरा करेंगे तो इन दोनों के बीच और भी ज्यादा बड़ा टकराव सामने आएगा जिसे दलित राजनीति और विधानसभा चुनाव को देखते हुए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है।