स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने व्यवसायिक वाहनों के बिना परमिट संचालित पाये जाने पर कर की अलग दरें निर्धारित की हैं। सरकार ने स्पष्ट किया कि टैक्सी कैब/मैक्सी कैब की दरों में की गयी 20 प्रतिशत वृद्धि का संबंध यात्रियों से वसूल किये जाने वाले किराये से नहीं है। इस संदर्भ में प्रमुख सचिव परिवहन माजिद अली ने एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया है कि अभी तक ऐसे वाहनों के बिना परमिट पकड़े जाने की दशा में अतिरिक्त रूप से कर की कोई देनदारी नहीं होती थी, बल्कि केवल मोटरयान अधिनियम के अन्तर्गत ही संबंधित को दण्डित किया जाता है। बिना परमिट के व्यवसायिक वाहनों के संचालन पर प्रभावी अंकुश लगाने के उद्देश्य से ऐसे वाहनों पर सामान्य कर की दर के पांच गुने के बराबर कर लगाने का निर्णय सरकार ने लिया है।प्रमुख सचिव ने जानकारी दी कि अन्य प्रान्तों में बिना परमिट संचालित व्यवसायिक वाहन के पकड़े जाने पर पांच गुना कर लेने का प्राविधान पहले से ही है। ऐसी स्थिति में प्रदेश में पंजीकृत और संचालित ऐसे वाहनों पर पांच गुना कर लगाने के प्राविधान से बिना परमिट वाहनों के संचालन पर रोक लगेगी। प्रमुख सचिव ने टैक्सी कैब एवं मैक्सी कैब की दरों में 20 प्रतिशत वृद्धि के औचित्य के बारे में बताया कि चार पहिया टैक्सी की सीटिंग क्षमता चालक को छोड़कर अधिकतम 6 सीट और मैक्सी कैब की क्षमता चालक को छोड़कर अधिकतम 12 सीट तक की होती है। चेकिंग के दौरान प्रायः देखा गया है कि ये टैक्सियां क्षमता से अधिक सवारियों को लेकर संचालित होती हैं। इससे न केवल यात्रा करने वाले व्यक्तियों को असुविधा होती है, बल्कि दुर्घटनाओं की आंशका बनी रहती है। अधिक सवारियों को लेकर चलने वाले ऐसे वाहनों के विरूद्ध कार्यवाही की जाती है और प्रशमन शुल्क भी वसूल किया जाता है। ऐसे वाहनों के संचालन को हतोत्साहित करने के लिए ही राज्य सरकार ने इन पर लगने वाले कर की दरों में वृद्धि करने का फैसला किया है।